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भारतीय सेना के लिए तय किए गए बजट का पैसा कहां जाता है?

भारत में जब चीन और पाकिस्तान एक साथ हमला करे तो जल, थल और वायु तीनों सेनाओं के पास कुछ ऐसे हथियार होने बेहद जरूरी  हैं, जो दोनों दुश्मन देशों की हालत पस्त कर सके.

स्कॉटहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (सिपरी) ने वैश्विक मिलिट्री खर्च पर रिपोर्ट जारी की है. जिसके अनुसार सैन्य पर होने वाले खर्चों के मामले में भारत अब दुनिया का चौथा सबसे बड़ा देश बन गया है. यह खर्च साल 2021 की तुलना में 3.7 प्रतिशत बढ़कर 2240 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया है

इसी रिपोर्ट के अनुसार चीन पहले से लगभग चार गुना ज्यादा और अमेरिका पहले से लगभग 10 गुना ज्यादा अपने रक्षा बजट पर खर्च कर रहा है. माना जा रहा है कि अमेरिका, रूस और यूरोपीय देशों के रक्षा खर्च को बढ़ाने का सबसे बड़ा कारण पिछले साल यूक्रेन पर हुए हमले और चीन की ताइवान को दिखाई तल्खी है. 

सिपरी के आंकड़ों के अनुसार दुनियाभर में देशों के बीच बढ़ते तनावों को देखते हुए सभी देश ग्लोबल वार्मिंग, पर्यावरण, आर्थिक विकास जैसे जरूरी मुद्दों पर ध्यान देने या खर्च करने की जगह हथियारों की खरीदने और अन्य सैन्य तैयारी करने पर बजट का बड़ा हिस्सा खर्च कर रहे हैं. भारत ने भी अपना रक्षा बजट इसलिए बढ़ाया है क्योंकि भारत के फिलहाल दो पड़ोसी देश चीन और पाकिस्तान से रिश्ते तनावपूर्ण हैं.

भारत का खर्च लगातार बढ़ क्यों रहा है?

भारत में जब चीन और पाकिस्तान एक साथ हमला करते हैं तो जल, थल और वायु तीनों सेनाओं के पास कुछ ऐसे हथियार होने बेहद जरूरी हैं, जो दोनों दुश्मन देशों की हालत पस्त कर सकें. इसी वजह से चीन और पाकिस्तान बड़ा हमला करने की नहीं सोच सकते. चीन और पाकिस्तान से सुरक्षा और जरूरी होने पर हमला करने के लिए स्वदेशी हथियारों की जरूरत है. इसलिए भारत का रक्षा बजट बढ़ा है. 

भारतीय सेना के लिए बनाए गए बजट का पैसा कहां जाता है

1. कैपिटल हेड- इस पैसे से हथियार, गोला-बारूद, फाइटर प्लेन आदि खरीदा जाता है.

2. डिफेंस रिसर्च- दुनिया के अन्य देशों के डिफेंस सेक्टर में क्या हो रहा है. इसका विश्लेषण करते हुए हमारे पास जो संसाधन हो उसे बेहतर करना.

3. सैन्य आधुनिकीकरण- सेना को सभी आधुनिक हथियार मुहैया करवाना ताकि वह आने वाले चुनौतियों से निपट सकें.

4. खाने पीने व रहने पर- रक्षा बजट में सेना के खाने पीने और रहने पर खर्चा किया जाता है. इस बात का ख्याल रखा जाता है कि सेना को हर वो पौष्टिक आहार मिले जिससे वह न सिर्फ शारीरिक बल्कि मानसिक तौर पर भी मजबूत हो.

सबसे ज्यादा खर्च करने वाले पांच बड़े देश

अमेरिकाः 71 लाख करोड़ रुपए (0.7% बढ़ोतरी)
चीनः  23 लाख करोड़ रुपए (4.2% का इजाफा)
रूसः 7 लाख करोड़ रुपए (9.2% की बढ़त)
भारतः 6 लाख करोड़ रुपए (6% बढ़ोतरी)
सऊदी अरब: 5.8 लाख करोड़ रुपए (16% बढ़ा)

इन देशों के रक्षा बजट भी जान लीजिए

रक्षा बजट के मामले में 6वें स्थान पर ब्रिटेन है, जिसका मिलिट्री खर्च 68.5 अरब डॉलर है. 7वें स्थान पर आता है जर्मनी, जिसका रक्षा बजट 55.8 अरब डॉलर है. 8वें स्थान पर फ्रांस है जिसका रक्षा बजट 53.6 अरब डॉलर है, दक्षिण कोरिया 46.4 अरब डॉलर बजट के साथ 9वें और जापान 46 अरब डॉलर रक्षा बजट के साथ 10वें स्थान पर है.

