मुंबई: महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने आज कहा कि उनके राज्य की सीमा से लगते कर्नाटक के मराठी भाषी बहुल इलाकों को सुप्रीम कोर्ट का अंतिम फैसला आने तक केंद्र शासित प्रदेश घोषित किया जाना चाहिए.


ठाकरे के इस बयान पर कर्नाटक के डिप्टी सीएम लक्ष्मण सावदी ने कहा है कि कर्नाटक के मराठी भाषी लोग मुंबई को कर्नाटक में शामिल करने की इच्छा रखते हैं.


उन्होंने कहा, ''इस क्षेत्र के लोगों के साथ-साथ मेरी मांग है कि मुंबई को कर्नाटक में शामिल किया जाए. जब तक ऐसा नहीं किया जाता है, मैं केंद्र सरकार से अनुरोध करता हूं कि वह मुंबई को केंद्र शासित प्रदेश घोषित करे.''


सीएम उद्धव ठाकरे ने क्या कहा?


महाराष्ट्र और कर्नाटक के बीच सीमा विवाद पर लिखी किताब का विमोचन करने के मौके पर उद्धव ठाकरे ने कहा, ‘‘जब मामले की सुनवाई उच्चतम न्यायालय में चल रही है, कर्नाटक ने बेलगाम का नाम बदलकर उसे अपनी दूसरी राजधानी घोषित कर दी और वहां विधानमंडल की इमारत का निर्माण किया और वहां विधानमंडल का सत्र आयोजित किया.’’


महाराष्ट्र बेलगाम, करवार और निप्पनी सहित कर्नाटक के कई हिस्सों पर दावा करता है, उसका तर्क है कि इन में बहुमत आबादी मराठी भाषी है. यह मामला कई सालों से सुप्रीम कोर्ट में लंबित है.


उद्धव ठाकरे ने कहा, ‘‘ कर्नाटक द्वारा कब्जा किए गए मराठी भाषी इलाकों को उच्चतम न्यायालय का अंतिम फैसला आने तक केंद्र शासित प्रदेश घोषित किया जाना चाहिए.’’ उन्होंने कहा, ‘‘ हमने पिछले अनुभवों से सीखा है और जीतने के लिए लड़ेंगे. कर्नाटक द्वारा कब्जा किए गए मराठी भाषी इलाके महाराष्ट्र में शामिल होंगे.’’


शिवसेना प्रमुख ने कहा, ‘‘ पहले, एमईएस के आधे दर्जन् विधायक जीते, बेलगाम का महापौर मराठी भाषी है. शिवसेना कभी बेलगाम की राजनीति में नहीं घुसी क्योंकि वह एमईएस को कमजोर नहीं करना चाहती थी.’’


उन्होंने कहा, ‘‘ हम शपथ लें कि जबतक जीतेंगे नहीं आराम नहीं करेंगे. अगर लंबित मुद्दे इस सरकार (एमवीए की) के कार्यकाल में नहीं सुलझे तो कभी नहीं सुलझेंगे.’’ उद्धव ठाकरे ने आरोप लगाते हुए कहा, ‘‘कर्नाटक में किसी भी पार्टी की सरकार या मुख्यमंत्री हो, उनकी एक समानता होती है और वह है मराठी लोगों और भाषा पर अत्याचार.’’


पवार क्या बोले?


एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार ने इस मौके पर कहा कि जब महाराष्ट्र के नेता सेनापति बापट ने भूख हड़ताल शुरू की तो केंद्र द्वारा 1960 के दशक में मामले के अध्ययन और निष्कर्ष के लिए महाजन आयोग की स्थापना की गई. पवार ने कहा, ‘‘ तब के महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री वसंतराव नाइक ने आयोग को स्वीकार किया और इस बात पर सहमत हुए कि आयोग का निष्कर्ष राज्य के लिए बाध्यकारी होगा लेकिन आयोग की रिपोर्ट शत प्रतिशत महाराष्ट्र के खिलाफ रही.’’


उन्होंने कहा, ‘‘हमने (महाराष्ट्र) आयोग के निष्कर्षों को अस्वीकार कर दिया. बैरिस्टर एआर अंतुले, पूर्व मुख्यमंत्री ने अपनी किताब में महाजन आयोग की रिपोर्ट अस्वीकार करने के बारे में लिखा है. इस किताब में (विमोचन किया गया) भी उसका उल्लेख मिलता है.’’


पवार ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट, राज्य के लिए आखिरी हथियार है और महाराष्ट्र को इस मुकदमे में जीत के लिए सभी कानूनों विकल्पों का इस्तेमाल करना चाहिए.’’ उन्होंने कहा, ‘‘ हमें लड़ना होगा. कोई दूसरा विकल्प नहीं है. यह अच्छी बात है कि मुख्यमंत्री ठाकरे इस दिशा में नेतृत्व कर रहे हैं. महाराष्ट्र को अपने राजनीतिक मतभेदों को दरकिनार कर इस मामले में एकजुटता दिखाने की जरूरत है.’’


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