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शॉर्टकट से अमीर बनने का सपना देखने वाले ड्राइवर ने घर पर ही छापे लाखों रुपये के नकली नोट, 3 साथियों के साथ गिरफ्तार
आरोपी ड्राइवर ने शुरुआत में नकली नोटों से छोटे-छोट काम किए, जैसे - ऑटोरिक्शा में यात्रा की, छोटे-छोटे समान को खरीदा और जब उसे किसी ने नहीं पकड़ा तो उसने लाखों रुपये छापने की योजना बना डाली.
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आरोपी महेंद्र खंडसकर
मुंबई: मुंबई क्राइम ब्रांच ने एक ड्राइवर और उसकी गैंग के 3 सदस्यों को गिरफ्तार किया है जो लोग जाली नोट का इस्तेमाल मुंबई और आसपास के मार्किट में करने वाले थे. इनके पास से 34 लाख 54 हजार रुपये की जाली नोटे बरामद किया गया है.
क्राइम ब्रांच के डीसीपी अकबर पठान ने एबीपी न्यूज़ को बताया कि 26 जनवरी के दिन क्राइम ब्रांच के अधिकारी मनीष श्रीधनकर को जानकारी मिली थी मुंबई के विक्रोली इलाके में दो लोग नकली नोटों की खेप किसी को देने के लिए लाने वाले है. जिसके बाद हमारी टीम ने वहां ट्रैप लगाकर महेंद्र खंडसकर और अब्दुल कालू खान नाम के दो लोगों को हिरासत में लिया और उनके पास से 2 लाख 80 हजार रुपये के जाली नोट मिले.
डीसीपी पठान ने बताया कि पूछताछ के दौरान हमें पता चला कि खंडसकर जाली नोट अपने घर में ही छापता था जिसके बाद हमने उसके घर में छापा मारा और वहां से 32 लाख रुपये के जाली नोट बरामद हुए. उन्होंने बताया कि पूछताछ के बाद हमें और जानकारी मिली कि इस गैंग के दो सदस्य पालघर के वाडा इलाके में हैं जिसके बाद हमने वहां से फारुख चौधरी और अमीन शेख को गिरफ्तार किया उनके पास से हमें 20 हजार रुपये के जाली नोट मिले.
कैसे शुरू हुआ नोट छापने का काम?
खंडसकर जो कि पेशे से ड्राइवर है उसकी भेंट एक ऐसे शख्स के साथ हुई जिसने उसे नकली नोट छापने का आइडिया दिया. कुछ ही दिनों में अमीर बनने का सपना देख रहे खंडसकर ने पहले 100 और 200 रुपये के नोट छापे उसने उन पैसों से ऑटोरिक्शा में यात्रा की, छोटे-छोटे समान को खरीदा और जब उसे किसी ने नहीं पकड़ा तो उसने लाखों रुपये छापने की योजना बना डाली.
खंडसकर खुद ग्रैजुएट है और उसने जाली नोटों में क्या-क्या गलतियां पायी जाती हैं, इसका अभ्यास करने के बाद कोई उसे इस तरह से न पकड़ ले इस बात का ध्यान रखा था. खंडसकर ने 100, 200, 500 और 2000 कि जाली नोट छापे थें.
कैसे बनी टीम?
खंडसकर को अपनी टीम बनानी थी जिस पर वह विश्वास कर सके इसलिए उसने अपने दोस्त अब्दुल खान को राजी किया जो कि एक फिश ब्रीडिंग कंपनी में हेल्पर के तौर पर काम करता था. उसने भी पहले कुछ रुपये मार्किट में खर्च किए और फिर इसी धंधे में शामिल हो गया.
इसके बाद उन लोगों ने फारुख चौधरी से संपर्क किया जो कि इन्वर्टर बैटरी की दुकान चलाता था और उसी की दुकान पर अमीन शेख काम करता था, फिर उनको लाखों कमाने का शॉर्टकट तरीका बताकर दोनों को अपनी गैंग में शामिल कर लिया.
क्या थी इनकी स्कीम?
इन लोगों ने एक स्कीम शुरू की थी जिसके तहत बाकियों को जाली नोट खरीदने वाले ग्राहक ढूंढने के लिए कहा गया था जिसके लिए खंडसकर 50 हजार के असली नोट के बदले इन लोगों को एक लाख रुपये की जाली नोट देगा. यह डील होने के बाद जो ग्राहक लाया लाएगा उसे 10 परसेंट कमीशन असली यानी कि नोट मिलेंगे.
इस तरह से इन लोगों ने दो महीने पहले से यह काम शुरू किया था. क्राइम ब्रांच इस बात की जांच कर रही है कि इन लोगों ने अब तक कितने नोट छापे हैं और कितनों को बेचे हैं.
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डॉ. सब्य साचिन, वाइस प्रिंसिपल, जीएसबीवी स्कूल
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