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Mrs Chatterjee Vs Norway Review: रानी मुखर्जी की दमदार एक्टिंग, फर्स्ट हाफ बोरिंग, सेकेंड हाफ दमदार
Mrs Chatterjee Vs Norway Review: 'मिसेज चटर्जी वर्सेज नॉर्वे एक मां की अपने बच्चों को पाने के लिए जंग की कहानी है. फिल्म में रानी मुखर्जी की पावर पैक्ड परफॉर्मेंस काफी इम्प्रेस करती है.
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अशिमा छिब्बर
रानी मुखर्जी, अनिर्बान भट्टाचार्य, जिम सरभ, नीना गुप्ता
Mrs Chatterjee Vs Norway Review: क्या एक मां अपने बच्चों को किडनैप कर सकती है? क्या होता है जब एक मां से उसके बच्चों को इसलिए छीन लिया जाता है क्योंकि वो अपने बच्चे को अपने हाथ से खाना खिलाती है. वो अपने बच्चों को नजर से बचाने के लिए काला टीका लगाती है. यही कहानी है Mrs Chatterjee Vs Norway की.
कहानी
ये एक सच्ची कहानी है. ये सागरिका भट्टाचार्य की जिंदगी की कहानी है जो उन्होंने अपनी ऑटोबायोग्राफी The Journey of a Mother में बताई थी. कहानी एक इंडियन कपल की है जो नॉर्वे शिफ्ट हो जाता है और वहां उनके बच्चों को चाइल्ट वेलफेयर वाले उठाकर ले जाते हैं. आरोप लगता है कि ये कपल बच्चों की परवरिश ठीक से नहीं कर रहा और फिर शुरू होती है एक मां की अपने बच्चों को वापस लाने के लिए जंग. इस जंग में एक मां किस हद तक जाती है यही फिल्म की कहानी है.
कैसी है फिल्म?
फिल्म अच्छी है लेकिन जितनी उम्मीद थी उतनी नहीं है. फिल्म का फर्स्ट हाफ बोरिंग लगता है. एक मां की दमदार कहानी भी आपको बांध नहीं पाती. फिल्म वो इमोशन जेनरेट नहीं कर पाती जिसकी उम्मीद ट्रेलर ने जगाई थी. कहानी में काफी दम है लेकिन फर्स्ट हाफ में फिल्म उम्मीदों को तोड़ देती है लेकिन सेकेंड हाफ में फिल्म कमबैक करती है. कोर्टरूम ड्रामा जबरदस्त है और सेकेंड हाफ में आपको लगता है कि इस फिल्म में दम है. कुल मिलाकर फिल्म का सेकेंड हाफ ही अच्छा लगता है और उसके लिए ये फिल्म देखी जा सकती है. फिल्म के कुछ डायलॉग बांग्ला में हैं, कुछ इंग्लिश में हैं. सब टाइटल्स का सहारा लिया गया है लेकिन फिर भी कुछ दर्शकों को समझने में दिक्कत हो सकती है
एक्टिंग
रानी मुखर्जी की एक्टिंग इस फिल्म की जान है. रानी ने हर सीन में कमाल का काम किया है. ऐसा लगता है रानी ने ये किरदार जिया है और उस मां के दर्द को खुद महसूस किया है. रानी फर्स्ट हाफ में भी कमाल की एक्टिंग करती हैं लेकिन फिल्म का स्क्रीनप्ले शायद ऐसा है कि आपको वो इमोशन महसूस नहीं होता है. सेकेंड हाफ में भी रानी ने कमाल का काम किया है. रानी के पति के किरदार में अनिर्बान भट्टाचार्य ने अच्छी एक्टिंग की है. जिम सरभ का काम अच्छा है. नीना गुप्ता की एक्टिंग भी दमदार है.
डायरेक्शन
फिल्म को अशिमा छिब्बर ने डायरेक्ट किया है. उनका डायरेक्शन ठीक है लेकिन फर्स्ट हाफ में वो उस इमोशन को दिखाने में नाकाम रहीं जो फिल्म की जान है. सेकेंड हाफ में उन्होंने फिल्म पर पकड़ जरूर बनाई लेकिन अच्छी फिल्म के लिए दोनों हाफ अच्छे होने जरूरी हैं. फिल्म की सिनेमैटोग्राफी अच्छी है. नॉर्वे के सीन अच्छे शूट हुए हैं और कोर्ट के सीन्स को भी अच्छे से फिल्माया गया है.
फिल्म का म्यूजिक अमित त्रिवेदी ने दिया है. गाने कहानी के साथ आगे बढ़ते हैं. अच्छे लगते हैं लेकिन ऐसा कोई गाना नहीं जो आपको याद रहे. कुल मिलाकर ये फिल्म रानी मुर्खजी की शानदार एक्टिंग के लिए देखी जा सकती है
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