साल 2022 में सबसे ज्यादा खर्च करने वाले ये तीन देश हैं

सिपरी के अनुसार दुनियाभर के अन्य देशों में जितना खर्च मिलिट्री पर हो रहा है, उसका 57 प्रतिशत हिस्सा केवल तीन देश कर रहे हैं. अमेरिका, रूस और चीन. सबसे ज्यादा ऐतिहासिक बढ़त यूरोपीय देशों में देखने को मिली है. यूरोपीय देशों पिछले 30 साल का सबसे बड़ा इजाफा किया है. यूरोपीय देशों ने अपने रक्षा बजट में 13 फीसदी की बढ़ोतरी की है. वजह रूस और यूक्रेन के बीच चल रही जंग है.

हथियारों पर 2,240 बिलियन डॉलर किए गए खर्च

सिपरी के रिपोर्ट के अनुसार दुनिया में हथियारों पर 2,240 बिलियन डॉलर खर्च किए गए. साल 2022 में कुल वैश्विक सैन्य खर्च 3.7 प्रतिशत बढ़कर 2,240 बिलियन डॉलर (1,83,46,48,48,000 रुपये) तक पहुंच गया है. और यह अब तक का सबसे बड़ा मिलिट्री खर्च है. इसी रिपोर्ट के अनुसार यूरोपीय देशों ने कम से कम 30 सालों में अपनी सबसे तेज वर्ष-दर-वर्ष वृद्धि दर्ज की है. 

सबसे ज्यादा बढ़ोतरी वाले यूरोपीय देश 

फिनलैंडः 36 फीसदी
लिथुआनियाः 27 फीसदी
स्वीडनः 12 फीसदी
पोलैंडः 11 फीसदी

सैन्य खर्च के मामले में दूसरे नंबर पर है चीन, क्यों बढ़ा रहा है सैन्य ताकत

सैन्य खर्च के मामले में अकेले चीन ही हर साल 200 अरब डॉलर से ज्यादा खर्च करता है. साल 2023 के बजट में चीन का रक्षा खर्च बढ़कर 1.55 ट्रिलियन युआन (लगभग 225 बिलियन डॉलर) हो गया. यह 2022 के बजट से 7.2 प्रतिशत अधिक है, और यह सैन्य खर्च में लगातार आठवें वर्ष वृद्धि हुई है.

सिपरी की रिपोर्ट के अनुसार चीन ने ताइवान और साउथ चाइना सी पर अमेरिका से बढ़े विवादों के बीच अपने डिफेंस बजट में तेजी से बढ़ोतरी की है. इसके साथ ही यह देश लगातार भारतीय सीमा पर तैयारियां मजबूत कर रहा है. अमेरिका के बाद चीन मिलिट्री पर सबसे ज्यादा पैसा खर्च करने वाला दूसरा देश बन गया है. दुनिया में सबसे ज्यादा अमेरिका का सैन्य खर्च है, जो इस वर्ष के लिए 842 अरब डॉलर निर्धारित किया गया.

पाकिस्तान ने भी अपने बजट को 6 फीसदी बढ़ाया

साल 2021-22 में पाकिस्तान ने भी सेना पर होने वाले खर्च को 6 फीसदी बढ़ा दिया था. साल 2022-23 में इसे फिर 2.69 फीसदी बढ़ाया गया. साल 2022 में इस देश का मिलिट्री खर्च 1.52 लाख करोड़ था. जबकि साल 2021 में पाकिस्तान सेना पर 1.37 लाख करोड़ रुपए खर्च किए था. जिसके बाद में इसे रिवाइज करके 1.45 लाख करोड़ किया गया था. यह बजट पाक रक्षा मंत्रालय ने बजट बढ़ाने की मांग के बाद बढ़ाया गया था. 

सऊदी अरब ने 2022 में रक्षा पर 7,500 करोड़ डॉलर किया खर्च

साल 2022 में सऊदी अरब ने रक्षा पर 7,500 करोड़ डॉलर का खर्च किया, जो पिछले साल की तुलना में 16 प्रतिशत अधिक है. बताया गया है कि यमन युद्ध के कारण सऊदी अरब के रक्षा बजट में वृद्धि हुई है.

