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EWS Quota: क्या सामान्य वर्ग के गरीबों को नौकरी-शिक्षा में मिलेगा 10 फीसदी आरक्षण? 7 नवंबर को SC सुनाएगा फैसला
Supreme Court: क्या सामान्य वर्ग के गरीबों को भी नौकरी और शिक्षा में 10 प्रतिशत आरक्षण का लाभ मिलना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट 7 नवंबर को इस मामले में अपना अहम फैसला सुनाएगा.
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Supreme Court: सामान्य वर्ग के गरीबों को भी क्या शिक्षा और नौकरी में आरक्षण मिलना चाहिए? इसपर सुप्रीम कोर्ट सोमवार, सात नवंबर को अपना फैसला सुनाएगा. चीफ जस्टिस उदय उमेश ललित की अध्यक्षता वाली 5 जजों की संविधान पीठ ने 7 दिनों तक सभी पक्षों को विस्तार से सुना था और फैसला सुरक्षित रख लिया था. अब सुप्रीम कोर्ट इस मामले में अपना फैसला सुनाने वाला है.
बता दें कि, जनवरी 2019 में केंद्र सरकार ने संसद में 103वां संविधान संशोधन प्रस्ताव पारित करवा कर आर्थिक रूप से कमज़ोर सामान्य वर्ग के लोगों को नौकरी और शिक्षा में 10 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था बनाई थी. कई याचिकाकर्ताओं ने इसे संविधान के खिलाफ बताते हुए सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी, जिसपर सुनवाई चली थी. अब चूंकि 7 नवंबर को सीजेआई यूयू ललित का आखिरी कार्य दिवस है और वह 8 नवंबर को सेवानिवृत्त हो जाएंगे. इसलिए इस मामले पर वे फैसला सुना सकते हैं.
पांच जजों की बेंच ने की है सुनवाई
जानकारी के मुताबिक, सीजेआई उदय उमेश ललित और न्यायमूर्ति एस रवींद्र भट्ट इस मामले में दो अलग-अलग फैसले सुनाएंगे. इस मामले में सीजेआई के अलावा जस्टिस दिनेश माहेश्वरी , जस्टिस एस रवींद्र भट्ट , जस्टिस बेला एम त्रिवेदी और जस्टिस जे बी पादरीवाला की पांच जजों की बेंच ने सुनवाई की है.
याचिका में केंद्र सरकार द्वारा आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) को नौकरियों और उच्च शिक्षण संस्थाओं में 10 प्रतिशत आरक्षण देने के मामलों को चुनौती दी गई थी, जिसपर सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार की तरफ से पेश वकील ने EWS को नौकरियों और उच्च शिक्षण संस्थाओं में 10 प्रतिशत आरक्षण देने के फैसले को सही बताया था.
संविधान में किया गया था संशोधन
जनवरी 2019 में 103वें संविधान में संशोधन कर अनुच्छेद 15 और 16 में खंड (6) को सम्मिलित कर EWS को नौकरियों और शिक्षा में आर्थिक आरक्षण प्रदान करने का प्रस्ताव किया गया था. अनुच्छेद 15(6) में राज्य द्वारा शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण समेत नागरिकों के किसी भी आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) के लिए विशेष प्रावधान किया गया.
इसमें कहा गया है कि इस तरह का आरक्षण अनुच्छेद 30 (1) के तहत आने वाले अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थानों को छोड़कर निजी संस्थानों समेत किसी भी शैक्षणिक संस्थान में इस कोटे का उपयोग किया जा सकता है फिर चाहे वह सहायता प्राप्त हो या गैर-सहायता प्राप्त हो. संविधान संशोधन के बाद EWS के लिए आरक्षण की ऊपरी सीमा 10 प्रतिशत होगी.
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