Religion Conversion: महाराष्ट्र में एक चौंकाने वाली रिपोर्ट सामने आई है जिसमें खुलासा हुआ है कि कम से कम 257 ऐसे अनसूचित जाति (एसटी) छात्र रहे जिन्होंने धर्म परिवर्तन कर अलग-अलग धर्म अपना लिए और आरक्षण का लाभ उठाकर औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों (आईटीआई) में पढ़ रहे हैं. इस बात का खुलासा महाराष्ट्र सरकार की ओर से गठित तीन सदस्यीय समिति की रिपोर्ट में हुआ है.


इस समिति का गठन ही उन एसटी छात्रों की कुल संख्या का पता लगाने के लिए किया गया था, जिन्होंने अन्य धर्म अपना लिए लेकिन आईटीआई में प्रवेश लेने के लिए आरक्षण का लाभ उठाया. विधानसभा में रिपोर्ट पेश करते हुए महाराष्ट्र के कौशल विकास मंत्री मंगल प्रभात लोढ़ा ने कहा कि सरकार सभी 257 छात्रों की जांच करेगी और फिर तय करेगी कि उनका प्रवेश वैध है या नहीं.


मुस्लिम, बौद्ध और ईसाई धर्म अपनाया


रिपोर्ट के मुताबिक, 257 छात्रों में से 37 मुस्लिम, चार बौद्ध, तीन ईसाई और एक सिख हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि 190 अन्य धर्मों के हैं (जैसा कि उनके प्रवेश फॉर्म में टिक किया गया है) और 22 का धर्म पता नहीं चल पाया है (उन्होंने धर्म के संबंध में कोई विवरण नहीं दिया).


समिति ने जताई चिंता


इस तीन सदस्यीय समिति ने रिपोर्ट में चिंता व्यक्त करते हुए कहा, “समिति इन सभी 257 मामलों की जांच करेगी और जिस-जिस आईटीआई संस्थान में एडमिशन दिया गया, जिस गांव के ये लोग रहने वाले हैं उसका दौरा भी करेगी. इसमें इलाके से एकीकृत आदिवासी विकास परियोजनाएं भी शामिल होंगी. समिति इस बात की भी स्टडी करेगी कि क्या आदिवासियों के लिए लक्षित सुविधाओं को इन छात्रों को दिया जाना चाहिए या नहीं.” समिति ने यह भी कहा है कि शिकायत मिलने पर अन्य शिक्षण संस्थानों में भी इसी तरह का सर्वेक्षण कराया जा सकता है.


समिति ने वर्ष 2023 में महाराष्ट्र में आईटीआई में हुए प्रवेशों की जांच की, जिसमें सभी श्रेणी के प्रवेश शामिल थे. समिति ने पाया कि एसटी उम्मीदवारों के लिए आरक्षित सीटों पर प्रवेश लेने वाले 13,858 छात्रों में से 257 ने हिंदू के अलावा अन्य धर्मों के तहत पंजीकरण कराया है.


क्या है कानून?


मौजूदा सरकारी नियमों के मुताबिक, 7.5 प्रतिशत सीटें एसटी के लिए आरक्षित हैं. कानून में कहा गया है कि एसटी से संबंधित व्यक्ति किसी भी धर्म को अपना सकता है और संविधान के अनुच्छेद 342 के तहत अनुसूचित जनजातियों की सूची में शामिल जातियां या जनजातियां आरक्षण का फायदा लेने की हकदार हैं.


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