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अब नहीं रहेगा छोटे-बड़े साइज के कपड़ों का झंझट, भारत का भी होगा अपना इंडिया साइज

कपड़ा मंत्रालय ने अगस्त 2019 में इंडिया साइज प्रोजेक्ट का ऐलान किया था. लेकिन कोरोना की वजह से प्रोजेक्ट में देरी हो गई थी. 26 अगस्त 2021 में प्रोजेक्ट को फिर से शुरू किया गया.

नई दिल्ली: अक्सर शर्ट को खरीदते समय साइज को लेकर काफी परेशानी होती है. हर किसी व्यक्ति की कद-काठी एक जैसी बिल्कुल नहीं होती. ब्रांडेड कपड़े खरीदते समय फिटिंग की समस्या से थोड़ा बहुत समझौता करना ही पड़ता है. इसी समस्या को सुलझाने के लिए मिनस्ट्री ऑफ टेक्सटाइल्स, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फैशन टेक्नोलॉजी के साथ मिलकर राष्ट्रीय स्तर पर कपड़ों के साइज का मानकीकरण कर रही है जो कपड़ों का स्वदेशी स्टैंडर्ड होगा.

इंडियासाइज की को-पीआई प्रो मोनिका गुप्ता ने कहा, 'हम अगर बाजार में जाते हैं, शर्ट वगैरह खरीदना चाहते हैं तो साइज के तहत कपड़े नहीं मिलते. अगर आदमियों की बात करें तो वो अपना गला बंद नहीं कर पाते हैं कॉलर का. क्योंकि हम लोग बाहर के स्टेंडर्ड साइज चार्ट इस्तेमाल करते हैं. इसकी वजह से क्या होता है कि बाहर के लोगों के गर्दने पतली थी, भारत के लोगों की मोटी हैं वो उपर का बटन बंद नहीं कर पाते जब इंडियाचार्ट आ जाएगा तो ये समस्या सुलझ जाएगी.'

इंडियासाइज की प्रिंसिपल इंवेस्टिगटर प्रो नूपुर आंनद ने कहा, ये नेशनल साइजिंग सर्वे है जिसके तहत हम 25 हजार लोगों को 6 शहरों में पेन इंडिया मेजर करेंगे और उनका डेटा लेकर एक बॉडी साइज चार्ट बनाएंगे जो कि हमारी भारतीय जनसंख्या के हिसाब से हो ताकि इससे हमको कपड़ा वैसा मिले जो कि हमारी बॉडी शेप और साइज के हिसाब से हो.

ग्राउंड जीरो पर ये काम हो कैसे होता है...
माप लेने में कोई चूक ना हो जाए इसलिए डेटा जुटाया जाता है. सबसे पहले सर्वे में शामिल शख्स का रजिस्ट्रेशन होता है, आंखों की स्कैनिंग की जाती है. व्यक्ति के बैकग्राउंड को समझने के लिए कुछ सवाल-जवाब किए जाते हैं और आखिर में पहनाया जाता है एक स्पेशल सूट, जो एक स्कैनिंग मशीन है. स्कैन सूट पहनने के बाद व्यक्ति स्कैनिंग सेंटर में जाता है. स्कैनिंग सेंटर में 120 तरह का डेटा कलेक्ट किया जाता है.

ये डेटा किस तरह से कलेक्ट किया जाता है?

इस सवाल का जवाब इंडियासाइज के प्रिंसिपल इंवेस्टिगटर प्रोफेसर नूपर आनंद ने दिया. उन्होंने बताया, ये 3डी हॉल बॉडी स्कैनिंग मशीन है. मशीन में ये सेंसर लगे होते हैं. ये सेंसर बॉडी के डेटा को कैप्टर करते हैं इसमें एक व्यक्ति को स्कैन सूट में खड़ा करते हैं. ये स्कैन सूट इसलिए होता कि या शरीर में ना कुछ बढ़ाए ना घटाए ताकि जैसा शरीर है वैसा ही कैप्चर कर पाएं. इस ढंग से आपकी बॉडी कैप्टर हो गई है और क्लाउड प्लावंट क्रिएट करता है और आपको जो नीली रेखाएं नजर आ रही हैं उसे डेटा निकालता है. ये सारी मेजरमेंट यहां रिपोर्ट हो रही है. जो डेटा प्वाइंट हम कैप्चर करते हैं वो सारी बॉडी के पेरिफरल प्वांइट हैं. आपके पास स्टेचर आ जाएगा, कंधे का माप आ जाएगा, छाती का, कमर का, हिप का, टांग का, हाथ का. आपके पास सेग्मेंट लेंस भी जाएंगे कितनी बड़ी छाती है. इसी स्कैनिंग सूट की मदद से...देश भर के पुरुष और महिलाओं का एक अनुमानित डाटा जुटाया जाएगा. ये सर्वे दिल्ली, मुंबई, चेन्नई, हैदराबाद, कोलकाता और शिलांग में किया जाएगा. ताकि इंडिया साइज बनाते समय विविधता का भी ख्याल रखा जा सके

नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फैशन टेक्नोलॉजी के लिए इस सर्वे का काम डिजाइन स्मिथ को दिया गया है. जिसकी जिम्मेदारी है सर्वे में हर कद-काठी के व्यक्ति को शामिल करना. डिजाइन स्मीथ के डायरेक्टर विक्रम शर्मा ने कहा, 'हम दिल्ली के आखिर में है अगले हफ्ते दिल्ली पूरा जाएगा. एक निफ्ट में सर्वे करेंगे जहां लोगों को लेकर आएंगे, एक वॉक इन जिसमें मॉल में लोग आएंगे, तीसरा बुजुर्ग लोगों के लिए ओल्ड ऐज होम में करेंगे.'

नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फैशन टेक्नोलॉजी के डायरेक्टर जनरल शांतमनु ने कहा, 'हमने स्कैनिंग मशीन प्रोक्योर कर ली थी कोविड के कारण आगे नहीं बढ़ा पाए थे. दो महीने से हमने मेजरमेंट का काम शुरू कर दिया है. करीब 25 हजार सैंपल इक्ट्ठा करने का हमारा टारगेट है सात हजार हो गए हैं. इसके आने के बाद डिटेल एनालिसिस होगी और उसके बेस पर चार्ट तैयार होगा.'

जुलाई 2022 तक पूरे देश से इंडियासाइज के आंकड़े जमा करने का टारगेट है और 2022 के आखिर तक भारत का अपना इंडियासाइज चार्ट बनकर तैयार हो जाएगा. बेहद मुमकिन है कि घरेलु कपड़ा उद्योग के साथ-साथ विदेशी ब्रांड्स भी इस इंडियासाइज के हिसाब से अपने कपड़ें तैयार करें.

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