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UPDATE: मंदसौर की आग में झुलसा एमपी, उग्र किसानों ने 100 से ज्यादा गाड़ियों को आग में झोंका
नई दिल्ली: मध्यप्रदेश के मंदसौर में पुलिस फायरिंग में पांच किसानों के मारे जाने के बाद आज बवाल थमने के बजाए और बढ़कर राज्य के दूसरे हिस्सों में भी फैल गया. मंदसौर और पिपलिया मंडी में कर्फ्यू के बावजूद आंदोलन कर रहे किसानों ने उग्र प्रदर्शन किया.
मंदसौर में डीएम से मारपीट की गयी, पत्रकारों पर भी हमला हुआ. उस फैक्ट्री को जलाया गया जहां कुछ दिन पहले कुछ किसानों के साथ हाथापाई हुई तो देवास में थाने में आगजनी की कोशिश हुई है.
अबतक 100 से ज्यादा गाड़ियों को जलाया गया
कई जगह हाइवे पर जा रही गाड़ियों को भी निशाना बनाया गया. कुल मिलाकर अब 100 से ज्यादा गाड़ियों को जलाया गया है. नीमच, उज्जैन, देवास और मंदसौर भी स्थिति पर काबू पाने के लिए राज्य के गृह मंत्रालय ने आंतरिक सुरक्षाबलों की मांग की है. अब केंद्र सुरक्षाबलों की पांच बटालियन भेज रहा है.
सुबह हुआ मृतक किसानों का अंतिम संस्कार
इलाके में भारी विरोध प्रदर्शन के बीच आज सुबह मृतक किसानों का अंतिम संस्कार किया गया. इस दौरान लोगों का भारी हूजूम उमड़ा हुआ था. यहां एक किसान की शवयात्रा भी निकाली गई थी, इस दौरान उसके शव को तिरंगे से लपेट कर रखा गया था.
सीएम शिवराज का एक-एक करोड़ देने का एलान
हालात बिगड़ने के बाद कल देर रात प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मृतक किसानों के परिवार वालों को एक-एक करोड़ रुपए देने का एलान किया. पहले ये राशि केवल 10 लाख रुपए थी. वहीं गंभीर रुप से घायल लोगों को पांच-पांच लाख रुपए की मदद देने का भी सीएम ने एलान किया.
दो जून से किसान आंदोलन कर रहे हैं किसान
मध्य प्रदेश में दो जून से किसान आंदोलन कर रहे हैं. मध्य प्रदेश के किसानों की मांग है कि उन्हें उनकी फसलों की सही कीमत मिले और कर्जमाफी हो. तीन जून को शिवराज सिंह चौहान ने किसानों से मिलकर मामला सुलझने का दावा किया था. जिसके बाद एक धड़े ने आंदोलन वापस भी ले लिया था. लेकिन बाकी किसान विरोध प्रदर्शन पर अड़े रहे.
कल प्रदर्शनकारी और सुरक्षाबल आमने-सामने आए
कल प्रदर्शनकारी और सुरक्षाबल आमने-सामने आए. इसके बाद दोनों ओर से पथराव हुआ और फिर गोलियां चली, जिसमें पांच किसानों की मौत हो गई. प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि गोलियां सीआरपीएफ की तरफ से चलीं वहीं राज्य सरकार कह रही है कि उसने गोली चलाने के आदेश ही नहीं दिए.
क्या हैं किसानों की मांग और सरकार का पक्ष?
किसानों की पहली मांग है कि कर्ज पूरी तरह माफ हो. इस पर सरकारी पक्ष है कि इस पर एमपी सरकार ने कहा है कि पूरी तरह कर्ज माफ नहीं कर सकते. वहीं दूसरी ओर रिजर्व बैंक कह रहा है देश का घाटा बढ़ेगा, महंगाई बढ़ेगी. स्टेट बैंक कहता है कर्ज लौटाने का अनुशासन खराब होगा.
यूपी कैबिनेट ने छोटे किसानों का 1 लाख तक का कर्ज माफ करने की सिफारिश की यानी सारे किसानों को कर्जमाफी नहीं. महाराष्ट्र में 5 एकड़ से कम जमीन वाले किसानों की कर्जमाफी की तैयारी है इस पर अभी फैसला होना बाकी है
किसानों की दूसरी मांग है कि स्वामीनाथन आयोग की सिफारिश पर लागत से 50% ज्यादा फसलों की कीमत दी जाए. इस पर सरकार की हालत है कि राज्य सरकारों के पास फसल खरीदने की न नीति है, न तैयारी है. मध्य प्रदेश ने पिछले साल 65 करोड़ का प्याज खरीदा, खराब व्यवस्था के चलते सड़ गया. राज्यों के पास पैसे नहीं हैं, केंद्र ने भी कहा अपने खजाने से भरो.
किसानों की तीसरी मांग है कि खेती के लिए बिना ब्याज के कर्ज मिले. मध्य प्रदेश सरकार ने कहा है कि खेती के लिए शून्य ब्याज दर पर किसानों को कर्ज दे रहे हैं. महाराष्ट्र सरकार के पास फिलहाल ऐसी कोई नीति नहीं है. यूपी को अभी के कर्जमाफी के लिए 36 हजार करोड़ जुटाने भारी पड़ रहे हैं. ऐसे में बिना ब्याज कर्ज देना मुमकिन नहीं लगता.
किसानों की एक और बड़ी मांग है कि उन्हें पेंशन दी जाए. पेंशन की मांग पर किसी सरकार ने अभी तक विचार ही नहीं किया. सरकार कैसे किसानों का चयन करेगी, किसे कितनी पेंशन मिलेगी इस पर फिलहाल कोई नीति नहीं है.
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