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इन तीन राज्यों में BJP के सामने कई चुनौतियां! संगठन में बदलाव करने का बनाया प्लान, गठबंधन पर अभी भी कन्फ्यूजन
BJP ने पंजाब कांग्रेस में अध्यक्ष रहे सुनील जाखड़ और पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल के भतीजे मनप्रीत सिंह बादल को पार्टी में शामिल कर लिया है. दोनों ही नेताओं से बीजेपी को बड़ी उम्मीदें हैं.
![इन तीन राज्यों में BJP के सामने कई चुनौतियां! संगठन में बदलाव करने का बनाया प्लान, गठबंधन पर अभी भी कन्फ्यूजन BJP Facing Political Crisis in Telangana, Tamilnadu and punjab party will do big changes in organisation confusion on alliance इन तीन राज्यों में BJP के सामने कई चुनौतियां! संगठन में बदलाव करने का बनाया प्लान, गठबंधन पर अभी भी कन्फ्यूजन](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2023/01/22/9336b2bf1f8a25e69bc0b1cfaebc8f011674357339132457_original.png?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&height=675)
BJP Plan For Tamilnadu, Telangana And Punjab: बीजेपी एक तरफ 9 राज्यों के विधानसभा चुनाव की तैयारी कर रही है तो वहीं दूसरी तरफ पार्टी की नजरें पंजाब, तमिलनाडु और तेलंगाना पर भी टिकी हुईं हैं. राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि BJP पंजाब, तमिलनाडु और तेलंगाना में अपनी पहुंच बढ़ाने की कोशिश करेगी. बीजेपी सहयोगियों पर भरोसा किए बिना अपने चुनावी आंकड़े में सुधार करने के लिए संगठन को नया रूप देना चाहती है. हालांकि, इन राज्यों में पार्टी के अन्य राजनीतिक संगठनों के साथ संबंध हैं.
राजनीतिक विश्लेषक ने हिंदुस्तान टाइम्स से कहा, "कुछ ऐसे मुद्दे हैं, जैसे कि सीट बंटवारा, जो संबंधों को तनाव में डाल सकते हैं और परफॉरमेंस को प्रभावित कर सकते हैं, इसलिए पार्टी की टॉप लीडरशिप को लगता है कि बीजेपी को अब संगठनात्मक ढांचे का निर्माण करने की आवश्यकता है."
तेलंगाना में क्या है स्थिति?
तेलंगाना में इस साल के अंत में चुनाव होने हैं. यहां बीजेपी नेतृत्व ने यह संदेश दिया है कि पार्टी अपने दम पर लड़ेगी और तेलंगाना में के. चंद्रशेखर राव की भारत राष्ट्र समिति से मुकाबला करने के लिए तेलुगू देशम पार्टी (TDP) के साथ गठबंधन नहीं करेगी. टीडीपी ने साल 2018 में बीजेपी से नाता तोड़ लिया था. वहीं अब, पवन कल्याण की जन सेना के साथ संभावित गठजोड़ की खबरें हैं, जो आंध्र प्रदेश में भी एक सहयोगी है, ताकि अपने वोट शेयर और टैली को बेहतर बनाने में मदद मिल सके.
राज्य के एक नेता ने कहा, "बीजेपी प्रमुख विपक्षी दल नहीं है, लेकिन उस स्थान पर कब्जा करने आई है. हम केसीआर परिवार के भ्रष्टाचार को उजागर करते रहे हैं और हम अपने दम पर चुनाव जीतने की उम्मीद करते हैं. हालांकि, ऐसे क्षेत्र और समुदाय हैं जहां हमारी उपस्थिति सीमित है और अगर कोई सहयोगी होता है तो उससे लाभ होगा." बीजेपी नेता ने कहा कि विधानसभा चुनाव से पहले तीनों दलों के एक साथ आने की कोई संभावना नहीं है.
पंजाब में बीजेपी का प्लान?
