एक्सप्लोरर

भारत में 'गिग इकोनॉमी'कैसे बढ़ा रही रोजगार और नौकरियों की अपार संभावनाएं

महामारी के दौर में हर घर में जरूरत की चीजें पहुंच पाई ये गिग इकोनॉमी का कमाल है. भारत में इसके आने से कम हुनरमंद लोगों को भी रोजगार के मौके मिल रहे हैं और निम्नतम से लेकर अधिकतम भुगतान किया जा रहा है.

आज से 4 साल पहले 2019 में पीरियोडिक लेबर फोर्स सर्वे की रिपोर्ट (पीएलएफएस) ने भारत की बेरोजगारी दर को लेकर एक खुलासा किया था. इस रिपोर्ट में 45 साल में देश में बेरोजगारी की दर 6.1 फीसदी बढ़ने की बात कही गई थी. इसके बाद कोरोना महामारी के दौर में बेरोजगारी में और इजाफा हुआ, लेकिन इस दौर में गिग इकोनॉमी ने बेरोजगार लोगों को रोजगार के अवसर दिए.  

इसकी अच्छी बात ये रही कि इसमें ऐसे लोगों को भी काम के मौके मिले जो उच्च शिक्षित नहीं थे. रोजगार के लिए इस अर्थव्यवस्था की तरफ शहरी युवाओं का रुझान बढ़ता गया. इस गिग इकोनॉमी ने उन्हें निराश भी नहीं किया. टेक्नोलॉजी पर आधारित कई ऑनलाइन प्लेटफार्म में हजारों लोग नौकरी कर रहे हैं. अब आलम ये है कि देश में ये अर्थव्यवस्था बढ़ने लगी है. इसके भारत में पैर पसारने के लिए मुफीद हालात भी हैं. देश में रोजगार सृजन करने वाली इसी अर्थव्यवस्था के बारे में यहां जानेंगे. 

क्या है गिग इकोनॉमी?

गिग इकोनॉमी का मतलब स्थायी नौकरियों के विपरीत अल्पकालिक अनुबंधों यानी शॉर्ट टर्म कॉन्ट्रैक्ट या फ्रीलांस वर्क को बढ़ावा देने वाले श्रम बाजार से लगाया जाता है. और सरल शब्दों में कहें तो गिग इकोनॉमी एक मुक्त बाजार प्रणाली है जिसमें  संगठन या कंपनियां एक निश्चित अवधि के लिए अस्थायी तौर पर स्वतंत्र श्रमिकों को नियुक्त करती हैं. 

इकोनॉमी के इस तरह के मॉडल में स्थायी कर्मचारियों की जगह फ्रीलांसर, गैर-स्थायी कर्मचारियों को जॉब पर रखा जाता है. इस इकोनॉमी में वर्कर्स को कम से कम और अधिक से अधिक वेतन मिलता है. इस तरह का मॉडल अमेरिका जैसी विकसित अर्थव्यवस्थाओं में बेहद मजबूत है. इसमे बड़ी तादाद में फर्में कम अवधि के लिए फ्रीलांसरों को रखती हैं.

अब टेक्नोलॉजी के बढ़ते चलन और तेजी से इसे अपनाने के चलते गिग इकोनॉमी भारत में भी रफ्तार पकड़ने लगी है. साल 2021 में कंसल्टेंसी फर्म बीसीजी ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि आने वाले 3-4 वर्षों में गिग इकोनॉमी के जरिए देश में 90 मिलियन नौकरी आएंगी. फर्म के मुताबिक इसका सीधा फायदा देश की जीडीपी होगा. 

भारत के लिए क्यों है जरूरी?

पूरी दुनिया इस वक्त डिजिटलाइजेशन के दौर से गुजर रही है. ये दौर समाजों में बदलाव ला रहा है. इससे एक नई आर्थिक क्रांति जन्म ले रही है जो खासकर लोगों के काम करने और नौकरी पाने के तरीके पर असर डालने जा रही है.

