Supreme Court on Udhayanidhi Stalin: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (1 अप्रैल) को तमिलनाडु के मंत्री उदयनिधि स्टालिन की एक याचिका पर सुनवाई की. इस दौरान कोर्ट ने उदयनिधि स्टालिन से पूछा कि वह अपनी "सनातन धर्म को खत्म करो" टिप्पणी के लिए कई एफआईआर को एक साथ जोड़ने की अपनी याचिका के साथ रिट क्षेत्राधिकार के तहत शीर्ष अदालत से कैसे संपर्क कर सकते हैं.

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न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ ने मंत्री से कहा कि वह सीआरपीसी की धारा 406 के तहत शीर्ष अदालत में याचिका दायर कर सकते थे, जिसमें आपराधिक मामलों को स्थानांतरित करने की मांग होती, लेकिन संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत नहीं, जो रिट क्षेत्राधिकार से संबंधित है.

अदालत ने की ये टिप्पणी

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न्यायमूर्ति दत्ता ने कहा, "आप देखिए, कुछ मामलों में संज्ञान लिया गया है और समन जारी किया गया है. सुप्रीम कोर्ट की ओर से रिट क्षेत्राधिकार के तहत न्यायिक कार्यवाही में दखल नहीं दिया जा सकता है." पीठ ने उदयनिधि स्टालिन को कानूनी मुद्दों के मद्देनजर अपनी याचिका में संशोधन करने और मामले को 6 मई से शुरू होने वाले सप्ताह में लिस्ट करने की अनुमति दी.

 उदयनिधि के वकील ने दी ये दलील 

तमिलनाडु के मंत्री की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अभिषेक सिंघवी ने कहा कि टिप्पणी करने के पीछे का इरादा राजनीतिक युद्ध करना नहीं था, क्योंकि वहां केवल 30 से 40 लोगों का जमावड़ा था. न्यायमूर्ति दत्ता ने उन मामलों का जिक्र किया, जिनका उदयनिधि स्टालिन ने हवाला दिया है, जिसमें एफआईआर को एक साथ जोड़ने के लिए पत्रकार और राजनीतिक व्यक्ति भी शामिल हैं और कहा कि मीडियाकर्मियों की तुलना मंत्रियों से नहीं की जा सकती.

 क्या कहा था उदयनिधि स्टालिन ने

तमिलनाडु में युवा कल्याण और खेल मंत्री उदयनिधि स्टालिन एक प्रसिद्ध फिल्म अभिनेता, मुख्यमंत्री और डीएमके प्रमुख एमके स्टालिन के बेटे हैं. सितंबर 2023 में एक सम्मेलन में बोलते हुए, उदयनिधि स्टालिन ने कहा था कि सनातन धर्म सामाजिक न्याय और समानता के खिलाफ है और इसे खत्म कर देना चाहिए. उन्होंने सनातन धर्म की तुलना कोरोना वायरस, मलेरिया और डेंगू से की थी.

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