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Maharashtra Politics: उद्धव ठाकरे और बागी विधायकों में से किसका पलड़ा भारी, जानिए संविधान विशेषज्ञ उज्जवल निकम ने क्या कहा?

Maharashtra Crisis: उज्जवल निकम ने बताया कि संविधान के हिसाब से इस समय उद्धव ठाकरे पलड़ा भारी दिखाई दे रहा है.

Maharashtra Political Crisis: महाराष्ट्र की सियासत में राजनीतिक भूचाल के बीच अब नई सरकार बनाने की कवायद तेज हो गई है. कल फ्लोर टेस्ट को लेकर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के आदेश के बाद उद्धव ठाकरे ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा (Uddhav Thackeray Resignation) दे दिया था. उद्धव के इस्तीफे के साथ ही एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) और बीजेपी (BJP) ने राज्य में नई सरकार के गठन को लेकर तैयारियां शुरू कर दी हैं. सूत्रों के मुताबिक, अगले 48 घंटे में महाराष्ट्र के नए सीएम और डिप्टी सीएम को शपथ दिलाई जा सकती है. सीएम की दौड़ में बीजेपी के देवेंद्र फडणवीस (Devendra Fadnavis) का नाम सबसे आगे चल रहा है. वहीं, डिप्टी सीएम के लिए एकनाथ शिंदे को शपथ दिलाए जाने की चर्चा है. सूत्रों के मुताबिक, शिवसेना के 12 बागी विधायकों को मंत्री बनाया जा सकता है. 

महाराष्ट्र में नई सरकार के गठन को लेकर जिस प्रकार से हलचल बढ़ गई है. उसे देखकर लगता है कि बीजेपी और एकनाथ शिंदे गुट ने अपनी तैयारी पुख्ता कर ली है. लेकिन महाराष्ट्र में मचे इस सियासी उथल-पुथल के बीच बीजेपी के लिए नई सरकार बनाने की राह कितनी आसान रहने वाली है. इस पर संविधान विशेषज्ञ उज्जवल निकम ने एबीपी न्यूज के साथ खास बातचीत की. 

सवाल- बागी गुट का भविष्य क्या है?

उज्जव निकम- उज्जवल निकम ने कहा कि एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले बागी गुट का दावा है कि हम ही असली शिवसेना हैं. उन्होंने उस ग्रुप का नाम शिवसेना बालासाहेब ठाकरे रखा है. लेकिन सवाल इस बात का है कि एकनाथ शिंदे गुट के पास दो-तिहाई बहुमत है. हमने शिवसेना छोड़ी नहीं है. लेकिन आज फ्लोर टेस्ट में राज्यपाल विधानसभा में दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बीजेपी को सरकार बनाने का न्योता देगी और उसे 7-8 दिन के भीतर बहुमत साबित करने का समय देंगे.

लेकिन शिंदे गुट बीजेपी को स्वतंत्र या फिर बाहर से सपोर्ट करती है ये देखना होगा. ये कानूनी जंग जरूर चलेगी कि असली शिवसेना कौन है? एक तरफ जहां शिंदे गुट दावा कर रहा है कि वो असली शिवसेना है, तो वहीं शिवसेना के संविधान के मुताबिक उद्धव ठाकरे ताउम्र के लिए शिवसेना के अध्यक्ष हैं. 

सवाल- असली निकली शिवसेना में किसका पलड़ा भारी?

उज्जव निकम- संविधान के मुताबिक उद्धव ठाकरे का पलड़ा भारी है. लेकिन अगर एकनाथ शिंदे गुट ये दावा कर रहा है कि उनकी शिवसेना ही असली है तो ये मामला कोर्ट और चुनाव आयोग में ही जाकर सेटल होगा. इस मसले पर देखना होगा कि चुनाव आयोग किस तरह से फैसला लेता है. 

सवाल- शिंदे गुट को किसी मान्यता की पड़ेगी जरूरत?

उज्जव निकम- शिंदे गुट जैसा दावा कर रहा है कि उनके पास शिवसेना के दो तिहाई विधायकों का समर्थन हासिल है. ऐसे में वो एक अलग दल बनकर रहेंगे. उनकी पार्टी का नाम जैसा कि उन्होंने घोषणा की है शिवसेना बालासाहेब ठाकरे होगा. लेकिन शिवसेना को लेकर ये लड़ाई लंबी चलने वाली है. हांलाकि, आज संख्या बल में ना सही लेकिन संवैधानिक तौर पर उद्धव ठाकरे का ही पलड़ा भारी दिखाई दे रहा है. 

सवाल- शिंदे गुट की मंशा क्या है?

उज्जव निकम- इस बारे में अभी कुछ नहीं कहा जा सकता. शुरुआत में एकनाथ शिंदे गुट ने शिवसेना से एनसीपी और कांग्रेस से गठबंधन तोड़कर बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बनाने का दबाव डाला था. लेकिन बाद में ये लड़ाई असली और नकली शिवसेना पर आकर टिक गई है. इसलिए इस बारे में अभी कुछ भी कहा नहीं जा सकता. 

सवाल- बागी शिंदे गुट किसी पार्टी में कर सकता है विलय?

उज्जव निकम- ऐसा नहीं लगता कि शिंदे गुट किसी दूसरी पार्टी में विलय करेगा. क्योंकि एकनाथ शिंदे गुट शुरुआत से ही उद्धव ठाकरे पर एनसीपी और कांग्रेस से गठबंधन तोड़कर बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बनाने का दबाव डाल रहा है. बागी शिंदे गुट शुरुआत से ही दावा कर रहा है कि वो ही असली शिवसेना है जो बालासाहेब ठाकरे और हिंदुत्व की विचारधारा को आगे लेकर चल रहा है. ऐसे में नहीं लगता कि बागी गुट इतनी आसानी से शिवसेना को छोड़ने वाला है. 

सवाल- डिप्टी स्पीकर बागी गुट को शिवसेना बालासाहेब के तौर पर मान्यता देगा?

उज्जव निकम- शिंदे गुट ने सुप्रीम कोर्ट में जो याचिका दाखिल की थी उसमें उन्होंने कहा था कि जिस डिप्टी स्पीकर ने हमारे 16 विधायकों की सदस्यता को रद्द करने को लेकर नोटिस जारी किया था. हम उसी डिप्टी स्पीकर के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लेकर आए हैं. बागी विधायकों का कहना है कि डिप्टी स्पीकर अल्पमत में हैं और हम बहुमत में. आगे चलकर जब सरकार बनेगी तो सबसे पहले स्पीकर नियुक्त किया जाएगा. उसके बाद डिप्टी स्पीकर के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर क्या हाल होगा. जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने 11 जुलाई तक रोक लगा रखी है. सरकार बनते ही फुल टाइम स्पीकर की नियुक्ति की जाएगी. स्पीकर का अधिकार है कि वह डिप्टी स्पीकर के खिलाफ किस प्रकार का एक्शन लेता है. 

सवाल- असली शिवसेना को लेकर अंतिम फैसला सुप्रीम कोर्ट और चुनाव आयोग में से कौन करेगा?

उज्जव निकम- असली शिवसेना को लेकर अंतिम फैसला चुनाव आयोग से ही होगा. सुप्रीम कोर्ट से ये फैसला नहीं हो सकता. असली शिवसेना किसकी होगी इसका अंतिम फैसला केवल और केवल चुनाव आयोग ही कर सकता है. पार्टी और चुनाव चिह्न को लेकर अंतिम फैसला चुनाव आयोग को ही करना होता है. 

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