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भारत के देसी फाइटर प्लेन प्रोजेक्ट के खिलाफ बड़ी साजिश, क्या अमेरिका के राष्ट्रपति का ऑफिस भी शामिल?

भारत अमेरिका, रूस और चीन जैसे देशों को टक्कर देने के लिए पांचवीं पीढ़ी के स्टील्थ विमान बनाने की तैयारी में है. वहीं अमेरिका की बाइडेन सरकार को इससे दिक्कत हो रही है.

हाल ही में भारत ने तीन बड़े देशों अमेरिका रूस और चीन को टक्कर देने के लिए पांचवीं पीढ़ी के स्टील्थ विमान को बनाने की घोषणा की. इस घोषणा के बाद कैबिनेट कमेटी (सीसीएस) ने पांचवीं पीढ़ी के विमान एलसीए एमके2 को विकसित करने की परियोजना के लिए 6,500 करोड़ रुपये की मंजूरी दी थी, लेकिन ऐसा मालूम पड़ता है कि भारत के स्वदेशी लड़ाकू जेट कार्यक्रम से अमेरिका को दिक्कत हो रही है.

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के प्रशासन की तरफ से इन विमानों के विनिर्माण इंजनों के लिए तकनीकी साझा करने को लेकर अभी तक कोई साफ बात नहीं बताई जा रही है जबकि इसको लेकर दोनों सरकारों के बीच बातचीत पहले से ही हो चुकी थी. 

इंडिया टुडे में छपी खबरे के मुताबिक भारत में लड़ाकू विमान बनाने वाले कुछ डेवलपर्स का यह भी मानना है कि देश के नीति निर्माता शायद अंतरराष्ट्रीय लॉबी के जाल में फंस गए हैं. अंतरराष्ट्रीय लॉबी ये नहीं चाहती है कि भारत पांचवीं पीढ़ी की स्टील्थ जेट तकनीक सहित फाइटर जेट तकनीक में आत्मनिर्भरता हासिल करे. एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (AMCA) नाम की पांचवीं पीढ़ी के स्टील्थ विमान को विकसित करने की चल रही परियोजना को पिछले तीन वर्षों से अमेरिका की मंजूरी का इंतजार है. 

अमेरिकी आफ्टरबर्निंग टर्बोफैन इंजन से चलेगा पांचवीं पीढ़ी का फाइटर जेट

भारत ने एयरो इंडिया 2013 में 5वीं पीढ़ी के फाइटर प्लेन बनाने के लिए रूस के साथ साझेदारी की थी. इसका दूसरा स्टेज  2017 में पूरा कर लिया गया था. पांचवी पीढ़ी के फाइटर प्लेन को एडवांस मीडियम कॉम्बेट एयरक्राफ्ट (AMCA) नाम दिया गया है. एमसीए को जनरल इलेक्ट्रिक F414 इंजन से संचलित करने की योजना है, जो 22,000-पाउंड (98 kN) थ्रस्ट क्लास में एक अमेरिकी आफ्टरबर्निंग टर्बोफैन इंजन है. इसे GE एविएशन द्वारा निर्मित किया गया है. 

वाशिंगटन में कई दौर की चर्चाओं के बाद अमेरिकी सरकार ने नहीं दी मंजूरी 

2023 फरवरी में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल की वाशिंगटन यात्रा की थी. यात्रा के दौरान भारत में GE F414 इंजन के लाइसेंस को लेने के लिए अमेरिकी अधिकारियों के साथ कई दौर की चर्चाएं हुईं लेकिन इसके बावजूद मामला बिडेन सरकार के साथ अटका हुआ है.

हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) और दूसरे सहयोगियों की मदद से भारत में एक इंजन निर्माण संयंत्र स्थापित करने को तैयारी है, लेकिन अमेरिकी सरकार से मंजूरी का इंतजार है. यह अनुमान लगाया गया है कि ताकतवर देशों से लड़ने के लिए भारतीय वायुसेना (आईएएफ) को छह स्क्वाड्रन के बराबर 170 तेजस एमके2 विमान की जरूरत पड़ेगी. इसके अलावा IAF AMCA के सात स्क्वाड्रन को शामिल करने की भी बात कही गई है. 

अमेरिका भारत को कोई भी जानकारी देने से कर रहा आनाकानी

इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक एक रक्षा सूत्र ने कहा कि भारत केवल निर्माण के बारे में जानकारी मांग रहा है, डिजाइन के बारे में नहीं. फिर भी अमेरिका सहमत नहीं है. रिपोर्ट में ये भी कहा गया कि अमेरिका शायद विमान के उत्पादन के लिए भारत की योजना का एक स्पष्ट रोडमैप चाहता है. जेट इंजनों के लिए रोडमैप न होने से भारत का फाइटर जेट प्रोजेक्ट प्रभावित हो रहा है. 

