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Rajpath Renamed: किंग्सवे से राजपथ तक और अब सेंट्रल विस्टा का कर्तव्य पथ, ये किस्सा है सदियों पुराने जमीं के एक छोटे टुकड़े का...

Kartavya Path Of Central Vista: ब्रिटिश हुकूमत के दौरान किंग्सवे (Kingsway) के तौर पर अपनी जिंदगी का सफर शुरू किया. इसके बाद राजपथ नाम मिला और अब 100 साल बाद ये कर्तव्य पथ कहलाएगा.

Kingsway To Rajpath To Kartavya Path: इसने ब्रिटिश हुकूमत के दौरान किंग्सवे (Kingsway) के तौर पर अपनी जिंदगी का सफर शुरू किया. लगभग 1920 के करीब नई दिल्ली को बनाने वाले आर्किटेक्ट एडविन लुटियंस (Edwin Lutyens) और हर्बर्ट बेकर (Herbert Baker) ने इसे एक सेरीमोनियल बुलवार्ड (Ceremonial Boulevard) में बदल डाला. दिल्ली का प्रतिष्ठित राजपथ जो राष्ट्रपति भवन (Rashtrapati Bhavan) से इंडिया गेट (India Gate) तक फैला है. ये अब राजपथ नहीं कहलाया जाएगा, क्योंकि इसका नाम बदलकर अब कर्तव्य पथ (Kartavya Path) रखा जाएगा.

देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) गुरुवार 8 सितंबर को इस नए रूप वाले सेंट्रल विस्टा एवेन्यू (Central Vista Avenue) का उद्घाटन करेंगे. ये एवेन्यू एक बड़ी सेंट्रल विस्टा परियोजना का हिस्सा है. इसके तहत एक नया त्रिकोणीय संसद भवन (Triangular Parliament Building), केंद्रीय सचिवालय और कई अन्य सरकारी कार्यालयों को दोबारा से बनाया जा रहा है, लेकिन ये तीन किलोमीटर का हिस्सा कोई मामूली हिस्सा नहीं है. इसका अपना एक छोटा सा इतिहास है. अब 100 साल के बाद इसमें बदलाव लाया जा रहा है और इसका नाम बदला जा रहा है. यहां किंग्सवे के राजपथ और फिर कर्तव्य पथ बनने के सफर की कहानी जानिए.

किंग्सवे

इस तीन किलोमीटर के हिस्से को ब्रिटिश हुकूमत (British Rule) के दौरान किंग्सवे (Kingsway) कहा जाता था. इसे लगभग 1920 में नई दिल्ली को बनाने वाले वास्तुकारों एडविन लुटियंस (Edwin Lutyens) और हर्बर्ट बेकर (Herbert Baker) ने इसे एक सेरीमोनियल बुलवार्ड (Ceremonial Boulevard)के तौर पर तैयार किया था. इसका मतलब पेड़ों की कतारों वाले ऐसे गलियारे से है जिसमें बेहद रस्मी कार्यक्रम किए जाते हैं. रायसीना हिल (Raisina Hill) पर बसे राष्ट्रपति भवन से लेकर विजय चौक और इंडिया गेट (India Gate) तक ये फैला है. इस एवेन्यू के दोनों तरफ विशाल लॉन, नहरें और पेड़ों की कतारें हैं. दरअसल, 1911 में ब्रिटिश सरकार ने अपनी राजधानी को कोलकाता (Kolkata) जिसे पहले कलकत्ता कहा जाता था, को दिल्ली लाने का फैसला किया.

नतीजन उन्होंने अपनी प्रशासनिक राजधानी (Administrative Capital) के तौर पर दिल्ली का निर्माण शुरू किया. लुटियंस (Lutyens) ने इसे एक आधुनिक शाही शहर की अवधारणा पर तैयार किया था, इसलिए इस हिस्सों को शाही समारोह की धुरी की तरह इस्तेमाल में लाने के लिए इसका नाम रखा गया. यह नाम लंदन में किंग्सवे के जैसा ही था. यही नहीं 1905 में जॉर्ज पंचम (George V) के पिता एडवर्ड सप्तम (Edward VII) के सम्मान में एक एक मुख्य सड़क भी यहां बनाई गई. दिल्ली का किंग्सवे वाइस रीगल पैलेस शहर का खूबसूरत दीदार करवाता है. अंग्रेजों के वक्त इसे वायसराय के घर के तौर पर जाना जाता था और अब ये राष्ट्रपति भवन कहलाता है. भारत के सम्राट जॉर्ज पंचम के सम्मान में सड़क का नाम किंग्सवे रखा गया. जो 1911 के दरबार के दौरान दिल्ली आए थे, जहां उन्होंने औपचारिक तौर पर अपनी राजधानी को स्थानांतरित करने के फैसले का एलान किया था.

