![metaverse](https://cdn.abplive.com/imagebank/metaverse-top.png)
Success Mantra: इंद्रियों पर जिसने काबू पा लिया उसने संसार को जीत लिया
श्रीमद्भागवत गीता जीवन का सार है. जो व्यक्ति भगवान कृष्ण के इस सार को समझ लेता है वह जीवन में सफलता प्राप्त करता है. व्यक्ति के समस्त प्रकार के कष्ट दूर हो जाते हैं. जीवन के अर्थ को समझ लेता है.
![Success Mantra: इंद्रियों पर जिसने काबू पा लिया उसने संसार को जीत लिया Success Mantra bhagwat geeta geeta updesh geeta in hindi He who overcomes the senses conquered the world Success Mantra: इंद्रियों पर जिसने काबू पा लिया उसने संसार को जीत लिया](https://static.abplive.com/wp-content/uploads/sites/2/2020/01/22120718/bhagwatgeeta.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&height=675)
सक्सेस मंत्र: श्रीमद्भागवत गीता व्यक्ति को श्रेष्ठ कर्म और उच्च आचरण को अपनाने के लिए प्रेरित करती है. महाभारत के युद्ध में जब अर्जुन जब दुविधा में फंस गए तब भगवान श्री कृष्ण ने उनकी तमाम दुविधाओं, शंकाओं और चिंताओं का निवारण किया. भगवान श्रीकृष्ण ने कुरूक्षेत्र में तब अर्जुन को गीता उपदेश सुनाआ. गीता में छिपे दर्शन को जिसने समझ लिया उसका जीवन आनंद से भर जाता है. जीवन के दुखों से उसे छुटकारा मिल जाता है. जीवन के सत्य को समझ लेता है. यही गीता का उद्देश्य है. आइए जानते हैं श्रीमद्भगवत गीता से आज का सक्सेस मंत्र...
इंद्रियों को जिसने बस में कर लिया उसने संसार जीत लिया
इंद्रियां व्यक्ति को अपना दास बना लेती हैं. जो व्यक्ति अपने इंद्रियों पर विजय पा लेता है वह संसार को भी जीत सकता है. इंद्रिया व्यक्ति को आलसी बनाती हैं उसे अपना आसक्त बना लेती है. व्यक्ति इंद्रियों के बस में आकर उनकी ही पूर्ति करने के लिए प्रयास करता रहता है. वह समझ ही नहीं पाता है कि सही क्या है और गलत क्या है. जबतक उसे समझ में आता है तब तक समय निकल चुका होता है. तब व्यक्ति के पास हाथ मलने के अलावा कोई दूसरा चारा नहीं बचता है. इंद्रियों को बस में करना आसान भी नहीं है. इसके लिए व्यक्ति को ज्ञान की शरण में जाना होगा. अध्यात्म का सहारा लेना होगा. जब ऐसा होगा तभी व्यक्ति इंद्रियों के जाल से निकल सकेगा.
जन्म से पहले और मृत्यु के बाद भी व्यक्ति अदृश्य है
जाने वाले व्यक्ति का शोक नहीं करना चाहिए. भगवान श्री कृष्ण अर्जुन से कहते हैं कि हे अर्जुन, सम्पूर्ण प्राणी जन्म से पहले अप्रकट थे और मरने के बाद भी अप्रकट हो जाने वाले हैं, केवल बीच में ही प्रकट हैं, फिर ऐसी स्थिति में क्या शोक करना है. जो व्यक्ति गुजर गया उसके बारे में सोच सोच कर अपना वर्तमान दुखों से नहीं भरना चाहिए. व्यक्ति को कर्म के प्रति निरंतर अग्रसर रहना चाहिए. परिणाम के बारे में नहीं सोचना चाहिए. परिणाम प्रभु को समर्पित कर देना चाहिए. ये मृत्युलोक का सत्य है कि जिसने जीवन लिया है उसे एक न एक दिन नष्ट होना ही पड़ेगा. व्यक्ति का अंतिम पड़ाव पंचतत्व में विलीन होना है.
Chanakya Niti: धन को बहुत सोच समझकर ही खर्च करना चाहिए,नहीं तो उठानी पड़ती है परेशानी
ट्रेंडिंग न्यूज
टॉप हेडलाइंस
![metaverse](https://cdn.abplive.com/imagebank/metaverse-mid.png)
![डॉ. सब्य साचिन, वाइस प्रिंसिपल, जीएसबीवी स्कूल](https://feeds.abplive.com/onecms/images/author/045c7972b440a03d7c79d2ddf1e63ba1.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=70)