और ये यह उभरता हुआ आर्थिक बदलाव गिग-प्लेटफार्म इकोनॉमी पर केंद्रित है. सबसे अच्छी बात ये है कि भारत में इस इकोनॉमी के फलने-फूलने यानी फायदा उठाने के लिए सभी हालात मुफीद हैं. जैसे बड़ी आबादी और डिजिटल टेक्नोलॉजी का तेजी से विस्तार देश को इस आर्थिक परिवर्तन के मोर्चे पर अगुवा बना रहा है.

बीते 10 साल में डिजिटल श्रम प्लेटफार्मों में 5 गुना की बढ़ोतरी हुई है. कई उद्योगों सहित परिवहन, खुदरा, व्यक्तिगत देखभाल और घरेलू देखभाल में डिजिटल प्लेटफार्म पर नए समाधान मौजूद हैं. ये प्लेटफार्म लोगों को कई तरह की सुविधाओं के साथ ही भुगतान के भरोसेमंद विकल्प देते हैं और कंपनियों को बड़े बाजार तक पहुंचने में मदद करते हैं. 

महामारी के दौरान भी गिग इकोनॉमी ने मजबूती से खड़ी रही और लोगों को सुविधाएं मुहैया कराती रही. उस वक्त जब लॉकडाउन के वक्त लोग बाहर नहीं जा पाते थे, तब रोजमर्रा के सामान से लेकर दवाइयों की लोगों के घर तक पहुंच इस गिग इकोनॉमी से संभव हो पाई. आज आलम ये है कि इस प्लेटफार्म के कर्मचारी शहरी भारत में एक अहम भूमिका में हैं.

2020-21 के लिए नीति आयोग की 'इंडियाज बूमिंग गिग एंड प्लेटफार्म इकोनॉमी' शीर्षक वाली एक रिपोर्ट के मुताबिक गिग वर्कर्स के 2029-30 तक 23.5 मिलियन तक बढ़ने का अनुमान है, जो देश की वर्कफोर्स का एक अहम हिस्सा बन जाएगा. गिग इकोनॉमी लगातार बढ़ती जा रही है क्योंकि अधिक लोग अधिक लचीले वर्क शेड्यूल का विकल्प चुन रहे हैं.

यही वजह है कि गिग इकोनॉमी देश की बड़ी श्रम शक्ति यानी लेबर फोर्स में कम हुनरमंद लोगों को रोजगार मुहैया कराने की जरिया बन सकती है. सरकार को इस इकोनॉमी से जुड़े प्लेटफार्म को आगे बढ़ाने के लिए जरूरी कदम उठाने भर की जरूरत है. 

सरकार की नीतियां इस पूरे बिजनेस इकोसिस्टम को विकसित करने में मदद कर सकती हैं. हालांकि सरकार अब अलग- अलग विभागों में इसका इस्तेमाल करना शुरू कर रही है. सरकार की ये पहल इस इकोसिस्टम को तेजी से बढ़ाने में प्रेरक का काम कर रही है. कुछ तरीकों पर ध्यान दिया जाए तो भारत में गिग इकोनॉमी खूब फलेगी-फूलेगी. यहां हम ऐसे ही तरीकों के बारे में बात करेंगे. 

आसान ऑन-बोर्डिंग वेरिफिकेशन

गिग इकोनॉमी में प्लेटफार्म के लिए वेरिफिकेशन प्रोसेस बहुत जरूरी है. हालांकि इसके लिए अपनाया जाने वाला वेरिफिकेशन का ये ऑन-बोर्डिंग सिस्टम पेचीदा लगता है. इसमें कहीं दूर बैठे किसी शख्स के बैकग्राउंड की जांच करने का जरिया डिजिटल या ऑनलाइन होता है. ये उसी तरह से है जैसे आप बैंक में जाए बगैर ऑनलाइन अकाउंट खुलवाते हैं. गिग इंडस्ट्री में किसी भी प्लेटफार्म के लिए काम करने वाले लोगों यानी कर्मचारियों के बैकग्राउंड की जांच करना जरूरी होता है.

