Garuda Purana Lord Vishnu Niti in Hindi: गरुड़ पुराण से लेकर शास्त्रों में भी बतलाया गया है कि, शरीर नश्वर है लेकिन आत्मा अमर है. यानी मृत्यु के बाद शरीर नष्ट हो जाता है और आत्मा जीवित रहती है. क्योंकि आत्मा अजर-अमर है. ऐसा श्रीकृष्ण भी भगवत गीता में कहते हैं.


जन्म के बाद मृत्यु होना संभव है. क्योंकि जिसका जन्म हुआ है उसकी मृत्यु निश्चित है. लेकिन हर व्यक्ति की मौत एक समान नहीं होती. हर व्यक्ति की मृत्यु में उम्र और अवस्था आदि का अंतर होता है और हर किसी के प्राण भी शरीर से अलग-अलग तरह से निकलते हैं. कुछ लोगों के प्राण निकलते समय मुंह टेढ़ा हो जाता है. लेकिन ऐसा क्यों होता है. आइये जानते हैं गरुड़ पुराण में इस संबंध में क्या कहा गया है.


इससे पहले आपको बता दें कि, गरुड़ पुराण ऐसा ग्रंथ है, जिसमें मृत्यु और मृत्यु के बाद की स्थिति पर विस्तारपूर्वक चर्चा की गई है. इसमें भगवान विष्णु द्वारा पाप-पुण्य जैसे कर्म, स्वर्ग-नरक, अधोगति, सद्गति, पुनर्जन्म आदि के बारे में बताया गया है. इसलिए इसे हिंदू धर्म के महापुराणों में एक और महत्वपूर्ण ग्रंथ माना गया है. गरुड़ पुराण के अनुसार, मृत्यु के समय प्राण निकलने की स्थिति भी व्यक्ति के कर्मों पर आधारित होती है.


मृत्यु के समय मुंह टेढ़ा होना है शुभ


मृत्यु के समय जब प्राण मुंह से निकलते हैं तो ऐसी स्थिति में मुंह टेढ़ा हो जाता है, जिसे बहुत ही शुभ माना जाता है. मान्यता है कि, जो लोग अपने जीवन में परोपकार वाले काम करते हैं, दूसरों की रक्षा करते हैं, पुण्यकर्म करते हैं, कभी किसी का अहित नहीं करते और धर्म मार्ग पर चलते हैं. उनके प्राण मुंह से निकलते हैं. ऐसे लोगों की आत्मा जब यमलोक पहुंचती है तो इन्हें अपने अच्छे कर्मों के कारण अधिक कष्ट भी नहीं भोगना पड़ता है. गरुड़ पुराण के अनुसार, धर्मात्मा लोगों के प्राण ही मुंह से निकलते हैं.


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