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असम और मिजोरम के बीच अब सामने आया नया विवाद, दोनों राज्यों के बीच खूनी संघर्ष का रहा है इतिहास

असम और मिजोरम के बीच अब विवादित जगह पर झोपडियों के निर्माण के बाद नया विवाद शुरू हो गया है. हालांकि, दोनों राज्यों के बीच विवाद कोई नई बात नहीं है. विस्तार से पढ़ें पूरी खबर.

Assam And Mizoram Border Dispute: असम (Assam) और मिजोरम (Mizoram) के बीच सबकुछ ठीक नहीं है. इन दिनों एक नया विवाद दोनों राज्यों के बीच तकरार की स्थिति पैदा कर रहा है. आपको जानकर हैरानी होगी कि इस बार विवाद की जड़ झोपड़ी है. कोलासिब के पुलिस अधीक्षक वनलालफाका रालते के अनुसार, असम पुलिस ने दो अक्टूबर को झोफई इलाके में दो झोपड़ियां बनाई हैं. जिस स्थान पर झोपड़ियां बनाई गईं वह मिजोरम के पहले मुख्यमंत्री सी छुंगा के धान के खेत के बिल्कुल सामने मौजूद थी. हालांकि, असम पुलिस ने खुद सोमवार को झोपड़ियां हटा लीं. 

2018 में हुई हिंसक झड़प

दरअसल, जिसे इलाके में असम पुलिस ने झोपड़ियां बनाई वह विवादित क्षेत्र है. इस विवादित क्षेत्र पर दोनों राज्य सरकारों ने अच्छी स्थिति बनाए रखने पर सहमति जताई थी. गौरतलब है कि मार्च 2018 में इसी इलाके में झड़प हुई थी जब मिजोरम पुलिस के पदाधिकारियों ने वहां लकड़ी का एक मकान बनाने की कोशिश की थी. जिसमें हुई झड़प में 60 से अधिक लोग घायल हो गए थे. इस साल सितंबर में दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने सीमा मुद्दे को लेकर मुलाकात भी की थी और मंत्री स्तरीय बात जारी रखने पर सहमति जताई थी.

दोनों राज्यों के बीच बहुत पुराना है सीमा विवाद

असम और मिजोरम के बीच सीमा का मुद्दा मिजोरम के गठन के बाद से अस्तित्व में है. पहले 1972 में एक केंद्र शासित प्रदेश के रूप में और फिर 1987 में एक पूर्ण राज्य के रूप में. असम और मिजोरम के बीच 100 सालों से सीमा विवाद चल रहा है और असल रूप में इसके जिम्मेदार अंग्रेज ही रहे हैं. दरअसल, असम के कछार जिले में जिस जगह को लुशाई हिल्स के नाम से जाना था, उसे ही मिजोरम का दर्जा दिया गया था.

साल 1933 में एक अधिसूचना के माध्‍यम से लुशाई हिल्‍स और मणिपुर का सीमांकन किया गया था. वहीं मिजोरम ऐसा मानता है कि यह सीमांकन साल 1875 की अधिसूचना के आधार पर होना चाहिए. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, मिजोरम के नेताओं का कहना है कि साल 1933 में मिजो समाज से सीमांकन से पहले कोई सलाह नहीं ली गई थी, यही कारण है कि वे इस अधिसूचना के खिलाफ हैं. वहीं दूसरी ओर इसके उलट, असम सरकार 1933 की अधिसूचना का पालन करती है.

पिछले साल भी हुआ था खूनी संघर्ष

साल 2021 में एक दंपत्ति कछार (असल) जिले के रास्त मिजोरम आ रहे थे. जिस समय वह लौट रहे थे तो उनकी गाड़ी में तोड़फोड़ हुई. ये बवाल इतना बढ़ गया कि नौबत फायरिंग तक जा पहुंची. इससे पहले साल 2020 में अक्टूबर में भी दो बार दोनों राज्यों की सीमा पर आगजनी और हिंसा हुई थी. 9 अक्टूबर, 2020 को मिजोरम के दो लोगों को आग लगा दी गई थी. इसी के साथ कई झोपड़ियों और सुपारी के पौधों को भी आग के हवाले कर दिया गया था. वहीं कुछ दिन बाद ही कछार (असम) के लोगों ने मिजोराम पुलिस पर हमला कर दिया. पुलिस और आम लोगों पर पत्थरबाजी हुई.

100 साल से चल रहा विवाद

गौरतलब है कि असम और मिजोरम के बीच 164.6 किलोमीटर की अंतर-राज्य सीमा है, जिसमें असम के तीन जिले कछार, हैलाकांडी और करीमगंज, मिजोरम के कोलासिब, ममित और आइजोल जिलों के साथ सीमा साझा करते हैं. दोनों राज्यों में सीमा विवाद 100 साल पहले ब्रिटिश राज के समय से है. उस समय मिजोरम को असम के लुशाई हिल्स के रूप में जाना जाता था.

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