बैकग्राउंड वेरिफिकेशन की ये प्रोसेस ऑनलाइन होती है. केवल आधार, ड्राइविंग लाइसेंस से आप यह तय नहीं कर सकते कि वो किसी आपराधिक रिकॉर्ड का इंसान नहीं है. वहीं इस तरह के प्लेटफार्म पर काम करने वाले हर कर्मचारी के अनुबंध यानी कॉन्ट्रैक्ट की अवधि अलग-अलग होती है, और नियुक्त किए गए लोग अपनी सुविधा के मुताबिक काम छोड़ते और पकड़ते रहते हैं.

ऐसे में किसी भी गिग वर्कर का पूरी तरह से बैकग्राउंड चेक करना आसान नहीं होता. एक गिग वर्कर के बैकग्राउंड की पूरी तरह से जांच करने पर ही यह तय किया जा सकता है कि वो भरोसेमंद है या नहीं. उदाहरण के लिए किसी भी प्लेटफार्म में जिससे लोग ऑनलाइन सामान घर पर मंगवाते हैं उस प्लेटफार्म के कर्मचारी का भरोसेमंद होना भी जरूरी है, क्योंकि इनकी सीधे लोगों और उनके घर तक पहुंच होती है.

ऐसे में यह पक्का करना निहायत जरूरी होता है कि कहीं कोई गिग वर्कर आपराधिक बैकग्राउंड का न हो. ऐसे में वेरिफिकेशन यानी सत्यापन प्रक्रिया का सरल और सही होना जरूरी है. एक बार में ही पूरी तरह सटीक वेरीफिकेशन हो जाए इसके लिए घरेलू कामगारों के डेटा वेरिफिकेशन के लिए आधार और राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड के सिस्टम का एकीकरण किया जाना चाहिए. ये इस काम में लगी सरकारी मशीनरी के बोझ को भी कम करेगा. 

गिग इकोनॉमी के लिए नियम और कायदे

बेहद संवेदनशील होते जा रहे उपभोक्ताओं, गिग वर्कर्स और व्यवसायों के हितों की रक्षा के लिए सरकार को सोच समझकर और ईमानदारी से नियम और नीतियां बनानी चाहिए. इस तरह की नीतियों में काम के शुरुआती दौर में जीएसटी को जीरो फीसदी करने जैसे कदम उठाए जा सकते हैं. जीएसटी जैसे नियामक शुल्क वस्तुओं और सेवाओं की कीमतों के साथ-साथ रोजगार सृजन की लागत को बढ़ाते हैं.

प्लेटफार्म मालिकों के पास अभी जीएसटी दाखिल करने के लिए कुछ ही विकल्प हैं. उदाहरण के लिए, धारा 44AD के तहत अनुमानित आय का विकल्प उन लोगों के लिए रखा गया है जो कारोबार मालिक हैं. इसके तहत वो कारोबारी आते हैं जिनका कुल सालाना टर्नओवर दो करोड़ रुपये से अधिक का न हो.

 44AD एक कराधान योजना है. इसमें छोटे पैमाने पर उद्यमों और कारोबारों के मालिकों को सरकार को कर यानी टैक्स देने के लिए अपनी अकाउंट बुक का ऑडिट कराने की जरूरत नहीं है.. इसके अलावा प्लेटफार्म वर्कर्स को उनके वर्गीकरण के आधार पर  पहचाना जाना होगा. गिग इकोनॉमी को बढ़ावा देने के लिए टैक्स भरने की प्रक्रिया को सरल बनाना होगा.  देश में इस तरह की अर्थव्यवस्था के विकास को बढ़ावा देने के लिए सहायक करों और नीतियों की जरूरत है. 

