Karnataka CM Basavaraj Bommai: कर्नाटक में विधानसभा चुनाव से पहले सत्तारूढ़ बीजेपी ने राज्य के अनुसूचित जनजाति के वोटरों को साधने के लिए 'एसटी कन्वेंशन' का आयोजन किया. इस जनसभा में हजारों लोग शामिल हुए. मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई (CM Basavaraj Bommai) के अलावा राज्य के तमाम बड़े नेता और राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा (JP Nadda) ने भी इस कार्यक्रम में शामिल हुए. शहर की हर गली नुक्कड़ भगवा रंग में रंगे हुए दिखाई दिए.


पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा, सीटी रवि, अरुण सिंह और श्रीरामुलु भी मौजूद रहें. मीडिया से बातचीत के दौरान मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने मेंगलुरु में हुए ऑटो ब्लास्ट केस पर कहा कि यह 'एक्ट ऑफ टेरर' है. मुख्यमंत्री ने कहा कि इस नेटवर्क को पूरी तरह से खत्म किया जाएगा.


सीएम बसवराज बोम्मई ने क्या कहा?


सीएम बोम्मई ने बेल्लारी में अनुचित जाति समुदाय को संबोधित करते हुए कहा, "हमारी सरकार ने एससी और एसटी समुदायों को अधिक सुविधाएं दी हैं. मोदी सरकार ने आजादी के बाद एसटी समुदाय के लिए आरक्षण बढ़ाया. कांग्रेस ने बेल्लारी के एक छोटे से मैदान में भारत जोड़ो यात्रा सम्मेलन आयोजित किया और इसे सुनामी करार दिया. अब आओ और देखो, आज सुनामी का बाप शामिल है. बेल्लारी के लिए सोनिया गांधी ने जिले को तीन हजार करोड़ रुपये पैकेज की घोषणा की थी. जीतने के बाद उन्होंने तीन रुपये नहीं दिए. बेल्लारी की जनता को धोखा देने के लिए कांग्रेस को इस बार उचित सबक सिखाया जाना चाहिए."


अपने भाषण के जरिए मुख्यमंत्री ने न सिर्फ बेल्लारी बल्कि आसपास के जिलों से भी अनुसूचित जाति के समुदाय को साधने की कोशिश की. इसमें कोई दो राय नहीं कि कर्नाटक विधानसभा चुनाव में अब 6 महीने से भी कम का वक्त बचा है. ऐसे में बीजेपी को अगर चुनाव जीतना है, तो अनुचित जनजाति का समर्थन बेहद ही जरूरी है. कर्नाटक के जाति समीकरण पर अगर नजर डालें तो ट्रेडिशनल तौर पर लिंगायत समुदाय कर्नाटक में सत्ता की चाबी पर अपना दबदबा रखता है. 


बीजेपी की एससी-एसएसटी वोटरों पर नजर


लिंगायत समुदाय बीजेपी का ट्रेडिशनल वोटर भी रहा है. हालांकि, इसके साथ ही एससी-एसएसटी का भी समर्थन अगर बीजेपी मिल जाए तो उसके लिए सत्ता पाना और भी आसान हो सकता. यही, कारण है की बीजेपी ने अपने तमाम कार्यों को रैली के जरिये आगे रखा. इस सम्मेलन में शामिल बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने भी कह दिया कि 70 साल तक आदिवासियों की सुध किसी ने नहीं ली, जबकि बीजेपी ने राष्ट्रपति बनाया. 


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