Ladakh Statehood Demand: केंद्र लद्दाख को राज्य का दर्जा देने, इसे संविधान की छठवीं अनुसूची में शामिल करने और काफी ऊंचाई पर स्थित इस केंद्र-शासित प्रदेश के लिए एक विशेष लोक सेवा आयोग गठित करने की मांगों पर चर्चा करने के लिए सोमवार को सहमत हो गया. 


लद्दाख के विभिन्न संगठनों का प्रतिननिधित्व कर रहे शीर्ष निकाय लेह (एबीएल) और कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस (केडीए) के 14 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल और गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय की अध्यक्षता में लद्दाख के लिए गठित उच्चाधिकार प्राप्त समिति (एचपीसी) की बैठक में यह सहमति बनी. 


भूख हड़ताल का फैसला रद्द


एबीएल और केडीए की ओर से जारी एक संयुक्त प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया, ''बैठक में हमारी मुख्य मांगों पर चर्चा करने का निर्णय लिया गया जिनमें लद्दाख के लिए राज्य का दर्जा, इसे संविधान की छठवीं अनुसूची में शामिल करना और 24 फरवरी को लद्दाख के लिए विशेष लोक सेवा आयोग के गठन की मांग शामिल है.''


लद्दाख के दोनों संगठनों ने इस महत्वपूर्ण घटनाक्रम के मद्देनजर मंगलवार (20 फरवरी) से भूख हड़ताल करने की अपनी योजना को फिलहाल रद्द करने का फैसला किया. 


कई सदस्यों की सब-कमेटी हुई गठ‍ित 


बैठक में मांगों पर विचार करने की कवायद को आगे बढ़ाने के लिए एक संयुक्त उप-समिति गठित करने का निर्णय लिया गया. विज्ञप्ति में कहा गया, ''कुछ सदस्यों के साथ उप-समिति का गठन किया है जिसमें एबीएल का प्रतिनिधित्व करने वाले थुपस्तान छेवांग, चेरिंग दोर्जे लाक्रूक और नवांग रिगजिन जोरा के अलावा केडीए का प्रतिनिधित्व करने वाले कमर अली अखून, असगर अली करबलाई और सज्जाद कारगिली शामिल हैं.'' 


दोनों संगठनों ने उप-समिति के सदस्यों के नाम केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला को भेजे. विज्ञप्ति में कहा गया कि उप-समिति के सभी सदस्य दिल्ली में हैं और हम अगली बैठक में सार्थक चर्चा की आशा करते हैं. 


लद्दाख में फिलहाल एक लोकसभा क्षेत्र, नहीं कोई व‍िधानसभा


प्रतिनिधिमंडल की अन्य मांगों में दो लोकसभा सीट (एक कारगिल के लिए और एक लेह के लिए), केंद्रशासित प्रदेश के निवासियों के लिए रोजगार के अवसर भी शामिल हैं. लद्दाख में फिलहाल केवल एक लोकसभा क्षेत्र है. लद्दाख में कोई विधानसभा क्षेत्र नहीं है और पहले यह पूर्ववर्ती जम्मू-कश्मीर राज्य का हिस्सा था.


जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को 5 अगस्त, 2019 को निरस्त कर दिया गया था और तत्कालीन राज्य को जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के रूप में दो केंद्र-शासित प्रदेशों में विभाजित कर दिया गया था.  


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