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Shaakuntalam Review: सामांथा रुथ प्रभु की शानदार एक्टिंग और Mythology की जानकारी के लिए देख सकते हैं ये फिल्म
Shaakuntalam Review: फिल्म का कहानी कालिदास के प्ले अभिज्ञानशाकुंतलम पर आधारित है. ये एक लव स्टोरी है. राजा दुष्यंत और शकुंतला की
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सामांथा रुथ प्रभु की शाकुंतलम हुई रिलीज ( Image Source :Instagram )
शाकुंतलम
मायथलॉजिकल ड्रामा
Director
गुनाशेखर
Starring
सामंथा रुथ प्रभु, देव मोहन, प्रकाश राज, अल्लू अरहा, कबीर बेदी, सचिन खेडेकर, मोहन बाबू, गौतमी, मधु
Shaakuntalam Review: इन दिनों साउथ लगातार कुछ ना कुछ ऐसा कर रहा है जो लोगों का ध्यान अपनी तरफ खींच रहा है.साउथ के सितारों का जमीन से जुड़ा होना भी सुर्खियों में रहता है.लोगों में ये इमेज काफी मजबूत हुई है कि साउथ के सितारे हमारे कल्चर से काफी ज्यादा जुड़े हुए हैं.इसी कड़ी में एक और फिल्म आई है 'शकुंतलम.'
कहानी
फिल्म का कहानी कालिदास के प्ले अभिज्ञानशाकुंतलम पर आधारित है. ये एक लव स्टोरी है. राजा दुष्यंत और शकुंतला की.शकुंतला मेनका और ऋषि विश्वकर्मा की बेटी है.राजा दुष्यंत और शकुंतला में प्यार हो जाता है और शकुंतला गर्भवती हो जाती है.राजा शादी का वादा करता है, लेकिन फिर शकुंतला को एक श्राप मिलता है जिससे राजा सब भूल जाता है.फिर क्या होता है.दोनों कैसे एक होते हैं.यही इस फिल्म की कहानी है.
फिल्म का कहानी कालिदास के प्ले अभिज्ञानशाकुंतलम पर आधारित है. ये एक लव स्टोरी है. राजा दुष्यंत और शकुंतला की.शकुंतला मेनका और ऋषि विश्वकर्मा की बेटी है.राजा दुष्यंत और शकुंतला में प्यार हो जाता है और शकुंतला गर्भवती हो जाती है.राजा शादी का वादा करता है, लेकिन फिर शकुंतला को एक श्राप मिलता है जिससे राजा सब भूल जाता है.फिर क्या होता है.दोनों कैसे एक होते हैं.यही इस फिल्म की कहानी है.
एक्टिंग
सामंथा की एक्टिंग शानदार है.सामंथा कमाल की लगी हैं.उनकी स्क्रीन प्रेंजेस गजब की है.शकुंतला के किरदार को उन्होंने पूरी शिद्दत से निभाया है. हिंदी में सामंथा ने डबिंग भी खुद की है और उनकी डबिंग भी काफी अच्छी है.देव मोहन ने राजा दुष्यंत के किरदार में काफी अच्छा काम किया है.लड़ाई से लेकर शकुंतला की जुदाई तक के सीन में उन्होंने कमाल की एक्टिंग की है. कान्वा महाऋषि के किरदार में सचिन खेडकर की एक्टिंग भी काफी अच्छी है.
सामंथा की एक्टिंग शानदार है.सामंथा कमाल की लगी हैं.उनकी स्क्रीन प्रेंजेस गजब की है.शकुंतला के किरदार को उन्होंने पूरी शिद्दत से निभाया है. हिंदी में सामंथा ने डबिंग भी खुद की है और उनकी डबिंग भी काफी अच्छी है.देव मोहन ने राजा दुष्यंत के किरदार में काफी अच्छा काम किया है.लड़ाई से लेकर शकुंतला की जुदाई तक के सीन में उन्होंने कमाल की एक्टिंग की है. कान्वा महाऋषि के किरदार में सचिन खेडकर की एक्टिंग भी काफी अच्छी है.
