Political Crisis in Maharashtra: अक्सर अपने सियासी बयानों को लेकर सुर्खियों में रहने वाले एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) ने शनिवार को महाराष्ट्र (Maharashtra) में चल रही सियासी (Politics) उठा-पटक के बीच तंज कसा है. ओवैसी ने कहा महाराष्ट्र में चल रहे बंदरों के नाच (Dance of Monkeies) पर मैंने नजरें बनाए रखी हैं. ओवैसी ने कहा इस मामले पर महाविकास अघाड़ी (MVA) को विचार करने दें और मैंने इस इस ड्रामा पर नजरें बनाए रखी हैं. आपको बता दें कि महाराष्ट्र सियासत में 21 जून की सुबह से ही उथल-पुथल मची हुई है. शिवसेना विधायक एकनाथ शिंदे कुछ विधायकों के साथ पहले सूरत और फिर वहां से गुवाहाटी चले गए. शिंदे का दावा है कि उनके साथ शिवसेना के 38 विधायक हैं. इस प्रकार से शिवसेना के पास दो-तिहाई बहुमत हासिल है.  


जब न्यूज एजेंसी एएनआई ने ओवैसी से पूछा कि आप महाराष्ट्र की सियासत पर क्या कहेंगे तो इस सवाल के जवाब में ओवैसी ने कहा, "इस मामले पर महा विकास अघाड़ी को विचार-विमर्श करने दें. उन्हें सड़कों पर उतरना चाहिए. उन्हें तय करना चाहिए कि क्या करना चाहिए. इस मामले में मैं तय करने वाला कोई नहीं हूं. हम सामने आने वाले नाटक पर नजरें बनाए हुए हैं. ऐसा लग रहा है कि महाराष्ट्र में बंदरों का नाच जारी हो. वो बंदरों की तरह पेड़ की एक शाखा से दूसरी शाखा पर उछल कूद करने का अभिनय कर रहे हैं."


शिंदे गुट ने अपनी पार्टी का नाम 'शिवसेना बालासाहेब' रखा
इसके पहले शनिवार को शिंदे गुट के विधायकों ने अपने साथ आए बागी विधायकों को मिलाकर अपनी पार्टी का नाम 'शिवसेना बालासाहेब' रख लिया. शिवसेना के संस्थापक बालासाहेब ठाकरे के नाम पर समूह का नामकरण होने के बाद से उद्धव गुट की ओर से इस पर तीखी प्रतिक्रियाएं आईं हैं क्योंकि मुख्यमंत्री ने कहा कि जो लोग पार्टी छोड़ चुके हैं उन्हें पार्टी के संस्थापक के नाम पर वोट नहीं मांगना चाहिए.  वहीं संजय राउत ने कहा, "सीएम उद्धव ठाकरे ने कहा है कि जिन नेताओं ने शिवसेना छोड़ दी है, उन्हें शिवसेना और बालासाहेब ठाकरे के नाम पर वोट नहीं मांगना चाहिए. अपने पिता के नाम पर वोट मांगें. महा विकास अघाड़ी एकजुट है." 


एकनाथ शिंदे हमारे नेता, बोले बागी विधायक 
महाराष्ट्र के सियासी घमासान के बीच शिवसेना के बागी नेताओं ने कह दिया कि एकनाथ शिंदे हमारे नेता. शिवसेना से नाराज विधायक दीपक केसरकर ने कहा कि बागी विधायकों के गुट के पास दो तिहाई बहुमत है इसी के दम पर उन लोगों ने एकनाथ शिंदे को अपना नेता चुन लिया है. केसरकर ने बताया कि हमारे गुट ने शिवसेना नहीं छोड़ी है लेकिन हमने अपने शिवसेना गुट का नाम शिवसेना बालासाहेब रख लिया है. एकनाथ शिंदे के पास शिवसेना के 56 विधायकों में से 38 विधायकों का समर्थन होने का दावा है, जो 288 सदस्यीय महाराष्ट्र विधानसभा में पार्टी की ताकत के दो-तिहाई से अधिक है. इसका मतलब है कि वे या तो छोड़ सकते हैं और एक और राजनीतिक दल बना सकते हैं या राज्य विधानसभा से अयोग्य घोषित किए बिना दूसरे के साथ विलय कर सकते हैं.


हमने किसी के साथ विलय नहीं किया
इस बीच शिवसेना के बागी विधायक दीपक केसरकर (Shiv Sena Rebel MLA Deepak kesarkar) ने दावा किया कि किसी भी पार्टी के साथ विलय की बातचीत से इनकार करते हुए उनके गुट के पास दो-तिहाई बहुमत है. "हम अभी भी शिवसेना (Shiv Sena) में हैं, लोगों को एक गलतफहमी है कि हमने पार्टी छोड़ दी है. हमने अभी-अभी अपने गुट को अलग किया है. हमारे पास दो-तिहाई बहुमत है जो हम चाहते थे. हमारे नए नेता को बहुमत से चुना जाता है. वे 16-17 से अधिक विधायक नहीं थे." केसरकर (Kesarkar) ने आगे कहा, "विलय करने की कोई आवश्यकता नहीं है, हमारे गुट को अलग मान्यता दी जाएगी और हम किसी अन्य पार्टी के साथ विलय नहीं कर रहे हैं. हमारे गुट को मान्यता दी जानी चाहिए, अगर यह नहीं दिया गया है, तो हम अदालत (Court) में जाएंगे और अपने अस्तित्व को साबित करेंगे और संख्याएं. हमारे पास संख्याएं हैं, लेकिन हम सीएम उद्धव ठाकरे का सम्मान करते हैं, हम उनके खिलाफ नहीं बोलेंगे. हमें उस रास्ते पर चलना चाहिए जिस पर हमने विधानसभा चुनाव लड़ा था." उद्धव ठाकरे गुट ने हाल ही में 12 बागी विधायकों को अयोग्य ठहराने के लिए महाराष्ट्र विधानसभा के उपाध्यक्ष के समक्ष एक याचिका दायर की थी.


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