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UTTAR PRADESH (80)
43
INDIA
36
NDA
01
OTH
MAHARASHTRA (48)
30
INDIA
17
NDA
01
OTH
WEST BENGAL (42)
29
TMC
12
BJP
01
INC
BIHAR (40)
30
NDA
09
INDIA
01
OTH
TAMIL NADU (39)
39
DMK+
00
AIADMK+
00
BJP+
00
NTK
KARNATAKA (28)
19
NDA
09
INC
00
OTH
MADHYA PRADESH (29)
29
BJP
00
INDIA
00
OTH
RAJASTHAN (25)
14
BJP
11
INDIA
00
OTH
DELHI (07)
07
NDA
00
INDIA
00
OTH
HARYANA (10)
05
INDIA
05
BJP
00
OTH
GUJARAT (26)
25
BJP
01
INDIA
00
OTH
(Source: ECI / CVoter)
बिहार: आज RJD-JDU की अलग-अलग बैठक, अगले 48 घंटे में तेजस्वी पर हो सकता है फैसला
शाम पांच बजे एक अणे मार्ग पर जेडीयू विधानमंडल दल की बैठक होगी. कहा जा रहा है कि शुक्रवार को विधानसभा का सत्र शुरू होने से पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार तेजस्वी को लेकर आज या कल बड़ा फैसला ले सकते हैं. ये फैसला जल्द हो सकता है. कहा जा रहा है कि लालू और नीतीश में कई दिनों से बात भी नहीं हुई है.
पटना: बिहार में महागठबंधन के झगड़े में 48 घंटे का काउंटडाउन शुरू हो गया है. 28 जुलाई से शूरू हो रहे विधानसभा के मानसून सत्र से पहले आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव के बेटे और बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव पर फैसला हो सकता है. आज आरजेडी और जेडीयू की अलग-अलग बैठकें भी होने वाली हैं.
लालू के आवास पर RJD विधायकों की बैठक
लालू प्रसाद यादव की पार्टी आरजेडी ने आप अपने विधायकों की बैठक बुलाई है. ये बैठक विधानसभा के मानसून सत्र के लिए बुलाई गई है. बैठक दोपहर 12.30 बजे लालू के आवास पर शुरु होगी. इसमें पार्टी प्रमुख लालू के अलावा डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव भी शामिल होंगे.
तेजस्वी को लेकर आज या कल फैसला ले सकते हैं नीतीश
वहीं, शाम पांच बजे एक अणे मार्ग पर जेडीयू विधानमंडल दल की बैठक होगी. कहा जा रहा है कि शुक्रवार को विधानसभा का सत्र शुरू होने से पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार तेजस्वी को लेकर आज या कल बड़ा फैसला ले सकते हैं. ये फैसला जल्द हो सकता है. कहा जा रहा है कि लालू और नीतीश में कई दिनों से बात भी नहीं हुई है.
नीतीश चाहते हैं तेजस्वी इस्तीफा दे, लालू तैयार नहीं!
दरअसल, सीएम नीतीश चाहते हैं कि तेजस्वी खुद इस्तीफा दे दें, लेकिन लालू यादव तेजस्वी के इस्तीफे के लिए तैयार नहीं हैं. लालू यादव की पार्टी पहले ही कई बार स्पष्ट तौर पर कह चुकी है कि तेजस्वी को इस्तीफा देने की कोई जरुरत नहीं है. यह बीजेपी और आरएसएस की महागठबंधन को तोड़ने की एक चाल है. खुद लालू भी कह चुके हैं कि महागठबंधन अटूट है.
मौजूदा हालात में नीतीश क्या-क्या कर सकते हैं?
मौजूदा हालात में नीतीश के पास कई विकल्प हैं. नीतीश मंत्रिमंडल से इस्तीफा लेकर दोबारा मंत्रिमंडल का गठन कर सकते हैं. या वह नए मंत्रिमंडल में तेजस्वी यादव और तेजप्रताप को शामिल नहीं करें. ऐसा हुआ तो लालू सरकार से हटकर बाहर से समर्थन दे सकते हैं.
वहीं दूसरा विकल्प यह भी है कि नीतीश मंत्रिमंडल से इस्तीफा लेकर विश्वास प्रस्ताव लाएं. विश्वास प्रस्ताव लाकर जेडीयू, आरजेडी और कांग्रेस को बेनकाब करने की कोशिश कर सकती है. ऐसे में विश्वास प्रस्ताव आया तो जेडीयू को बीजेपी का भी साथ मिल सकता है. बीजेपी पहले से ही नीतीश कुमार को अपने खेमे में करने की कोशिश कर रही है.
बिहार विधानसभा का समीकरण
बिहार में विधानसभा की 243 सीट हैं और सरकार बनाने के लिए 122 सीटों की जरुरत पड़ती है. लेकिन बिहार में चुनाव से पहले कांग्रेस जेडीयू और आरजेडी ने मिलकर महागठबंधन कर लिया था. चुनाव में आरजेडी को सबसे ज्यादा 80 सीटों, जेडीयू को 71 और कांग्रेस को 27 सीटों पर जीत मिली थी और नीतीश कुमार मुख्यमंत्री बने थे.
ऐसे में अगर लालू महागठबंधन से बाहर हो जाते हैं तो नीतीश की पार्टी जेडीयू की 71 और कांग्रेस की 27 सीटें मिलाकर 98 सीटें ही रह जाएंगी जो बहुमत से बहुत कम है.
अगर नीतीश एनडीए के साथ आए तो
वहीं अगर जेडीयू महागठबंधन से अलग होकर एनडीए के साथ आती है तो जेडीयू की 71, बीजेपी की 53, एलजेपी और आरएलएसपी की 2-2 और हम की एक सीट मिलाकर आंकड़ा 129 पहुंच जाएगा जो बहुमत से सात सीट ज्यादा है. ऐसे में नीतीश कुमार मुख्यमंत्री बने रह सकते हैं.
बिहार सरकार पर संकट क्यों है?
दरअसल सीबीआई ने लालू समेत उनके पत्नी राबड़ी देवी और बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव के खिलाफ भ्रष्टाचार के एक मामले में एफआईआर दर्ज की है. तेजस्वी का भ्रष्टाचार में नाम आने के बाद नीतीश कुमार पर उनका इस्तीफा लेने का दबाव बन रहा है.
दोहरी मुसीबत में हैं नीतीश कुमार!
वहीं, एक अन्य मामले में लालू के बेटे तेजप्रताप भी मुश्किल में हैं. हाल ही में तेजप्रताप का एक पेट्रोल पंप जब्त किया गया है. तेजप्रताप पर नियमों से अलग पेट्रोल पंप की जमीन लेने का आरोप लगा है. तेज़ प्रताप नीतीश सरकार में स्वास्थ्य मंत्री हैं और इसके अलावा उनके पास लघु सिंचाई और पर्यावरण मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार भी है. ऐसे में नीतीश कुमार को दोहरी मुसीबतें झेलनी पड़ रही हैं.
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प्रशांत कुमार मिश्र, राजनीतिक विश्लेषक
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