Supreme Court News: तलाकशुदा पत्नी को अंतरिम गुजारा भत्ता देने के फैमिली कोर्ट के निर्देश को चुनौती देने वाली एक मुस्लिम शख्स की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते हुए सोमवार (19 फरवरी) को फैसला सुरक्षा रख लिया. एनडीटीवी की खबर के मुताबिक, जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की बेंच ने फैमिली कोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाले मामले की सुनवाई की.


दरअसल, एक तलाकशुदा मुस्लिम महिला ने दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) की धारा 125 के तहत फैमिली कोर्ट में याचिका दायर कर पति से गुजारा भत्ते की मांग की थी. फैमिली कोर्ट ने तलाकशुदा मुस्लिम महिला के पति को 20 हजार रुपये प्रति माह अंतरिम गुजारा भत्ता देने का आदेश दिया था. इस आदेश के खिलाफ शख्स ने तेलंगाना हाई कोर्ट का रुख किया था.


मुस्लिम पर्सनल लॉ के अनुसार हुआ था तलाक- याचिकाकर्ता


शख्स ने अपनी याचिका में बताया कि 2017 में मुस्लिम पर्सनल लॉ के अनुसार तलाक हुआ था, जिस पर फैमिली कोर्ट ने विचार नहीं किया. वहीं, फैमिली कोर्ट की ओर से अंतरिम गुजारा भत्ते को लेकर दिए गए निर्देश को हाई कोर्ट ने भी रद्द नहीं किया.


हालांकि, हाई कोर्ट ने विभिन्न पहलुओं पर गौर करते हुए याचिका की तारीख से गुजारा भत्ते के तौर पर भुगतान की जाने वाली 20 हजार रुपये की राशि को घटाकर 10 हजार कर दिया था. वहीं, फैमिली कोर्ट से कहा गया कि वो 6 महीने के भीतर मुख्य मामले को निपटाने की कोशिश करे.


तलाकशुदा मुस्लिम महिला का पति क्या बोला?


शख्स ने शीर्ष अदालत का रुख किया और कहा कि तलाकशुदा पत्नी दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 125 के तहत याचिका नहीं दे सकती है. याचिकाकर्ता ने कहा कि उसने तलाकशुदा पत्नी को इद्दत की तय अवधि के दौरान गुजारा भत्ते के रूप में 15 हजार रुपये दिए थे. 


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