Farooq Abdullah on Bhajans: जम्मू-कश्मीर के स्कूलों में महात्मा गांधी के पसंदीदा भजन 'रघुपति राघव राजा राम' को लेकर विवाद में सियासत गरमा गई है. इस बीच भजन को लेकर पीडीपी चीफ महबूबा मुफ्ती (Mehbooba Mufti) के बयान से नेशनल कॉन्फ्रेंस ने यू टर्न ले लिया है. नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारूख अब्दुल्ला (Farooq Abdullah) ने महबूबा मुफ्ती के बयान को लेकर असहमति जताई है. नेशनल कॉन्फ्रेंस के मुखिया फारूक अब्दुल्ला का रूख महबूबा से अलग दिख रहा है. 


'रघुपति राघव राजा राम' भजन को स्कूलों में गाए जाने पर पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती की ओर से सांप्रदायिक रंग दिए जाने को नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष ने गलत ठहराया है. फारूख अब्दुल्ला ने कहा है कि वो भी भजन गाते हैं, इसमें गलत क्या है?


नेशनल कॉन्फ्रेंस का यू-टर्न!


नेशनल कॉन्फ्रेंस (National Conference) के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने महबूबा मुफ्ती के बयान से असहमति जताते हुए आगे कहा कि अगर हिंदू अजमेर शरीफ दरगाह जाते हैं, तो क्या वे मुसलमान (Muslims) बन जाते हैं? ठीक इसी तरह, अगर मुस्लिम माता वैष्णो देवी के पास जाएंगे, तो क्या वे हिंदू बन जाएंगे?


मुफ्ती ने भजन को लेकर बीजेपी पर किया था हमला


दरअसल, पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने 19 सितंबर को एक वीडियो साझा कर भजन को लेकर सवाल खड़े किए थे. इस वीडियो में एक स्कूल में कुछ बच्चे 'रघुपति राघव राजा राम' भजन गाते दिख रहे थे. पीडीपी अध्यक्ष इसे लेकर केंद्र की मोदी सरकार को निशाने पर लिया था. महबूबा मुफ्ती ने कहा था कि धार्मिक नेताओं को जेल में डालकर, जामा मस्जिद को बंद कर और स्कूली बच्चों को हिंदू भजन गाने का निर्देश देने से कश्मीर में  केंद्र सरकार का असली हिंदुत्व के एजेंडे का खुलासा हो गया है.






नेशनल कॉन्फ्रेंस ने पहले क्या कहा था?


बता दें कि नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला के बयान से पहले इस पार्टी ने इस मसले का राजनीतिकरण किया था. भजन गाते हुए छात्रों का वीडियो शेयर करते हुए नेशनल कांफ्रेंस के प्रवक्ता इमरान नबी डार ने कहा था कि दक्षिण कश्मीर में कहीं, इन बच्चों को भजन गाने के लिए दबाव बनाया जा रहा है. क्या हमारे शैक्षणिक संस्थानों को एक सियासी टूल में बदल दिया गया है? 






क्या बीजेपी को होगा फायदा?


उधर, पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती (Mehbooba Mufti) के इन आरोपों को बीजेपी ने खारिज किया है. बीजेपी का कहना है कि बिना तथ्यों को जानें झूठ फैलाने की कोशिश हुई. बहरहाल फारूक अब्दुल्ला के महबूबा मुफ्ती के बयान पर असहमति जताने के बाद एक तरह से बीजेपी को ही फायदा हो सकता है. इस बात को लेकर भी सवाल उठने लगे हैं कि क्या अब पीडीपी (PDP) और नेशनल कॉन्फ्रेंस के बीच दोस्ती बिखर रही है?


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