अगर इस दिशा में अमेरिका की मंजूरी मिल जाती है तो भारत सुपर-क्रूज और स्टील्थ विमान क्षमताओं वाले देशों के चुनिंदा लिस्ट में शामिल हो जाएगा. इस लिस्ट में फिलहाल तीन नाम अमेरिका, रूस और चीन हैं. 

अमेरिका कर चुका है भारत का ध्यान भटकाने की कोशिश

फरवरी में अमेरिका ने एक आश्चर्यजनक कदम भी उठाया था. उस दौरान अमेरिका बेंगलुरू में एयरो इंडिया 2023 में भाग लेने के लिए अपना F-35 स्टील्थ जेट लाया था. यह पहला ऐसा मौका था जब भारत में F-35 लाया गया था. इससे पहले अमेरिका ने कभी भारत को फाइटर जेट की पेशकश नहीं की थी.  कई जानकार इस कदम पर संदेह करते हुए ये कहते हैं कि F-35 की भागीदारी भारत के स्टील्थ जेट डेवलपर्स का ध्यान हटाने की कोशिश थी.

एफ-35 के प्रवेश पर हो-हल्ला मचाने पर एक रक्षा अधिकारी ने कहा कहा था कि भारत अंतरराष्ट्रीय खेल का शिकार हो रहे हैं और इससे भारत के लड़ाकू विमान कार्यक्रम में देरी हो रही है. अंतरराष्ट्रीय मंच एक लॉबी बना रहे हैं जो ये नहीं चाहती कि भारत तकनीकी मुकाम को हासिल करे. 

एक नजर अलग-अलग देशों के पांचवी पीढ़ी के फाइटर प्लेन पर 

अमेरिका- अमेरिका ने सबसे पहले साल 2005 में ही पांचवी पीढ़ी के फाइटर प्लेन को अपने फ्लीट में शामिल किया था. अमेरिका की पांचवीं पीढ़ी के फाइटर प्लेन में अत्यधिक एकीकृत कंप्यूटर सिस्टम, स्टील्थ तकनीक, लो प्रोबेबिलिटी ऑफ इंटरसेप्ट राडार (LPIR), और हाई परफॉर्मेंस एयरफ्रेम जैसी सभी मॉडर्न तकनीकी सुविधाएं हैं. जिसका डिजाइन लॉकहीड मार्टिन और बोइंग ने मिलकर किया है. 

इसकी अधिकतम गति 2,574 किलोमीटर प्रति घंटे और सर्विस सीलिंग 50,000 फीट है. अक्टूबर 2022 तक अमेरिका 850 फाइटर प्लेन बना चुका है. साथ ही अमेरिका ने यूक्रेन के पड़ोस समेत 17 नाटो देशों में इसकी सप्लाई भी की है. अमेरिका अब बोइंग साब T-7 रेड हॉक (T-X) के निर्माण में लगा हुआ है.

रूस - रूस ने अब तक 10 Su-57 फाइटर प्लेन बनाए हैं. Su-57 के बारे में  रूस के जनरल सर्गेई सुरोविकिन ने हाल ही में ये कहा था कि वह यूक्रेन के युद्ध में पांचवी पीढ़ी के Su-57 का इस्तेमाल करेंगे. 

बता दें कि रूस ने अमेरिका के एफ-22 रैप्टर से मुकाबला करने के लिए Su-57 को बनाया है. इस फाइटर जोट को साल 2021 में रूस ने अपनी सेना में शामिल किया था. 

रूस का पांचवीं पीढ़ी का ये फाइटर प्लेन सतह से जमीन और हवा से हवा में मार करने में सक्षम है. रूस इसके अलावा सुखोई एसयू-75 पर भी काम कर रहा है. यह सिंगल इंजन, स्टील्थ और हल्के सामरिक विमान हैं. सुखोई एसयू-75 की पहली उड़ान साल 2024 में होगी. इस विमान को साल 2027 में सेना में शामिल करने की योजना है.

चीन- चीन ने 2017 में J-20 'माइटी ड्रैगन' को सेना में शामिल किया. रिपोर्ट्स के मुताबिक चीन अब तक लगभग 150 जे-20 का प्रोडक्शन किया जा चुका है.  जे-20 में स्टील्थ फीचर्स अमेरिकी लॉकहीड एफ -22 रैप्टर के मुकाबले कम ताकतवर मानें जाते हैं.

