Diwali 2021: धनतेरस के साथ शुरू होने वाला दिवाली का पांच दिन चलने वाला त्योहार माता कालिका की पूजा के बगैर अधूरा है. मां काली की पूजा दो बार होती है, पहली बार नरक चतुर्दशी में जिसे काली चौदस कहते हैं, दूसरी बार ​दीवाली की अंधेरी रात मां की पूजा होती है. भारत के अधिकतर राज्यों में दिवाली की अमावस्या पर लक्ष्मी और गणेश की पूजा करते हैं, लेकिन पश्चिम बंगाल, उड़ीसा और असम में मां काली की पूजा होती. ये पूजा आधी रात को होती है. मान्यता है कि राक्षसों का वध करने के बाद महाकाली का क्रोध कम नहीं हुआ तो भगवान शिव खुद उनके चरणों में लेट गए. भगवान शिव के शरीर स्पर्श मात्र से ही देवी महाकाली का गुस्सा खत्म हो गया. इसकी याद में उनके शांत रूप लक्ष्मी की पूजा की शुरुआत हुई. इसी रात इनके रौद्ररूप काली की पूजा भी की जाती है. माना जाता है कि काली पूजा करने से संकटों का तुरंत हाल हो जाता है.


ऐसे करें कालीपूजन
मां कालीजी की पूजा का दो विधान है. एक सामान्य उपासना और दूसरी मंत्र पूजा. सामान्य पूजा में 108 गुड़फल फूल, 108 बेलपत्र-माला, 108 दीये और 108 दुर्वा चढ़ाने की परंपरा है. मौसमी फल, मिठाई, खिचड़ी, खीर, तली सब्जी और बाकी व्यंजनों का भी भोग लगता है. पूजा की इस विधि में सुबह से उपवास रखकर रात को भोग, होम-हवन और पुष्पांजलि की जाती है.


तंत्र पूजा का भी विधान
ज्यादातर जगहों पर तंत्र साधना के लिए मां काली की पूजा की जाती है. मंत्र का प्रतिदिन 108 बार जाप करने से ज्यादा लाभ मिलता है. इससे पैसों से जुड़ी परेशानी खत्म हो जाती है.


ॐ नमो काली कंकाली महाकाली मुख सुन्दर जिह्वा वाली,
चार वीर भैरों चौरासी, चार बत्ती पूजूं पान ए मिठाई,
अब बोलो काली की दुहाई.


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