दुनिया के कुल खर्च का 39 फीसदी हिस्सा सिर्फ अमेरिका में खर्च किया गया 

अमेरिका की बात करें तो साल 2022 में पूरी दुनिया के रक्षा खर्च का 39 प्रतिशत हिस्सा सिर्फ इसी देश में खर्च हुआ है. अमेरिका का मिलिट्री खर्चा चीन के खर्चे से तीन गुना ज्यादा है. वहीं दूसरी तरफ चीन और उत्तर कोरिया के डर से जापान ने भी अपने रक्षा बजट को बढ़ा दिया है और 3 लाख करोड़ कर दिया है. यह साल 1960 के बाद सबसे ज्यादा सैन्य खर्च है.

चीन ने पिछले साल रक्षा मामलों पर 29,200 करोड़ डॉलर खर्च किए, जो अमेरिका से काफी कम है. लेकिन फिर भी अमेरिकी नेताओं और सेना को डर है कि चीन तेजी से अपनी पकड़ बढ़ा रहा है और इस सेक्टर के अंतर को पाट रहा है. 

इस देश का कम हुआ बजट

साल 2018 के बाद अफ्रीका का सैन्य खर्च पहली बार कम हुआ है. 2021 की तुलना में 2022 में अफ्रीका का रक्षा खर्च 5.3 प्रतिशत कम होकर 3,940 करोड़ डॉलर हो गया.

भारत को हथियार खरीदने के लिए 2021-22 में कितने पैसे मिले 

संसद की स्टैंडिंग कमेटी ऑन डिफेंस ने लोकसभा में रिपोर्ट पेश करते हुए कहा कि बॉर्डर पर तनाव को देखते हुए सेना को जितना बजट देना चाहिए उतना नहीं मिल पा रहा है.

संसद की स्टैंडिंग कमेटी ऑन डिफेंस के अनुसार साल 2021-22 में थल सेना ने 46,844 करोड़ रुपए के बजट की मांग की थी, लेकिन सिर्फ 32,115 करोड़ रुपए दिए गए. वायुसेना को भी 85,323 करोड़ रुपए के बदले सिर्फ 56,852 करोड़ रुपए और नौसेना को 67,623 करोड़ रुपए के बजाय 47,591 करोड़ रुपए मिले हैं. साल 2021-22 में एयरफोर्स को 53 हजार करोड़ रुपए, आर्मी को 36 हजार करोड़ और नेवी को 33 हजार करोड़ रुपए मिले थे.

5 साल में कब और कितना बढ़ा डिफेंस बजट?


वित्तीय वर्ष            कुल बजट                         

2019-  20            4.31 लाख करोड़ रुपए     

2020-21             4.71 लाख करोड़ रुपए      

2021-22            4.78 लाख करोड़ रुपए      

2022-23            5.25  लाख करोड़ रुपए 

डिफेंस रिसर्च पर 1 प्रतिशत से भी कम खर्च करता है भारत

कमेटी की रिपोर्ट के अनुसार डिफेंस रिसर्च पर भारत सरकार रक्षा बजट का 1 प्रतिशत से भी कम खर्च कर रही है. चीन डिफेंस रिसर्च पर कुल रक्षा बजट का 20 प्रतिशत और अमेरिका 12 प्रतिशत खर्च करता है.

चीन से सीमा पर 2020 से तनाव जारी है

साल 2020 के जून महीने में गलवान घाटी में सैन्य झड़प के बाद से ही भारत और उसके पड़ोसी देश चीन के बीच तनाव जारी है. शांति स्थापित करने को लेकर दोनों देशों के बीच 15 राउंड की बातचीत भी हो चुकी है, लेकिन पूर्ण रूप से शांति स्थापित करने पर बात नहीं बनी है.

मार्च 2023 में अमेरिकी खुफिया विभाग ने अमेरिकी संसद में रिपोर्ट पेश की थी जिसमें बताया गया कि भारत और चीन के बीच द्विपक्षीय सीमा वार्ता हो चुकी है और कई सीमा बिंदुओं पर तनाव को सुलझाया भी गया है. लेकिन साल 2020 में हुई इस हिंसक झड़प के कारण दोनों देशों के बीच रिश्ते तनावपूर्ण रहेंगे. 

रिपोर्ट में बताया गया कि दोनों देशों द्वारा विवादित स्थल पर सेनाओं की तैनाती बॉर्डर विवाद को लेकर दो परमाणु शक्तियों में सशस्त्र जोखिम को बढ़ाती हैं. 

गलवान में हुई थी हिंसक झड़प

साल 2020 में भारत और चीन के सेनाओं के बीच हिंसक झड़प हुई थी. इस झड़प में भारत के 20 जवान शहीद हो गए थे. हालांकि चीन को भी भारी नुकसान हुआ था. लेकिन उस देश पर आंकड़े को छिपाने का भी आरोप है. 

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