पंजाब में बीजेपी अपनी जगह तलाशने की कोशिश कर रही है. साल 2020 में कृषि कानूनों का विरोध करते हुए शिरोमणि अकाली दल ने एनडीए (NDA) के साथ नाता तोड़ लिया था. इसके बाद, विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी ने पंजाब में कांग्रेस के पूर्व नेता अमरिंदर सिंह की पंजाब लोक कांग्रेस (PLC) से हाथ मिलाया. हालांकि, असेंबली इलेक्शन में बीजेपी को बुरी तरह से शिकस्त का सामना करना पड़ा. 117 सदस्यीय विधानसभा में बीजेपी को सिर्फ दो सीटें ही मिलीं.
राज्य के एक पदाधिकारी ने कहा, "राज्य में बीजेपी के विकास के लिए उपजाऊ जमीन है, खासकर अब जब लोगों ने आम आदमी पार्टी (AAP) सरकार के कुशासन को देखा है. हमें एक ऐसी पार्टी से गठबंधन न करने का भी फायदा है जिसके पास धारणा की समस्या है."
क्या इनके सहारे नैया पार होगी?
उल्लेखनीय है कि बीजेपी राज्य में गठबंधन का तो नहीं सोच रही, लेकिन कुछ ऐसे नेता हैं जो पार्टी को खड़ा करने में अहम भूमिका निभा सकते हैं. बीजेपी ने पंजाब कांग्रेस में अध्यक्ष रहे सुनील जाखड़ और पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल के भतीजे मनप्रीत सिंह बादल को पार्टी में शामिल कर लिया है. इन दोनों ही नेताओं की पंजाब में अच्छी खासी राजनीतिक जमीन है.
बीजेपी दोबारा अकाली के साथ जाएगी?
इस सवाल पर पार्टी पदाधिकारी ने कहा, "बीजेपी हमेशा पंजाब में पिछड़ी हुई सीट लेती है. जब टिकट वितरण की बात आई तो हमारे गठबंधन सहयोगी (SAD) ने शर्तें तय कीं और इसके परिणामस्वरूप हम शहरी क्षेत्रों तक सीमित रहे. 2022 में ही हमने ग्रामीण क्षेत्रों में अपनी सदस्यता बढ़ाने के लिए एक सक्रिय अभियान शुरू किया. राज्य में लगभग 38% हिंदू हैं और बीजेपी उस वोट बैंक को मजबूत करने की अच्छी स्थिति में है."
तमिलनाडु में क्या रहेगी रणनीति?
तेलंगाना और पंजाब के बाद बीजेपी की नजर तमिलनाडु पर है. यहां बीजेपी को शहरी स्थानीय चुनावों में अपना वोट शेयर बढ़ाने में कुछ सफलता मिली है. अखिल भारतीय अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (AIADMK) के साथ गठबंधन काफी हद तक स्थिर रहा है, लेकिन ये ऐसा गठबंधन नहीं है जो चुनावों में किस्मत बदल सके.
पार्टी के पदाधिकारी ने कहा, "2022 में शहरी निकाय चुनावों में पार्टी का प्रदर्शन इस बात का संकेत था कि हम आगे बढ़ रहे हैं. चुनावों में बीजेपी का वोट शेयर उन सीटों पर 5.4% था, जिन पर उसने चुनाव लड़ा था, जो कांग्रेस की तुलना में बहुत अधिक था." बता दें कि बीजेपी ने कांग्रेस (Congress) से ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ा था.
'हमने किसी को नहीं छोड़ा, वो हमें छोड़ गए'
राजनीतिक गलियारों में ये धारणा है कि बीजेपी छोटे दलों पर हावी हो जाती है और उनकी चिंताओं को नजरअंदाज कर देती है. हाल ही में संपन्न हुई राष्ट्रीय कार्यकारी समिति की बैठक में पूर्व केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा, "हमने किसी सहयोगी को नहीं छोड़ा है, शिरोमणि अकाली दल और नीतीश कुमार (जनता दल यूनाइटेड) ने हमें छोड़ है."
इनके साथ टूटे बीजेपी के संबंध
गौरतलब है कि साल 2018 के बाद से बीजेपी ने टीडीपी, कश्मीर में पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP), शिवसेना (2019) और शिरोमणि अकाली दल (2020) के साथ गठबंधन तोड़ दिया. बीजेपी ने अपनी सहयोगी लोक जनशक्ति पार्टी के साथ 2020 का बिहार विधानसभा चुनाव भी नहीं लड़ा और 2022 में JDU से नाता तोड़ लिया.
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