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Supreme Court: 'सुप्रीम कोर्ट सिर्फ तिलक मार्ग का नहीं, देश की सर्वोच्च अदालत', जानें CJI चंद्रचूड़ ने क्यों कही ये बात
Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट पूरे देश का है. उन्होंने यह भी कहा कि जजों को ट्रेनिंग की जरूरत है.
![Supreme Court: 'सुप्रीम कोर्ट सिर्फ तिलक मार्ग का नहीं, देश की सर्वोच्च अदालत', जानें CJI चंद्रचूड़ ने क्यों कही ये बात CJI DY chandrachud on demand of separate high court benches says SC not supreme court of tilak marg Supreme Court: 'सुप्रीम कोर्ट सिर्फ तिलक मार्ग का नहीं, देश की सर्वोच्च अदालत', जानें CJI चंद्रचूड़ ने क्यों कही ये बात](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2023/05/07/53400b0b05cc076b6aadc542669c36481683434268870637_original.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&height=675)
CJI On High Court Benches: भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा है कि कि भारत का सुप्रीम कोर्ट कोई तिलक मार्ग का सुप्रीम कोर्ट नहीं है, ये पूरे देश की सर्वोच्च अदालत है. जस्टिस चंद्रचूड़ ने ये बातें ओडिशा में एक कार्यक्रम में संबोधन के दौरान राज्य के दक्षिणी और पश्चिमी भागों में हाई कोर्ट बेंच स्थापित करने की मांग के बीच कहीं. इसके साथ ही सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने शनिवार (6 मई) को कहा कि तकनीकी ने हाई कोर्ट की पीठों की आवश्यकता को समाप्त कर दिया है. अब हर जिले में एक वर्चुअल कोर्ट है.
CJI चंद्रचूड़ कटक में स्थित ओडिशा न्यायिक अकादमी में डिजिटाइजेशन, पेपरलेस कोर्ट्स और ई-पहल पर राष्ट्रीय सम्मेलन में बोल रहे थे. उन्होंने ओडिशा के 30 में से 20 जिलों में ई कोर्ट स्थापित करने के हाई कोर्ट प्रयासों की सराहना की. उन्होंने कहा, जिलों में वर्चुअल कोर्ट की स्थापना ने ओडिशा हाई कोर्ट को "पूरे राज्य का सही मायने में प्रतिनिधि" होने में सक्षम बनाया है.
सुप्रीम कोर्ट पूरे देश का- सीजेआई
मुख्य न्यायाधीश ने आगे कहा, भारत की सुप्रीम कोर्ट तिलक मार्ग का सुप्रीम कोर्ट नहीं है, बल्कि यह देश का सुप्रीम कोर्ट है जो देश के लिए और देश के द्वारा है. इसी तरह हर हाई कोर्ट वास्तव में राज्य की महानगरीय राजधानी का हाई कोर्ट नहीं है.
जजों को प्रशिक्षित किए जाने पर दिया जोर
विभिन्न हाई कोर्ट की कार्यवाही की लाइव स्ट्रीमिंग का जिक्र करते हुए जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि इन सुनवाई की कई मजाकिया क्लिप्स यूट्यूब पर मौजूद है, ये टेक्नोलॉजी का दूसरा पहलू है. यह जज के रूप में हमसे नई अपेक्षाएं रखता है.
उन्होंने कहा, "हर शब्द जो हम जज अदालत में कहते हैं, वह सोशल मीडिया के युग में सार्वजनिक दायरे में है. ऐसे में जज के तौर पर हमें प्रशिक्षित होने की जरूरत है." सीजेआई ने कहा कि कोर्ट में जो कुछ भी होता है, वो बहुत ही गंभीर बात है.
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