नई दिल्ली: किसान संगठन 1 फरवरी को संसद मार्च नहीं करेंगे. संयुक्त किसान मोर्चा ने ये जानकारी दी. बलबीर सिंह राजेवाल ने कहा कि किसान परेड सरकारी साज़िश का शिकार हुई. संयुक्त किसान मोर्चा दिल्ली में हुई हिंसक घटनाओं से खुद को अलग किया. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि दीप सिद्धू आरएसएस का एजेंट है. दीप सिद्धू ने लाल क़िले पर धार्मिक झंडा लगाकर तिरंगे का अपमान किया और देश की और हमारी भावनाएं आहत हुई.


इसके साथ ही बलबीर सिंह राजेवाल ने कहा, "मैं किसान मोर्चा की तरफ से देश से माफी मांगता हूं. कल किसान परेड का आयोजन किया, ये अपने आप में एतिहासिक था. हम 26 नवंबर को यहां आकर बैठे. कोई दिक्कत नहीं हुई. कुछ संगठन कह रहे थे कि वो लाल किला जाएंगे...सरकार से मिलीभगत थी. दीप सिद्धू को पूरी दुनिया ने देखा. वो आरएसएस का आदमी है."


वहीं किसान नेता शिवकुमार कक्का ने हिंसा के संबंध में कहा, "हमारे पास वीडियो क्लिप हैं, हम पर्दाफाश करेंगे कि किस प्रकार हमारे आंदोलन को बदनाम करने की साजिश रची गयी."


दीप सिद्धू के सामाजिक बहिष्कार की अपील


स्वराज इंडिया के अध्यक्ष योगेंद्र यादव ने कहा कि हम दीप सिद्धू के सामाजिक बहिष्कार की सबसे अपील करते हैं. किसान मजदूर संघर्ष समिति और दीप सिद्धू कल की हिंसा के लिए जिम्मेदार हैं. हिंसा होते ही हमने सबको वापस अपनी जगह आने के लिए कहा. सबने देखा कि दीप सिद्धू की फोटो प्रधानमंत्री और गृहमंत्री के साथ है. पूरा सच देश के सामने आना चाहिए. उन्होंने कहा, "लाल किला की घटना पर हमें खेद है और हम इसकी नैतिक जिम्मेदारी स्वीकार करते हैं."


आंदोलन जारी रहेगा


भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि आंदोलन जारी रहेगा. सभी लोग लंगर और भंडारे करते रहेंगे. युवाओं को डरने की जरूरत नहीं है. कल की घटना के लिए पुलिस प्रशासन दोषी है. उन्होंने कहा, "कल दिल्ली में ट्रैक्टर रैली काफी सफलतापूर्वक हुई. अगर कोई घटना घटी है तो उसके लिए पुलिस प्रशासन ज़िम्मेदार रहा है. कोई लाल किले पर पहुंच जाए और पुलिस की एक गोली भी न चले. यह किसान संगठन को बदनाम करने की साजिश थी. किसान आंदोलन जारी रहेगा."


किसान नेता हन्नान मोल्लाह ने भी कहा कि सरकार ने साजिश की है जो दुनिया के सामने आ गया है. हम पुलिस के पर्चो से नहीं डरते हैं. हन्नान मोल्लाह ने कहा कि किसान आंदोलन को पहले दिन से ही बदनाम करना शुरू किया गया. 70 करोड़ किसान जो मेहनत कर देश को अन्न देता है वह देशद्रोही है, इस तरह देशद्रोही बोलने की हिम्मत किसकी होती है, जो देशद्रोही होता है, वही किसानों को देशद्रोही बोलते हैं.


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