चीन के पास पहले से ही दो पांचवीं पीढ़ी के फाइटर जेट F-22 और F-35 हैं. J-20 फाइटर  F-22 और F-35 के बाद दुनिया की तीसरी ऑपरेशनल पांचवीं पीढ़ी का प्लेन बना था. 

भारत का पांचवीं पीढ़ी का फाइटर जेट कब तक होगा तैयार

एयरो इंडिया 2013 में 5वीं पीढ़ी के फाइटर प्लेन बनाने के लिए रूस के साथ साझेदारी की थी. 2017 में इसका एक स्टेज भी पूरा कर लिया गया था. देश में इस फाइटर प्लेन के डिजाइन को अंतिम रूप दिया जा चुका है. भारत का पांचवी पीढ़ी का फाइटर प्लेन एडवांस मीडियम कॉम्बेट एयरक्राफ्ट (AMCA) दो इंजन वाला फाइटर जेट है.

डीआरडीओ और एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट एजेंसी इस विमान पर मिलकर काम कर रहे हैं. इसमें जो इंजन लगेगा वो अमेरिका का होगा. अमेरिका इसे ले कर टाल-मटोल कर रहा है. अगर सब कुछ ठीक रहा तो इस  फाइटर जेट के 2025 तक बनकर तैयार हो जाने की उम्मीद है. भारत में  इसके अलावा  कोरिया KAI KF-21 और तुर्की TAI TF-X फाइटर प्लेन पर भी काम हो रहा है. 

अमेरिका के फाइटर जेट को मात देगा भारत का विमान

देश में बनने वाले एडवांस मीडियम कॉम्बेट एयरक्राफ्ट की गति  अमेरिका के सबसे खतरनाक फाइटर जेट F-35 से ज्यादा होगी. बता दें कि अमेरिका के फाइटर जेट की अधिकतम स्पीड 2000 किलोमीटर प्रतिघंटा है. भारत के AMCA की अधिकतम स्पीड 2633 किलोमीटर प्रतिघंटा होगी. 

भारतीय फाइटर प्लेन की कॉम्बैट रेंज 1620 किलोमीटर होगी. वहीं, F-35 की कॉम्बैट रेंज 1239 किलोमीटर है. भारतीय फाइटर प्लेन की लंबाई 57.9 फीट होगी. वहीं F-35 की लंबाई 51.4 फीट है. स्वदेशी फाइटर प्लेन का विंगस्पैन 36.6 फीट का होगा, जबकि एफ-35 का 35 फीट है.  स्वदेशी प्लेन ऊंचाई 14.9 फीट होगी जबकि अमेरिकी फाइटर प्लेन F-35 की ऊंचाई 14.4 फीट है. फ्यूल कैपिसिटी में एफ-35 AMCA से आगे होगा.  अमेरिकी विमान में फ्यूल कैपिसिटी 8275 किलोग्राम हैं, वहीं भारतीय फाइटर प्लेन में 6500 किलोग्राम होगी.

क्या होगी खासियत

ये फाइटर जेट आसमान में करीब 10 घंटे तक लगातार उड़ान भर सकेंगे . इस जेट की सबसे बड़ी खासियत ये होगी कि ये पहला स्वदेशी दो इंजन वाला फाइटर जेट होगा और इसका डिजाइन ऐसा है कि दुश्मन के रडार भी इसे नहीं पकड़ पाएंगे. इस स्टील्थ जेट में हथियारों और मिसाइलो को लोड करने के लिए लिए खास इंतजाम किया जाएगा.

इस स्टील्थ जेट में मिसाइल जेट के निचले हिस्सा में अंदर लगा होगा. इसका मतलब ये हुआ कि इनकी संख्या दुश्मन के रडार में आसानी से देखी जा सकती है.  कुल मिलाकर ये होगा कि इस एयरक्रफ्ट को इस तरह से डिजाइन किया जा रहा है कि दुश्मन के रडार को आसानी से चकमा दे दे. सब कुछ सही रहा तो 2030 के बाद इसका मास प्रोडक्शन शुरू होने की उम्मीद है. दूसरी तरफ बिडेन की आनाकानी से भारतीय फाइटर जेट प्रोग्राम उथल पुथल के दौर से गुजर रहा है. 

बता दें कि भारतीय वायु सेना (IAF) दुनिया की चौथी सबसे बड़ी वायु सेना है. इसमें लगभग 139,576  एक्टिव कर्मचारी, लगभग 140,000 रिजर्व कर्मी और 1,850 से ज्यादा विमान शामिल हैं. आइए नजर डालते हैं भारतीय वायुसेना में इस्तेमाल होने वाले लड़ाकू विमानों पर . 

