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Jammu Kashmir: लश्कर-ए-तैयबा के 'द रेजिस्टेंस फ्रंट' ने फिर दिए देश को जख्म, सरकार ने कर रखा है बैन, कौन करता है इसकी फंडिंग, जानें

UAPA Act: गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) वह अधिनियम है जिसके तहत देश की एकता, अखंडता और शांति प्रभावित करने वाले तत्वों के खिलाफ कार्रवाई की जाती है.

LeT Attacks In India: जम्मू कश्मीर के अनंतनाग जिले के कोकेरनाग क्षेत्र में आतंकियों से मुठभेड़ में सेना के एक कर्नल, एक मेजर और जम्मू कश्मीर पुलिस के डीएसपी रैंक के अफसर बुधवार (13 सितंबर 2023) को शहीद हो गए. जम्मू कश्मीर के अनंतनाग जिले के कोकेरनाग क्षेत्र में आतंकियों से मुठभेड़ में सेना के एक कर्नल, एक मेजर और जम्मू कश्मीर पुलिस के डीएसपी रैंक के अफसर बुधवार (13 सितंबर 2023) को शहीद हो गए. 

अधिकारियों का मानना है कि ये उन आतंकवादियों का समूह है जिन्होंने चार अगस्त को कुलगाम जिले के हलाण वनक्षेत्र के ऊंचाई वाले इलाके में सेना के जवानों पर हमला किया था, जिसमें तीन जवान शहीद हो गए थे. हम इस रिपोर्ट में आपको इस आतंकी संगठन, भारत के प्रति इसकी साजिश, इसकी फंडिग और भारत सरकार द्वारा इस पर गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) के बारे में पूरी जानकारी देंगे.

अस्तित्व में कैसे आया?
द रेजिस्टेंस फ्रंट जम्मू-कश्मीर में पाकिस्तान द्वारा समर्थित आतंकी संगठन लश्कर ए तैयबा की भारत में एक ईकाई है. अगस्त 2019 में 370 हटने के बाद पाकिस्तान की मदद से लश्कर ए तैयबा ने इस आतंकी संगठन को जम्मू कश्मीर में लॉन्च किया. सबसे पहले इसे ऑनलाइन माध्यम से प्रमोट किया गया उसके बाद वादी में पहले से ही मौजूद तहरीक-ए-मिल्लत इस्लामिया और गजनवी हिंद सहित विभिन्न संगठनों ने  घाटी में इसका नेटवर्क बनाने में मदद की. 

जम्मू कश्मीर में काम कर रहे वरिष्ठ सुरक्षा अधिकारियों ने बताया सरकार के रडार से बचने के लिए सीमा पार से इसकी रिब्रांडिग ऐसे की गई कि यह पूरी तरह से धारा 370 हटाने के बाद जम्मू कश्मीर के लोगों का आंदोलन लगे. ऐसा राज्य की सुरक्षा एजेंसियों के रडार से बचने के लिए किया गया था, लेकिन सुरक्षा एजेंसियों ने इसके मनसूबों को पहले ही ट्रैक करके सरकार को अलर्ट कर दिया. जिसके बाद से सरकार ने इसको आतंकी संगठन घोषित करते हुए यूएपीए की लिस्ट में डाल दिया.

क्या था उद्देश्य जिससे पाकिस्तान को होता फायदा?
पाकिस्तान की एजेंसियां इसको लश्कर ए तैयबा और जैश ए मोहम्मद का नेटवर्क, कैंप, कॉडर और ट्रेनिंग तो देना चाहती थी लेकिन वह इसको सिर्फ जम्मू और कश्मीर के भीतरी इलाकों में ही रखना चाहती थी. उनका बेसिक उद्देश्य यह था कि जब भी यह वहां पर किसी आतंकी गतिविधि को अंजाम दें तो ऐसा लगे कि यह संगठन जम्मू कश्मीर के नागरिकों का बनाया हुए भारत सरकार के खिलाफ प्रतिरोध का संगठन है. इससे पाकिस्तान को यह फायदा होता कि वह अंतरराष्ट्रीय मंचों पर इसका उल्लेख करके भारत को घेर सकता था. 

2020 से निहत्थे लोगों को निशाना बनाना शुरू किया
2020 से ही इस आतंकी संगठन ने जम्मू कश्मीर में रहने वाले कश्मीरी पंडितों, वहां रोजगार की तलाश में गए भारत के अन्य राज्यों के श्रमिकों को निशाना बनाना शुरू कर दिया था. घाटी में पहले से एक्टिव लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद और हिजबुल मुजाहिदीन के विपरीत इस आतंकी संगठन ने अपने हमलों की जिम्मेदारी लेनी शुरू कर दी.

इसके नापाक मंसूबों का खुलासा तब हुआ जब जम्मू-कश्मीर पुलिस ने सोपोर में ओवर ग्राउंड वर्कर्स (ओजीडब्ल्यू) के एक मॉड्यूल का भंडाफोड़ किया. सोपोर पारंपरिक रूप से हिजबुल मुजाहिदीन और जैश मोहम्मद का बेस थे. गिरफ्तार किए गए लोगों ने खुलासा किया की टीआरआफ नए संगठन के युवाओं की भर्ती कर रहा है.

कौन करता है पैसे और हथियारों को सप्लाई?
इसके पैसे और हथियारों की सप्लाई सीमा पार से लश्कर के कॉडर और चैनल का इस्तेमाल करके आती है. प्लानिंग के मुताबिक सोशल मीडिया पर ये संगठन खुद को स्वतंत्र आतंकी संगठन बताते हैं लेकिन इनके टॉरगेट सेम हैं. बीते साल की एक रिपोर्ट में जम्मू कश्मीर की सुरक्षा एजेंसियों ने गृह मंत्रालय को बताया कि मारे गए या पकड़े गए आतंकियों में से 108 आतंकी टीआरएफ के थे. वहीं 2022 में ही 100 में से कुल 74 लोगों ने इस आतंकी संगठन को ज्वाईन किया था. 

इससे पता चलता है कि ये सभी संगठन अब इसको ही आगे रखकर अपनी गतिविधियों को अंजाम देना चाहते हैं. लिहाजा भारत की सुरक्षा एजेंसियां लगातार इनके ठिकानों को नेस्तनाबुद करने में लगी हुई हैं. इसलिए सर्च ऑपरेशन में इन आतंकियों से सेना की मुठभेड़ होती है और देश के होनहार जवान शहीद हो जाते हैं. 

ये भी पढ़ें: अनंतनाग एनकाउंटर के बाद सुरक्षाबलों का एक्शन, आतंकियों की तलाश में कॉम्बिंग ऑपरेशन, दहशतगर्दों को घेरा

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