राजपथ

भारत की आजादी के बाद किंग्सवे सड़क के अंग्रेजी के नाम का हिंदी तर्जुमा कर इसे 'राजपथ' हिंदी नाम दिया गया था. तब इस रास्ते का नाम नहीं बदला गया केवल इसका अनुवाद भर कर दिया गया था. हिंदी में राजपथ (Rajpath) का मतलब राजा के रास्ते से लिया जाता है. बीते 75 साल से इसे गणतंत्र दिवस परेड को दिखाने वाले हिस्से के तौर जाना जाता है. जो हर साल 26 जनवरी को होती है. आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय के फरवरी 2021 के एक बयान के मुताबिक आजादी के बाद सेंट्रल विस्टा एवेन्यू में कुछ सुधार किए गए. इससे यहां  का परिदृश्य बदल दिया गया. साल 1980 के दशक में पेड़ों की नई कतारें जोड़ी गईं. यही नहीं उत्तर-दक्षिण कनेक्टिविटी में सुधार लाने के लिए एक नई सड़क रफ़ी अहमद किदवई (Rafi Ahmed Kidwai Marg) मार्ग बनाया गया.

इस साल 15 अगस्त को लाल किले (Red Fort) से अपने संबोधन के दौरान पीएम नरेंद्र मोदी ने औपनिवेशिक मानसिकता (Colonial Mindset) से जुड़ी सभी निशानियों को खत्म करने पर जोर दिया था. अंग्रेजों की निशानी को मिटाने की लाल किले सी छेड़ी गई इस मुहिम में राजपथ से 8 सितंबर को एक और औपनिवेशिक अवशेष खत्म होने जा रहा है. एक दिन बाद ही द ग्रैंड कैनोपी (The Grand Canopy) को यहां से हटा दिया जाएगा. इसमें कभी जॉर्ज पंचम की मूर्ति ठसक से खड़ी रहती थी. यहां इस जगह पर नेताजी सुभाष चंद्र बोस (Netaji Subhash Chandra Bose) की 28 फीट की मूर्ति को लगाया जाएगा. गौरतलब है कि भारत में ब्रिटिश सत्ता की खिलाफत के लिए वो मशहूर रहे हैं.

कर्तव्य पथ

सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास परियोजना के निर्माण का काम फरवरी 2021 में शुरू हुआ. इसके पहले चरण में नए संसद भवन और सेंट्रल विस्टा एवेन्यू के पुनर्विकास के काम हुए. ये दिल्ली में सबसे अधिक बार देखे जाने वाली जगह और सैलानियों के आकर्षण का केंद्र है. हालांकि ये अभी सार्वजनिक सुविधाओं के मामले में मुफीद नहीं बैठता. इसमें अभी शौचालय, रास्ते, वेंडिंग जोन, पार्किंग, उचित प्रकाश व्यवस्था, साइनेज जैसी सुविधाओं की कमी खलती है. ये बात आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय ने 2021 की प्रेस रिलीज में बताई थी.

इस रिडेवलेपमेंट में लैंडस्केप को संवारने, हरित आवरण को 3.5 लाख वर्ग मीटर से बढ़ाकर 3.9 लाख वर्ग मीटर करने, एक नई सिंचाई प्रणाली के साथ ही बारिश के पानी को इकट्ठा करने के काम शामिल हैं. इसके साथ ही यहां जल्द एक सीवेज रीसाइक्लिंग प्लांट, सार्वजनिक शौचालय और पीने के पानी की सुविधा भी होगी. नहरों के ऊपर पैदल रास्ता और पुलों के अलावा एवेन्यू के साथ 10 जगहों पर वेंडिंग एरिया (Vending Area) भी बनाया जाएगा. गणतंत्र दिवस (Republic Day) समारोह के लिए हर साल अस्थायी तरीके से तैयार किए जाने वाली बैठने की व्यवस्था को भी बदला जाएगा. इसकी जगह यहां फोल्डेबल बैठने (Foldable Seating Arrangements) की व्यवस्था की जाएगी.सरकार ने इस 608 करोड़ रुपये के सेंट्रल विस्टा एवेन्यू प्रोजेक्ट के बारे में कहा है कि प्रोजेक्ट का मकसद इस एवेन्यू को एक ऐसा  आइकन बनाना है जो न्यू इंडिया को वास्तव में फायदा करता हो.

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