Maulana Madani on Gyanvapi: जमीयत-उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी (Maulana Madan) ने abp न्यूज के कार्यक्रम प्रेस कॉन्फ्रेंस में अयोध्या, मथुरा, काशी पर बेबाकी से बातचीत की. उन्होंने ज्ञानवापी पर भी खुलकर तीखे सवालों पर जवाब दिए. मदनी ने कहा कि ज्ञानवापी के मामले को सुलझाने के लिए सही तरीका अपनाया जाए. ये मुद्दा या तो कोर्ट से हल होगा या समझौते. कोई तीसरी ऐसी चीज नहीं है कि जिससे मामला सुलझ जाए. उन्होंने कहा कि समझौता ही सबसे अच्छी बात होगी. हम मीडिया में, सड़क पर इसकी चर्चा नहीं करेंगे. 


क्या मुसलमान मथुरा, काशी हिंदुओं को दे सकते हैं? इस सवाल पर मदनी ने कहा कि समझौते को कभी भी नकारा नहीं जा सकता. समझौता हो जाए इससे बेहतर कोई बात नहीं. कुछ हमारा रोल होगा तो उसके लिए हम आगे आ सकते हैं, लेकिन अभी ऐसी कोई बात नहीं है. उन्होंने कहा कि ज्ञानवापी राष्ट्रीय मामला नहीं है. मदनी ने कहा कि ये अच्छी पहल हो सकती है. हमने अयोध्या का फैसला स्वीकार किया. बहस को बढ़ाना एकदम ठीक नहीं. 


हिंदू-मुसलमान का मामला नहीं बनाएं


क्या आप डिप्लोमेसी कर रहे हैं, जिम्मेदारी से बच रहे हैं? मैं कभी भी डिप्लोमेसी नहीं करता, मैं जिम्मेदारी से बच नहीं रहा हूं. आप इसे नेशनल इशू बना रहे हैं. हम लोगों से ये अपील कर रहे हैं कि, इस मामले को गर्म मत कीजिए. हम लोगों से कह रहे हैं कि इसे हिंदू-मुसलमान का मामला नहीं बनाएं. क्या अरब की तरह मस्जिद हटाई नहीं जा सकती? मदनी ने कहा कि इस मामले पर सही रोशनी कोई मुफ्ती डाल सकता है. अगर सही मायनों में ऐसा होगा कि शिफ्ट करने की इजाजत है तो इससे बेहतर कुछ नहीं हो सकता.  


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आप किस पार्टी के साथ हैं?


क्या मुल्क में इस पर सियासी लड़ाई हो रही है? इस सवाल पर मदनी ने कहा कि कुछ लोग कह रहे हैं कि सियासी लड़ाई है पर कुछ लोगों के लिए नहीं. आप किस पार्टी के साथ हैं? मदनी ने कहा कि राजनेताओं से भरोसा उठ गया है, लोगों को सभी ने बेवकूफ बनाया है. मदनी ने कहा कि ओवैसी जिस टोन में बात करते हैं, वो ठीक नहीं हैं. उन्होंने ये भी साफ किया कि वो किसी भी पार्टी में नहीं जाना चाहते हैं. किसी भी पार्टी के खिलाफ लामबंदी नहीं की जानी चाहिए. हर पार्टी में मुसलमान को होना चाहिए. किसी को हराने के लिए किसी के भी साथ इकट्ठे हो जाना गलत है. 


यूनिफॉर्म सिविल कोड से एतराज क्यों?


मदनी ने कहा कि हम कह रहे हैं कि ये नहीं आना चाहिए. बस इतनी सी बात है. आपको ये अच्छाई लगती है, हमें उससे दिक्कत है. देखिए हम लोग मजहबी लोग हैं. पहले भी डर था, अब भी है. हमें पहले भी डर था कि हमारी चीजें छीनी जा रही हैं. शरीयत में दखल की जरूरत नहीं है. शरीयत में सुधार की जरूरत है, ये कानून से नहीं हो सकता है. सुधार समाज से होगा. सुधार में हमारी मदद कीजिए. 


मंदिर के लिए सम्मान या बाबरी की टीस?


तीन तलाक पर मदनी ने कहा कि तलाक तो मजबूरी की चीज है. तलाक शौक की चीज नहीं है. तीन तलाक की बात क्या है, तलाक तो एक भी नहीं होना चाहिए. तीन तलाक का कानून बन गया है तो उसे मजबूरी में छोड़ दिया. राम मंदिर के लिए सम्मान या बाबरी की टीस? इस सवाल पर मदनी ने कहा कि टीस की बात अलग है. हमने कोर्ट का फैसला माना है. कानून है तो उसे स्वीकार करना अलग है. मैं राजनेता के तौर पर फेल हो गया. मैं एक कार्यकर्ता हूं. मदनी ने कहा कि रजामंदी के बगैर सड़क, रोड या किसी के घर के बाहर नमाज ठीक नहीं है. अगर हम कुछ मिनट के लिए हम नमाज पढ़ते हैं तो उससे कुछ भी बुरा होने वाला नहीं है.


मुसलमान पहले से खुश है या नाखुश?


इस सवाल पर मदनी ने साफ कहा कि पहले के मुकाबले अब मुसलमान नाखुश है. लाउडस्पीकर पर आपकी क्या राय है? पड़ोसियों को एतराज है तो लाउडस्पीकर की आवाज अंदर ही रहनी चाहिए. जो नहीं सुनना चाहते हैं तो उसका सम्मान करना चाहिए. मुसलमानों के लिए सबसे बेहतर पार्टी कौन है कांग्रेस या बीजेपी? मदनी ने कहा कि दोनों ही पार्टी में से कोई नहीं. उन्होंने कहा कि देश संविधान से चले और मैं शरीयत से चलूंगा. मेरी शरीयत ने मुझे संविधान मानने के लिए मजबूर किया है. काशी, मथुरा कैसे हल हों? मदनी ने कहा कि बेहतर हल तो बातचीत ही है.


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