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निज्जर ने भारत में आतंकी हमलों के लिए की फंडिंग, कनाडा में कैंप लगाकर देता था हथियार चलाने की ट्रेनिंग, ISI को लेकर भी बड़ा खुलासा

India Canada Row: हरदीप सिंह निज्जर भारत में गिरफ्तार किए जाने के डर से 1996 में कनाडा भाग गया था. उसपर 10 लाख रुपये का नकद इनाम था.

Hardeep Singh Nijjar Killing Row: खालिस्तानी अलगाववादी नेता हरदीप सिंह निज्जर की हत्या को लेकर भारत (India) और कनाडा (Canada) में तनातनी पैदा हो गई है. इसी बीच भारतीय खुफिया एजेंसियों की ओर से तैयार किए गए एक डोजियर में कहा गया है कि निज्जर कोई धार्मिक और सामाजिक व्यक्ति नहीं, बल्कि एक आतंकवादी था. 

वह कनाडा में आतंकी प्रशिक्षण शिविर चलाने और आतंकवादी कृत्यों की फंडिंग में शामिल था. इंडिया टुडे के अनुसार, निज्जर ने पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई की सहायता से पाकिस्तान में प्रशिक्षण लिया था और देश के अन्य खालिस्तानी समर्थकों के साथ संबंध बनाए रखा था. 

आतंकवादी गतिविधियों के लिए की फंडिंग

दस्तावेज में कहा गया है कि उसने पंजाब और भारत के अन्य हिस्सों में आतंकवादी गतिविधियों को वित्त पोषित किया. प्रतिबंधित खालिस्तान टाइगर फोर्स (केटीएफ) का प्रमुख और भारत के मोस्ट वांटेड आतंकवादियों में शामिल हरदीप सिंह निज्जर (45) की कनाडा के ब्रिटिश कोलंबिया में 18 जून को एक गुरुद्वारे की पार्किंग में अज्ञात बंदूकधारियों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी. 

हथियार चलाने का प्रशिक्षण दिया

डोजियर में कहा गया है कि निज्जर ने बेखौफ होकर खालिस्तानी गतिविधियों को अंजाम दिया. उसने कनाडा में हथियार प्रशिक्षण शिविर आयोजित किए, जहां उसने लोगों को एके-47, स्नाइपर राइफल और पिस्तौल जैसे हथियार चलाने का प्रशिक्षण दिया. उसने कथित तौर पर राजनीतिक और धार्मिक हस्तियों के खिलाफ लक्षित हत्याओं और हमलों को अंजाम देने के लिए व्यक्तियों को भारत भी भेजा था. 

फर्जी पासपोर्ट पर भाग गया था कनाडा

निज्जर 1996 में रवि शर्मा के नाम से फर्जी पासपोर्ट पर कनाडा भाग गया था और ट्रक ड्राइवर और प्लंबर के रूप में काम कर रहा था. उसने कनाडा में भारत विरोधी हिंसक प्रदर्शन आयोजित किए थे और भारतीय राजनयिकों को धमकी दी थी. उसने कनाडा में स्थानीय गुरुद्वारों की ओर से आयोजित विभिन्न कार्यक्रमों में भाग लेने से भारतीय दूतावास के अधिकारियों पर प्रतिबंध लगाने की भी मांग की थी. 

2007 में कनाडाई नागरिक बना

खालिस्तानी आतंकवादी ने 1997 में उस महिला से शादी की जिसने कनाडा में उसके इमिग्रेशन को स्पान्सर किया था. निज्जर ने कनाडा की नागरिकता पाने के लिए ये फर्जी शादी की थी. हालांकि, कनाडा सरकार ने इस शादी को खारिज कर दिया था. अधिकारियों ने कहा कि महिला खुद 1997 में कनाडा पहुंची थी वो भी किसी और व्यक्ति से शादी करने के बाद. दस्तावेज में कहा गया है कि बाद में निज्जर 2007 में कनाडाई नागरिक बन गया था. 