कैसी है फिल्म
ये फिल्म कालिदास के प्ले पर आधारित है और जो लोग इसके बारे में नहीं जानते उनके लिए ये कहानी नई है.जिन लोगों की mythology में दिलचस्पी है उनके लिए भी ये कहानी अच्छी है.फिल्म के सेट ग्रैंड हैं.कॉस्ट्यूम काफी अच्छे हैं.खासतौर पर सामंथा के कॉस्ट्यूम काफी अच्छे लगे हैं.फिल्म में कई तरह के जानवर दिखाए गए हैं.जो कहीं-कहीं अच्छे भी लगते हैं औऱ कहीं कहीं नकली भी.फिल्म ग्रैंड तो है, लेकिन कहीं-कहीं नकली वीएफएक्स साफ पता चलते हैं.फिल्म किसी-किसी जगह आपको टीवी सीरियल टाइप फील भी देती है.फर्स्ट हाफ में कहानी धीमी रफ्तार से आगे बढ़ती है लेकिन सेकेंड हाफ में पेस पकड़ती है और सेकेंड हाफ में ही आप ये फिल्म एन्जॉय भी करते हैं.
ये फिल्म कालिदास के प्ले पर आधारित है और जो लोग इसके बारे में नहीं जानते उनके लिए ये कहानी नई है.जिन लोगों की mythology में दिलचस्पी है उनके लिए भी ये कहानी अच्छी है.फिल्म के सेट ग्रैंड हैं.कॉस्ट्यूम काफी अच्छे हैं.खासतौर पर सामंथा के कॉस्ट्यूम काफी अच्छे लगे हैं.फिल्म में कई तरह के जानवर दिखाए गए हैं.जो कहीं-कहीं अच्छे भी लगते हैं औऱ कहीं कहीं नकली भी.फिल्म ग्रैंड तो है, लेकिन कहीं-कहीं नकली वीएफएक्स साफ पता चलते हैं.फिल्म किसी-किसी जगह आपको टीवी सीरियल टाइप फील भी देती है.फर्स्ट हाफ में कहानी धीमी रफ्तार से आगे बढ़ती है लेकिन सेकेंड हाफ में पेस पकड़ती है और सेकेंड हाफ में ही आप ये फिल्म एन्जॉय भी करते हैं.
डायरेक्शन
Gunasekhar ने फिल्म को डायरेक्ट किया है.उनका डायरेक्शन ठीक है, लेकिन फर्स्ट हाफ में वो कहानी को बहुत धीमे तरीके से आगे ले गए हैं.सेकेंड हाफ में कहानी की पेस तो अच्छी है ही. डायरेक्शन भी सटीक है.एंड में जब शकुंतला और दुष्यंत का छोटा बेटा आता है और अपने पिता से मिलता है तो वो सीन काफी प्रभावित करता है.बच्चे ने एक्टिंग भी अच्छी की है.
Gunasekhar ने फिल्म को डायरेक्ट किया है.उनका डायरेक्शन ठीक है, लेकिन फर्स्ट हाफ में वो कहानी को बहुत धीमे तरीके से आगे ले गए हैं.सेकेंड हाफ में कहानी की पेस तो अच्छी है ही. डायरेक्शन भी सटीक है.एंड में जब शकुंतला और दुष्यंत का छोटा बेटा आता है और अपने पिता से मिलता है तो वो सीन काफी प्रभावित करता है.बच्चे ने एक्टिंग भी अच्छी की है.
म्यूजिक
मनी शर्मा का म्यूजिक अच्छा है.फिल्म की पेस के हिसाब से म्यूजिक अच्छा है और फिल्म के दौरान गाने अच्छे लगते हैं.कुल मिलाकर ये एक ठीक ठाक फिल्म है.सामंथा के फैन हैं तो आपको मजा आएगा और अगर mythology के बारे में जानना चाहते हैं तो आप निराश नहीं होंगे.लेकिन अगर टिपिकल मसाला टाइम फिल्में देखने के शौकीन हैं तो ये फिल्म आपको बोर कर सकती है.
मनी शर्मा का म्यूजिक अच्छा है.फिल्म की पेस के हिसाब से म्यूजिक अच्छा है और फिल्म के दौरान गाने अच्छे लगते हैं.कुल मिलाकर ये एक ठीक ठाक फिल्म है.सामंथा के फैन हैं तो आपको मजा आएगा और अगर mythology के बारे में जानना चाहते हैं तो आप निराश नहीं होंगे.लेकिन अगर टिपिकल मसाला टाइम फिल्में देखने के शौकीन हैं तो ये फिल्म आपको बोर कर सकती है.
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डॉ. सब्य साचिन, वाइस प्रिंसिपल, जीएसबीवी स्कूल
Opinion