Javed Akhtar Remark Row: बॉलीवुड गीतकार और पटकथा लेखक जावेद अख्तर सुर्खियों में हैं. बीते दिनों एक टीवी इंटरव्यू में उन्होंने RSS की तुलना तालिबान से कर दी थी, जिसको लेकर विवाद हो गया. इस विवाद के बाद एक वकील ने मुंबई में ही उनके खिलाफ मामला दायर किया जिसके बाद मजिस्ट्रेट ने अख्तर के खिलाफ समन जारी कर दिया. 


मुंबई की मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट कोर्ट ने नोटिस का संज्ञान लेते हुए उनके खिलाफ 6 फरवरी को अदालत में पेश होने का नोटिस जारी कर दिया. जावेद अख्तर ने अपील दायर कर समन पर रोक लगाने की मांग की. उन्होंने दायर की गई अपील में कहा कि उनको पेश होने का फैसला देने वाले मजिस्ट्रेट ने जल्दबाजी में फैसला लिया है. 


क्या मजिस्ट्रेट के अधिकार क्षेत्र में नहीं है यह मामला?
सीआरपीसी की धारा 397 और 399 के तहत दायर पुनर्विचार याचिका में जावेद अख्तर ने दावा किया कि केवल अपने विचार रखने से व्यक्ति को किसी अपराध का अपराधी नहीं माना जा सकता है. वहीं जावेद के वकील ने कहा कि याची जुहू का रहने वाला है और जिस कोर्ट ने अख्तर को समन जारी किया है वह मुलुंड में है, और जुहू उसके अधिकार क्षेत्र से बाहर है. 


जावेद अख्तर के वकील ने क्या दलीलें दी?
जावेद अख्तर के वकील ने कहा कि याचिकाकर्ता के खिलाफ किसी तरह का कोई विशेष अपराध या उसका कोई सामान्य आरोपी नहीं है, जबकि तथ्य यह है कि याचिकाकर्ता ने किसी बात पर अपने विचार व्यक्त किए हैं और यह विचार मानहानि का अपराध नहीं बनता है. इसलिए याचिकाकर्ता को शिकायत दर्ज करने का कोई अधिकार नहीं है.


दलील में कहा गया है कि जावेद अख्तर के वकील ने दलील दी की आरएसएस के समर्थक वकील ने अभी तक ऐसा कोई लेटर नहीं दिखाया है जिससे यह साबित होता हो कि संघ ने उनको केस फाइल करने का अधिकार दिया हो. उन्होंने तर्क दिया कि महज इस बात पर उन पर कार्रवाई कर देना कि जिस व्यक्ति ने याचिका दायर की है वह संघ का समर्थक है, इतना भर पर्याप्त नहीं है. 


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