जगतार सिंह तारा के संपर्क में आया

इसमें कहा गया है कि 1980 और 90 के दशक में, निज्जर खालिस्तान कमांडो फोर्स (केसीएफ) के आतंकवादियों से जुड़ा था. निज्जर ने 2012 में पाकिस्तान का दौरा किया था और वह एक अन्य प्रतिबंधित आतंकवादी समूह बब्बर खालसा इंटरनेशनल के प्रमुख और पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह के हत्यारे जगतार सिंह तारा के संपर्क में आया था. बैसाखी जत्था सदस्य होने की आड़ में निज्जर ने पाकिस्तान का दौरा किया था. 

आईएसआई ने दी थी ट्रैनिंग

सूत्रों के मुताबिक, निज्जर को तारा ने कट्टरपंथी बनाया था और आईएसआई ने उसे ट्रैन किया था. 2012 और 2013 में उसे आईईडी 'असेंबल' करने का प्रशिक्षण दिया गया. 2013 में तारा के संगठन का प्रमुख बनने के बाद निज्जर केटीएफ में शामिल हो गया. इसके बाद, उसने केटीएफ को मजबूत करने और पंजाब में आतंकवादी गतिविधियों के आयोजन के लिए 2013 और 2014 में तारा और आईएसआई अधिकारियों के साथ बैठकें करने के लिए पाकिस्तान का दौरा किया. 

केटीएफ की कमान संभाली

जगतार सिंह तारा ने जीपीएस डिवाइस को चलाने का प्रशिक्षण देने के लिए अमेरिका में रह रहे हरजोत सिंह बिरिंग को निज्जर के पास कनाडा भेजा. 2015 में, जगतार सिंह तारा को थाईलैंड से भारत निर्वासित किए जाने के बाद, निज्जर ने केटीएफ संचालन की भूमिका संभाली. कनाडा में रहने के दौरान, निज्जर ने हथियारों और जीपीएस उपकरणों के प्रशिक्षण के लिए एक और आतंकवादी को पाकिस्तान भेजा. उसने 2014 में आतंकी गतिविधियों के लिए तारा को 10 लाख रुपये भी भेजे थे. 

मोस्ट-वांटेड सूची में शामिल था नाम

पंजाब में लक्षित हत्याओं सहित कई आतंकवादी हमले कथित तौर पर निज्जर की ओर से किए गए थे. उसका नाम फरवरी 2018 में पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की ओर से कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो को सौंपी गई मोस्ट-वांटेड सूची में शामिल था. डॉजियर के अनुसार, निज्जर मूल रूप से पंजाब के जालंधर के भारसिंहपुर का रहने वाला था. उसका आतंक से संबंधित गतिविधियों में शामिल होने का एक लंबा इतिहास था. 

अपहरण और हत्या की साजिश रची

पुलिस सूत्रों का कहना है कि निज्जर का खालिस्तानी आतंकवाद में प्रवेश तब सामने आया जब वह सिख लिबरेशन फ्रंट (एसएलएफ) के संस्थापकों में से एक मोनिंदर सिंह से जुड़ा. निज्जर और अन्य लोगों ने एक आतंकवादी गिरोह बनाया और चार लोगों को भर्ती किया. डोजियर में कहा गया है कि उन्होंने पंजाब में समाज के विभिन्न वर्गों के बीच भय और असंतोष की भावना पैदा करने के लिए अन्य धर्मों के लोगों के अपहरण और हत्या की साजिश रची. 

आतंकी वारदातों को अंजाम देने के लिए लालच दिया

जांच से पता चला है कि निज्जर और अर्शदीप ने शूटर्स को कनाडा में उनके लिए वीजा, शानदार नौकरी और अच्छी कमाई की व्यवस्था करने के बदले में आतंकी वारदातों को अंजाम देने का लालच दिया था. शुरू में, उन्हें पंजाब में व्यापारियों को धमकाने और उनसे पैसे वसूलने के लिए प्रेरित किया गया था.. इसके बाद, उन्हें कट्टरपंथी बनाया गया और अन्य धर्मों के लोगों की हत्या के आतंकवादी कृत्यों को अंजाम देने के लिए प्रेरित किया गया.

