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Nuh Violence: नूंह हिंसा के बाद हरियाणा सरकार ने बुलडोजर से गिराईं 1200 से ज्यादा इमारतें, ज्यादातर एक ही समुदाय की
Nuh Violence: हरियाणा सरकार की तरफ से अपनी सफाई में बताया गया है कि तमाम विभागों के अधिकारियों की बैठक के बाद ही ये कार्रवाई हुई, जिन इमारतों को गिराया गया है वो अवैध थीं.
![Nuh Violence: नूंह हिंसा के बाद हरियाणा सरकार ने बुलडोजर से गिराईं 1200 से ज्यादा इमारतें, ज्यादातर एक ही समुदाय की Nuh violence Haryana government bulldozed more than 1200 buildings mostly belonging to the Muslim community Nuh Violence: नूंह हिंसा के बाद हरियाणा सरकार ने बुलडोजर से गिराईं 1200 से ज्यादा इमारतें, ज्यादातर एक ही समुदाय की](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2023/08/10/16bef6e9d4da9cb36cdbaab7a6c370b91691634733847356_original.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&height=675)
Nuh Violence: हरियाणा के नूंह जिले में शोभा यात्रा के दौरान पथराव के बाद भड़की हिंसा के बाद अब पुलिस कार्रवाई जारी है. नूंह के बाद आसपास फैली इस हिंसा में 6 लोगों की मौत हुई थी और 80 से ज्यादा लोग घायल हुए थे. जिसके बाद अब बुलडोजर एक्शन भी तेजी से हो रहा है, कई लोगों के घरों पर खट्टर सरकार ने बुलडोजर की कार्रवाई की है, जिनमें से ज्यादातर मुसलमानों के घर हैं. अब तक 1200 से ज्यादा इमारतों को गिराया जा चुका है, जिनमें घर और दुकानें शामिल हैं.
मुसलमानों की ज्यादातर संपत्तियां
हिंदुस्तान टाइम्स की ग्राउंड रिपोर्ट में बताया गया है कि नूंह जिले में महज पांच दिनों में ही 1,208 इमारतें और अन्य स्ट्रक्चर ध्वस्त कर दिए गए, जिनमें अधिकांश मुस्लिम मुस्लिम समुदाय के हैं. कई रिपोर्टर जब मौके पर पहुंचे और पूछताछ की तो पाया गया कि गिराई गई ज्यादातर संपत्तियां मुसलमानों की हैं. इसके अलावा 7 अगस्त को पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने भी इस मामले में हस्तक्षेप करते हुए हरियाणा सरकार से पूछा कि क्या सरकार बुलडोजर कार्रवाई की एकतरफा प्रकृति को देखते हुए "जातीय सफाई" में शामिल है. इसके बाद इस कार्रवाई पर रोक लगा दी गई.
रिपोर्ट में बताया गया है कि ध्वस्त की गई संपत्तियां नूंह, नलहर, पुन्हाना, तौरू, नांगल मुबारकपुर, शाहपुर, अगोन, अदबर चौक, नलहर रोड, तिरंगा चौक और नगीना के शहरों और गांवों में थीं. जहां बड़ी संख्या में इमारतों को गिराया गया. स्थानीय लोगों का आरोप है कि कई इमारतें अवैध नहीं थीं, उसके बावजूद उन्हें गिरा दिया गया.
अधिकारियों की बैठक के बाद लिया फैसला
एचटी की रिपोर्ट में हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के ओएसडी जवाहर यादव से बातचीत की गई है. जिसमें उन्होंने बताया है कि तमाम अलग-अलग विभागों के अधिकारी उन इमारतों की पहचान करने में शामिल थे, जिन्हें ध्वस्त करने की जरूरत थी. इसे लेकर 1 अगस्त को एक बैठक आयोजित की गई और हर अधिकारी ने अपने क्षेत्रों के रिकॉर्ड को स्कैन किया. इसके बाद हिंसा में शामिल संदिग्धों के बयानों के आधार पर अभियान चलाया गया.
हरियाणा सरकार के मुताबिक गिराए गए घर उन सभी लोगों के थे जिन्हें या तो गिरफ्तार कर लिया गया था या उनकी पहचान कर ली गई थी कि वो अवैध तौर पर बने हुए हैं. उन्होंने बताया कि इस कार्रवाई से पहले कानूनी राय भी ली गई थी. परिवारों को नोटिस देने के सवाल पर ओएसडी ने बताया कि 30 जून को एक नोटिस दिया गया था, यानी 1 अगस्त को होने वाली बैठक से पहले ही ये हो गया था.
मुस्लिमों ने लगाए आरोप
हालांकि जिन लोगों की संपत्तियां गिराई गई हं, उनका कहना है कि प्रशासन की तरफ से कोई नोटिस या सूचना तक नहीं दी गई. सीधे बुलडोजर उनके घरों और दुकानों तक पहुंचा और उन्हें गिरा दिया. रिपोर्ट में खेरली कंकर गांव के लियाकत अली का जिक्र किया गया है, जो एक टाइल्स शोरूम के मालिक हैं. उन्होंने बताया कि उनके शोरूम को ध्वस्त करने से कुछ मिनट पहले एक नोटिस पोस्ट किया गया था. उन्होंने बताया कि संपत्ति का पंजीकरण कराया था और पिछले छह साल से इसे चला रहे थे. इस दौरान प्रशासन ने कभी कोई नोटिस नहीं भेजा.
इसी तरह नूंह जिले के कई गांव और कस्बों में रहने वाले मुसलमानों का भी यही कहना है, उनका आरोप है कि वैध होने के बावजूद उनके घरों और दुकानों को तोड़ दिया गया. रिपोर्ट में जो जानकारी दी गई है, उसके मुताबिक पूरे हरियाणा में सबसे ज्यादा कार्रवाई मुस्लिम समुदाय के लोगों की संपत्तियों पर की गई है. जिसे लेकर अधिकारियों और सरकार के अपने-अपने तर्क हैं.
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