Abu Asim Azmi on Muslim Reservation: महाराष्ट्र में मुस्लिमों को आरक्षण दिए जाने की पुरजोर मांग के बीच मराठा कोटा बिल पास हो गया. मंगलवार (20 फरवरी, 2024) को जब यह विधेयक मुंबई स्थित राज्य की विधानसभा में सर्वसम्मति से पारित हुआ तब विधानसभा परिसर के बाहर बेहद रोचक नजारा देखने को मिला. समाजवादी पार्टी (सपा) के विधायक अबू आजमी वहां मुसलमानों को भी रिजर्वेशन देने की मांग बुलंद करते नजर आए. उनके साथ इस दौरान एक नेता थे और वे दोनों एक बैनर थामे थे. बड़े से इस बैनर पर मुस्लिमों को महाराष्ट्र में 5 फीसदी आरक्षण दिए जाने की मांग की गई थी. 


अबू आजमी की ओर से इस मसले पर दो तस्वीरें साझा करते हुए एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा गया, "महाराष्ट्र विधानसभा के मराठा आरक्षण के लिए बुलाए गए विशेष सत्र के दौरान सपा की मांग - मराठा आरक्षण के साथ मुसलमानों को भी 5% आरक्षण दे सरकार. मुस्लिम आरक्षण के लिए भी विधेयक लाए महाराष्ट्र सरकार."






'बेवकूफ बनाने को महाराष्ट्र सरकार लाई थी अध्यादेश'


सपा के नेता ने एक और ट्वीट के जरिए पोस्ट किया- मराठा समाज के आरक्षण का हम स्वागत करते हैं पर मुसलमानों को सिर्फ बेवकूफ बनाने और उनके साथ नाइंसाफी करने के खिलाफ महाराष्ट्र सरकार के 2014 में मुस्लिम आरक्षण के लिए ला गए अध्यादेश को विधानसभा परिसर में फाड़ कर सरकार की निंदा करते हैं. मुस्लिम आरक्षण के लिए हम आगे की रणनीति तय करेंगे और हमारी इस मांग के लिए लड़ाई जारी रहेगी.






10% से अधिक हैं महाराष्ट्र में मुसलमान


वैसे, राज्य में मुस्लिमों की संख्या 10% से अधिक है, जबकि जस्टिस राजेंद्र सच्चर कमिशन (2006) और जस्टिस रंगनाथ मिश्रा कमेटी (2004) यह साबित कर चुकी हैं कि डेटा बताता है कि मुस्लिम समुदाय अभी भी आर्थिक और शैक्षणिक रूप से पीछे है. 2009 में कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार ने रहमान कमेटी बनाई थी जिसने बाद में मुस्लिम समुदाय को नौकरियों और शिक्षा में 8 प्रतिशत आरक्षण देने की सिफारिश की थी. 


मराठा समुदाय को कितना आरक्षण?


दरअसल, महाराष्ट्र विधानसभा ने शिक्षा और सरकारी नौकरियों में मराठा समुदाय को 10% आरक्षण देने वाले बिल को पास किया है. सूबे के सीएम एकनाथ शिंदे ने मराठा आरक्षण पर विधानमंडल के 1 दिन के विशेष सत्र में सदन में महाराष्ट्र राज्य सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़ा विधेयक 2024 पेश किया. बिल में यह भी प्रस्ताव है कि 1 बार आरक्षण लागू हो जाने पर 10 साल बाद इसकी समीक्षा हो सकती है. 


महाराष्ट्र में इतने लोग मराठा समुदाय से


मराठा आरक्षण कार्यकर्ता मनोज जरांगे 10 फरवरी से इस मसले को लेकर भूख हड़ताल पर बैठे थे. सीएम शिंदे की ओर से पेश बिल के निष्कर्षों में से एक यह भी रेखांकित करता है कि राज्य में मराठा समुदाय की आबादी 28% है. गरीबी रेखा से नीचे जीवन बिताने वाले कुल मराठा परिवारों में से 21.22% के पास पीले राशन कार्ड हैं, जो कि सूबे के औसत 17.4% से अधिक है.