2010 के पटियाला बम विस्फोट में आरोपी रमनदीप सिंह ने खुलासा किया कि निज्जर हमले को अंजाम देने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करने में शामिल था. उन्होंने यह भी कहा था कि निज्जर ने पंजाब और देश के अन्य हिस्सों में आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की थी. 2014 में, कनाडाई नागरिक सुरजीत सिंह कोहली ने निज्जर के कहने पर भारत का दौरा किया.

अक्टूबर 2014 में, जब जगतार सिंह तारा थाईलैंड में छिपा हुआ था, तो उसने व्यक्तिगत रूप से उसकी मदद करने के लिए निज्जर को बुलाया, जो कनाडा में था. तारा को गिरफ्तार कर लिया गया और बाद में निर्वासित कर दिया गया, निज्जर कनाडाई नागरिक होने के कारण छूट गया और जांच से बचने में कामयाब रहा. तारा के लिए काम करते हुए निज्जर ने नवंबर 2014 में बैंकॉक से पाकिस्तान की यात्रा की. 

पंजाब में दंगे की योजना बनाई

बताया जाता है कि कनाडा लौटने पर रॉयल कैनेडियन माउंटेड पुलिस ने निज्जर से पूछताछ की थी. दिसंबर 2015 में, निज्जर ने मनदीप सिंह धालीवाल को एके-47 असॉल्ट राइफल, एक स्नाइपर राइफल और एक पिस्तौल के इस्तेमाल में प्रशिक्षित करने के लिए मिशन हिल्स, ब्रिटिश कोलंबिया, कनाडा में एक हथियार प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया. जनवरी 2016 में, निज्जर ने धालीवाल को शिवसेना नेताओं को मारने और राज्य में सांप्रदायिक स्थिति पैदा करने के लिए पंजाब भेजा. हालांकि, उसी साल जून में पंजाब पुलिस ने धालीवाल को पकड़ लिया.

सूत्रों के अनुसार, निज्जर ने गैंगस्टर से आतंकवादी बने अर्शदीप सिंह दल्ला के साथ मिलकर चार केटीएफ सदस्यों के एक मॉड्यूल को प्रशिक्षित किया और इसके कारण 2020 और 2021 में लक्षित हत्याओं, फिरौती और अपहरण को अंजाम देने के लिए गिरोह का गठन हुआ. 

डेरा सच्चा सौदा पर करने वाला था आतंकी हमला

डोजियर के मुताबिक, निज्जर ने 2014 में सिरसा के डेरा सच्चा सौदा पर आतंकी हमले की योजना बनाई थी, लेकिन भारत का वीजा नहीं मिलने के कारण वह ऐसा नहीं कर सका. इसलिए उसने अपने मॉड्यूल को पूर्व डीजीपी मोहम्मद इजहार आलम, पंजाब स्थित शिव सेना नेता निशांत शर्मा और बाबा मान सिंह पिहोवा वाले को निशाना बनाने का निर्देश दिया. 

एनआईए ने कनाडा में खालिस्तानी अलगाववादी मनदीप सिंह धालीवाल से जुड़े एक मॉड्यूल को खड़ा करने के लिए निज्जर के खिलाफ कई मामले दर्ज किए हैं और साथ ही इंटरपोल का रेड कॉर्नर नोटिस भी जारी किया है. निज्जर एक अन्य प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन ‘सिख फॉर जस्टिस’ (एसएफजे) की कनाडा इकाई का भी प्रमुख था. 

कनाडा के पीएम के बयान से खड़ा हुआ विवाद

गृह मंत्रालय (एमएचए) ने जुलाई 2020 में निज्जर को नामित किया और एनआईए ने उसके लिए 10 लाख रुपये के नकद इनाम की घोषणा की. जांच एजेंसी ने खालिस्तानी आतंकवादी के खिलाफ मोहाली की अदालत में आरोप पत्र भी दायर किया था. कनाडा के पीएम ट्रूडो ने निज्जर की हत्या में भारतीय एजेंटों की संभावित संलिप्तता का आरोप लगाया है जिससे कनाडा और भारत के बीच कूटनीतिक विवाद शुरू हो गया है. 

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