और देखें
Advertisement
Advertisement
25°C
New Delhi
Rain: 100mm
Humidity: 97%
Wind: WNW 47km/h
Advertisement

टॉप हेडलाइंस

Arvind Kejriwal Arrest: 'राष्ट्रपति शासन का कोर्ट नहीं दे सकता आदेश', केजरीवाल को CM पद से हटाने की मांग वाली याचिका HC में खारिज
'राष्ट्रपति शासन का कोर्ट नहीं दे सकता आदेश', दिल्ली CM को पद से हटाने की मांग वाली याचिका HC में खारिज
The Goat Life Review: पृथ्वीराज सुकुमारन और ब्लेसी की ये फिल्म बताती है कि शानदार सिनेमा अभी जिंदा है, हिला डालेगी नजीब की कहानी
द गोट लाइफ रिव्यू: शानदार सिनेमा अभी जिंदा है, हिला डालेगी नजीब की कहानी
Ramadan Drinks: इस बार रमजान पर बनाएं ये 4 स्पेशल ड्रिंक्स, इफ्तारी हो जाएगी खास
इस बार रमजान पर बनाएं ये 4 स्पेशल ड्रिंक्स, इफ्तारी हो जाएगी खास
गोल ही क्यों होता है कुआं, आखिर क्या है इसके पीछे की वजह
गोल ही क्यों होता है कुआं, आखिर क्या है इसके पीछे की वजह
Advertisement
for smartphones
and tablets

वीडियोज

Election 2024: 'पीलीभीत से ​कभी खत्म नहीं होगा रिश्ता'- Varun Gandhi | ABP News |Triumph Rocket 3 R and GT Revealed! | ऑटो लाइवArvind Kejriwal Arrested: केजरीवाल की राह पर हैं पत्नी सुनीता? Sunita | AAP | ED Remand | BreakingLok Sabha Election: Bihar में 26 सीटों पर चुनाव लड़ेगी RJD? | ABP News | Election 2024 |

फोटो गैलरी

पर्सनल कार्नर

टॉप आर्टिकल्स
टॉप रील्स
Arvind Kejriwal Arrest: 'राष्ट्रपति शासन का कोर्ट नहीं दे सकता आदेश', केजरीवाल को CM पद से हटाने की मांग वाली याचिका HC में खारिज
'राष्ट्रपति शासन का कोर्ट नहीं दे सकता आदेश', दिल्ली CM को पद से हटाने की मांग वाली याचिका HC में खारिज
The Goat Life Review: पृथ्वीराज सुकुमारन और ब्लेसी की ये फिल्म बताती है कि शानदार सिनेमा अभी जिंदा है, हिला डालेगी नजीब की कहानी
द गोट लाइफ रिव्यू: शानदार सिनेमा अभी जिंदा है, हिला डालेगी नजीब की कहानी
Ramadan Drinks: इस बार रमजान पर बनाएं ये 4 स्पेशल ड्रिंक्स, इफ्तारी हो जाएगी खास
इस बार रमजान पर बनाएं ये 4 स्पेशल ड्रिंक्स, इफ्तारी हो जाएगी खास
गोल ही क्यों होता है कुआं, आखिर क्या है इसके पीछे की वजह
गोल ही क्यों होता है कुआं, आखिर क्या है इसके पीछे की वजह
चीन ने पहले श्रीलंका के ऊपर लादा अरबों डॉलर का कर्ज, अब दिखा रहा है आंख
चीन ने पहले श्रीलंका के ऊपर लादा अरबों डॉलर का कर्ज, अब दिखा रहा है आंख
Exclusive: पूर्णिया सीट पर विवाद के बीच पप्पू यादव का बड़ा दावा, 'मुझसे लालू यादव ने कहा था कि...'
पूर्णिया सीट पर विवाद के बीच पप्पू यादव का दावा, 'मुझसे लालू ने...'
हाई बीपी- मल्टी विटामिन सहित इन दवाओं पर रेड अलर्ट, नकली दवाइयों के लेकर CDSCO ने जारी किए निर्देश
हाई बीपी- मल्टी विटामिन सहित इन दवाओं पर रेड अलर्ट, नकली दवाइयों के लेकर CDSCO ने जारी किए निर्देश
कितने महंगे होते हैं सड़क किनारे लगे पीले ब्लिंकर, यकीन मानिए एक की कीमत जानकर उड़ जाएंगे होश
कितने महंगे होते हैं सड़क किनारे लगे पीले ब्लिंकर, यकीन मानिए एक की कीमत जानकर उड़ जाएंगे होश
Embed widget