(Source: ECI / CVoter)
AAP VS LG: दिल्ली सरकार ने "रेड लाइट ऑन, गाड़ी ऑफ" अभियान की फाइल दोबारा LG को भेजी, बताया इसलिए है जरूरी
Red Light On, Gaadi Off: दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना के बीच "रेड लाइट ऑन, गाड़ी ऑफ" कैंपेन को लेकर टकराव बढ़ता जा रहा है.
Red Light On, Gaadi Off Campaign: दिल्ली सरकार ने 'रेड लाइट ऑन, गाड़ी ऑफ' अभियान की फाइल दोबारा दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना को भेजी है. दिल्ली सरकार को कई सबूत भेजे हैं जिसमें बताया गया कि ऐसे कैंपेन भारत के 40 शहरों में चलाए गए हैं. इसके अलावा विदेशों में भी ये अभियान चलाए जा रहे हैं जिनमें कि अमेरिका और लंदन शामिल है.
दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने दावा किया कि इस अभियान से 80 प्रतिशत लोग लाल बत्ती पर अपनी गाड़ी बंद कर देते हैं. पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा कि प्रदूषण के बढ़ते स्तर को देखते हुए एलजी विनय कुमार सक्सेना तत्काल 'रेड लाइट ऑन, गाड़ी ऑफ' अभियान की अनुमति दें. देश और दुनिया में कई जगह इस तरह का अभियान चलाया गया है. प्रदूषण रोकने के लिए हर स्तर पर पहल करना सबकी जिम्मेदारी है.
दिल्ली सरकार ने क्या कहा?
पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा कि सर्दियों में दिल्ली में प्रदूषण की स्थिति बहुत ही चिंताजनक हो जाती है. ठंड के मौसम में हवा कि गति कम होने और ठंड बढ़ने के कारण प्रदूषण काफी बढ़ जाता है. एक अनुमान के मुताबिक 1 नवंबर से हवा की गति 4 से 8 किलोमीटर प्रति घंटा होने की संभावना है. जिससे प्रदूषण का स्तर और बढ़ने की संभावना है. इसलिए ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (GRAP) के नए नियमों के अनुसार तीन दिन पहले से ही दिल्ली में GRAP के तीसरे चरण को लागू कर दिया गया है.
गोपाल राय ने आगे बताया कि ग्रैप के तहत दिल्ली में निर्माण एवं विध्वसं की गतिविधियों पर पूर्ण प्रतिबंद्ध लगा दिया गया है. उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार ने सर्दियों में प्रदूषण से निपटने के लिए 15 सूत्रीय कार्यक्रम तैयार किया है, जिस पर लगातार काम भी किया जा रहा है. जिसमें पराली को जलाने के लिए बायो-डिकंपोजर का प्रयोग, बायोमास बर्निंग पर रोक, एंटी डस्ट अभियान के तहत जारी दिशा-निर्देशों का पालन करवाना, पूरी दिल्ली एंटी स्मोग गन के द्वारा पानी का छिड़काव जैसे कई दूसरे काम किये जा रहे हैं.
'प्रदूषण रोकने का प्रयास'
गोपाल राय ने बताया कि हमने एलजी विनय कुमार सक्सेना की सभी आपत्तियों के उत्तर के साथ फाइल उनके पास भेजी है. अब उनसे निवेदन किया कि दिल्ली में एक इमरजेंसी सिचुएशन बन रही है. प्रदूषण को रोकने के लिए हर प्रयास करने की जरूरत है.
उन्होंने आगे जानकारी दी कि दिल्ली पीसीआरए और पेट्रोलियम संरक्षण साझेदारी के तहत भीकाजी कामा रेड लाईट पर एक अध्ययन किया गया. वहां पर बिना अभियान के जब सर्वे हुआ तो 20 प्रतिशत लोग रेड लाइट पर अपना इंजन बंद कर देते थे. जबकि 80 प्रतिशत लोग अपने वाहन का इंजन बंद नहीं करते थे. ऐसे में वहां पर प्लेकार्ड वालेंटियरर्स ने अभियान शुरू किया. अभियान के बाद जब सर्वे किया गया तो पाया गया कि 62.33 प्रतिशत लोगों ने अपनी गाड़ी का इंजन बंद करना शुरू कर दिया.
स्टडी में क्या आया सामने
गोपाल राय ने कहा कि इस अध्ययन के दौरान यह देखा गया कि जागरूकता अभियान से पहले केवल 13.64 फीसदी कार चालकों ने वाहन को रेड लाइट होने पर बंद किया. लेकिन अभियान के दौरान यह 46.45 फीसदी हो गया. इसी तरह दुपहिया वाहन 42.73 फीसदी से बढ़कर 83.72 फीसदी और तिपहिया वाहन 30.49 फीसदी से बढ़कर 81.33 फीसदी हो गए.
बसों की संख्या 6.94 फीसदी से 28 फीसदी और ट्रकों की 17.54 फीसदी से 43.02 फीसदी हो गई. इस अभियान के बाद लाल बत्ती पर इंजन बंद करने वाले वाहनों की संख्या पहले की तुलना में अधिक थी. इस अभियान के समाप्त होने के बाद 33.48 प्रतिशत कार चालकों, 80.12 प्रतिशत दोपहिया, 77.66 प्रतिशत तिपहिया, 20.72 प्रतिशत बसों और 37.43 प्रतिशत ट्रकों ने अपने इंजन बंद कर दिए.
उपराज्यपाल ने क्या कहा?
कैंपेन की फाइल वापस दिल्ली सरकार के पास भेजते हुए उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने लिखा था कि इस कैंपेन में सिविल डिफेंस वॉलेंटियर्स को इस तरीके से भारी ट्रैफिक और प्रदूषण के बीच खड़ा नहीं रखा जा सकता,
एलजी ने कहा उनका शोषण करने के साथ-साथ बहुत अमानवीय भी है. साथ ही कानून और राजस्व विभाग भी इस बात की जांच करें कि क्या सिविल डिफेंस वॉलंटियर्स का इस तरीक़े से कैंपेन के दौरान इस्तेमाल किया जा सकता है या नहीं. इसके अलावा उन्होंने इस कैंपेन पर सवाल उठाते हुए लिखा था कि बीते सालों के जो रिज़ल्ट रहे हैं वो इतने प्रभावी नहीं रहे कि इसकी वजह से प्रदूषण कम हुआ हो.
क्या है "रेड लाइट ऑन गाड़ी ऑफ" अभियान
शहर भर में अभियान के तहत 100 व्यस्त चौराहों पर रेड लाइट होने पर वाहन को बंद करने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए 2,500 सिविल डिफेंस वालंटियर्स को तैनात किया जाता है. इससे वाहनों के प्रदूषण को 15-20 फीसदी तक कम किया जा सकता है.
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