Political Crisis in Maharashtra: महाराष्ट्र का राजनीतिक विवाद (Maharashtra Political Crisis) सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) पहुंच गया है. शिवसेना (Shiv Sena) के 37 विधायकों के समर्थन के साथ अपने गुट को असली शिवसेना बता रहे एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में याचिका दाखिल की है. उनके अलावा विधायक भरत गोगावले (Bharat Gogavale) ने भी याचिका दाखिल की है. दोनों याचिकाओं में कहा गया है कि विधानसभा उपाध्यक्ष की तरफ से इस गुट के विधायकों के खिलाफ की जा रही अयोग्यता की कार्यवाही गलत है. इस पर रोक लगनी चाहिए.


याचिकाओं में अजय चौधरी को शिवसेना विधायक दल का नेता बनाए जाने को भी गैरकानूनी बताया गया है. शिंदे कैंप की तरफ से महेश जेठमलानी और हरीश साल्वे पेश हो सकते हैं. उद्धव ठाकरे की तरफ से कपिल सिब्बल, अभिषेक मनु सिंघवी, राजीव धवन, देवदत्त कामत कामत समेत अन्य वकील दलील रखेंगे


शिंदे कैंप के वकीलों ने सुप्रीम कोर्ट से मामले पर तत्काल सुनवाई के अनुरोध किया है. मामला सोमवार को जस्टिस सूर्य कांत और जमशेद पारदीवाला की अवकाशकालीन बेंच के सामने लगने की संभावना है. याचिका में बतया गया है कि विधायकों ने विधानसभा उपाध्यक्ष नरहरि ज़िरवाल को पद से हटाने का प्रस्ताव भेजा था. इसके लंबित रहते ही उन्होंने विधायकों को अयोग्य ठहराने की कार्रवाई शुरू कर दी. यह नबाम रेबिया बनाम अरुणाचल विधानसभा उपाध्यक्ष मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के विरुद्ध है. अब अविश्वास प्रस्ताव को भी ठुकरा दिया है.


सुनील प्रभु को चीफ व्हिप बनाया जाना अवैध
याचिका में यह भी कहा गया है कि शिंदे गुट के विधायकों पर पार्टी विरोधी काम करने का आरोप गलत है. विधायकों के बहुमत ने भरत गोगावले को चीफ व्हिप नियुक्त किया है. अल्पमत के तरफ से प्रस्ताव पारित कर सुनील प्रभु को चीफ व्हिप बनाया गया है. यह अवैध है. इस चीफ व्हिप की तरफ से जारी आदेश का कोई मतलब नहीं है. लेकिन इसे न मानने को पार्टी विरोधी गतिविधि बताया जा रहा है.


अजय चौधरी की नियुक्ति गैर कानूनी
शिंदे गुट ने एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) की जगह अजय चौधरी (Ajay Chaudhary) को शिवसेना विधायक दल (Shiv Sena MLA Leader) का नेता बनाए जाने को भी चुनौती दी है. याचिका में कहा गया है कि विधायक दल का नेता विधायक चुनते हैं. पार्टी के अधिकतर विधायकों का समर्थन शिंदे के साथ है. ऐसे में चौधरी की नियुक्ति गैरकानूनी है. याचिका में शिंदे ग्रुप के विधायकों को सुरक्षा (Security) देने की भी मांग की गई है. 


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