1. डसॉल्ट राफेल
निर्माता: डसॉल्ट एविएशन
भूमिका: मल्टीरोल फाइटर
पहली उड़ान: राफेल ए डेमो: 4 जुलाई 1986, राफेल सी: 19 मई 1991
18 मई 2001 को भारतीय सेना में शामिल हुआ
उत्पत्ति का देश: फ्रांस

इस फाइटर जेट को डसॉल्ट एविएशन ने बनाया और डिजाइन किया है. यह दो इंजन वाला कनार्ड डेल्टा-विंग, मल्टीरोल लड़ाकू विमान है. यह छोटी और लंबी दूरी के मिशनों को अंजाम देने में सक्षम है. इसका इस्तेमाल जमीनी और समुद्री हमलों, उच्च सटीकता वाले हमलों और परमाणु हमले को रोकने के लिए किया जा सकता है. 

2. सुखोई एसयू-30 एमकेआई

भूमिका: मल्टीरोल लड़ाकू विमान
निर्माता: हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल)
ऑपरेटर: भारतीय वायु सेना
सर्विस एंट्री: सितंबर 2002
रेंज: 3,000 कि.मी
पहली उड़ान Su-30МК: 1 जुलाई 1997, Su-30MKI: 2000

इसे सुखोई डिज़ाइन ब्यूरो और हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) ने विकसित किया है. यह विमान Su-30 लड़ाकू विमान की तर्ज पर बना है. ये हर मौसम में वार करने वाला लंबी दूरी का लड़ाकू विमान है. 

3.मिग -21
भूमिका: लड़ाकू और इंटरसेप्टर विमान
डिजाइनर: मिकोयान-गुरेविच
पहली उड़ान: 16 जून 1955
उत्पत्ति का देश: सोवियत संघ

इसे सोवियत संघ में मिकोयान-गुरेविच डिज़ाइन ब्यूरो ने डिजाइन किया था. यह एक लड़ाकू और इंटरसेप्टर विमान है. 16 जून 1955 को इसने अपनी पहली उड़ान भरी और 1959 में पहली सेवा दी. 

1963 में इसे भारत में शामिल किया गया था और यह भारतीय वायु सेना का पहला सुपरसोनिक लड़ाकू विमान है. रूस ने 1985 में विमान का उत्पादन बंद कर दिया लेकिन भारत ने इसके उन्नत संस्करण का संचालन जारी रखा. मिग-21 विमान 2025 तक सेवा से बाहर हो जाएगा. इसमें सिंगल सीटर कॉकपिट है.

4. मिराज-2000
भूमिका: मल्टीरोल फाइटर
निर्माता: डसॉल्ट एविएशन
पहली उड़ान: 10 मार्च 1978
उत्पत्ति का देश: फ्रांस

यह फ्रांसीसी विमान निर्माता डसॉल्ट एविएशन का मल्टीरोल कॉम्बैट फाइटर है. 1984 से यह फ्रांसीसी वायु सेना के साथ काम कर रहा है. यह लेजर-निर्देशित बमों सहित हवा से सतह पर मार करने वाली मिसाइल और हथियारों को ले जाने की क्षमता रखता है.

इसने अपनी पहली उड़ान 1978 में भरी थी. भारत ने 1892 में 36 सिंगल-सीटर और चार ट्विन-सीटर मिराज 2000 जेट का ऑर्डर दिया था.  इस विमान ने 1999 के कारगिल युद्ध में निर्णायक भूमिका निभाई थी. 

5. एचएएल तेजस एलसीए
भूमिका: सुपरसोनिक लड़ाकू
निर्माता: हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड
पहली उड़ान: 4 जनवरी 2001
गति: 1.6 एम

यह एकल-इंजन वाला, हल्का, चुस्त, सुपरसोनिक लड़ाकू विमान है. इसमें एक डेल्टा विंग है जिसे हवाई युद्ध के लिए डिज़ाइन किया गया है. इसने  जुलाई 2016 में भारतीय वायु सेना में प्रवेश किया. एलसीए को 2003 में "तेजस" नाम दिया गया था. 

2016 में भारतीय वायु सेना ने तेजस मार्क 1 का उत्पादन  शुरू किया था. अब तक भारतीय वायु सेना ने 40 तेजस एमके 1 के लिए ऑर्डर दिया है. आईएएफ ने एमके 1ए कॉन्फ़िगरेशन में 73 और सिंगल-सीट लड़ाकू विमानों की खरीद भी शुरू की है.

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