Ashadha Amavasya 2021 Live: आषाढ़ अमावस्या की तिथि पर न हों कंफ्यूज, जानें हलहारिणी & शनिश्चरी अमावस्या कब है?
Ashadha Amavasya 2021: आज आषाढ़ मास की अमावस्या तिथि है. आज 9 जुलाई को हलहारिणी अमावस्या और कल यानी 10 जुलाई को शनिश्चरी अमावस्या मनाई जाएगी.
LIVE
Background
Ashadha Amavasya 2021: हिंदू पंचांग के अनुसार, हर मास में दो पक्ष होते हैं. पहला शुक्ल पक्ष और दूसरा कृष्ण पक्ष. ये दोनों पक्ष चंद्रमा की 30 दिन की कलाओं के आधार पर 15- 15 दिन में विभाजित किया गया है. शुक्ल पक्ष के अंतिम दिन को पूर्णिमा और कृष्ण पक्ष के अंतिम दिन को अमावस्या कहते हैं. आज 9 जुलाई को आषाढ़ मास की अमावस्या है. पंचांग के आनुसार, साल भर में 12 अमावस्या और 12 ही पूर्णिमा होती है. अमावस्या तिथि जब शनिवार को पड़ती है तो उसे शनिश्चरी अमावस्या कहते हैं. इन सभी अमावस्या का अपना अलग-अलग महत्व है.
अमावस्या तिथि को चंद्रमा आकाश में नहीं दिखाई पड़ता है. इसका पृथ्वी के सभी जीव जंतुओं पर प्रभाव पड़ता है. पंचांग के अनुसार चंद्रमा को मन का देवता कहते हैं. चंद्रमा के आकाश में दिखाई न पड़ने के कारण मन में घबराहट होती है. व्यक्तियों का मन बेचैन हो सकता है.
आषाढ़ अमावस्या तिथि का शुभ मुहूर्त
साल 2021 में आषाढ़ मास की अमास्या तिथि 9 जुलाई की सुबह 5 बजकर 16 मिनट से आरंभ होगी और 10 जुलाई 2021 की सुबह 06 बजकर 46 मिनट पर समाप्त होगी. अतः इस बार अमावस्या दो दिन मनाई जायेगी. पहले दिन यानी 9 जुलाई की अमावस्या को हलहारिणी अमावस्या और 10 जुलाई को शनिश्चरी अमावस्या मनाई जायेगी.
राहुकाल का समय
आज राहुकाल का समय सुबह 10.30 बजे से 12 बजे तक राहुकाल रहेगा. चंद्रमा पूरे दिन रात मिथुन राशि में विराजमान रहेंगे.
पितरों को याद करें
अमावस्या की तिथि में पितृ पूजा को भी विशेष महत्व दिया जाता है. इस दिन पितरों को याद करना चाहिए. आषाढ़ अमावस्या पर पितरों का श्राद्ध करना उत्तम माना गया है.
आषाढ़ अमावस्या व्रत का पारण
आषाढ़ मास की अमावस्या 9 जुलाई, शुक्रवार को है. इसी दिन व्रत और पूजा का कार्य किया जाएगा. व्रत का पारण 10 जुलाई 2021 को किया जाएगा.
हलहारिणी अमावस्या
हिंदू पंचांग के अनुसार, आषाढ़ अमावस्या 9 जुलाई 2021, दिन शुक्रवार को है. आज के दिन अमावस्या तिथि सुबह 5 बजकर 16 मिनट पर शुरू हुई है. जोकि कल यानी 10 जुलाई को करीब 7 बजे तक रहेगी. आज हलहारिणी अमावस्या है, इस दिन खेतों की जुताई नहीं की जाती. हल और बैल की पूजा की जाती है. किसान अच्छी पैदावार के लिए इस दिन भगवान की पूजा करते हुए प्रार्थना करते हैं.
आषाढ़ी अमावस्या का कृषि में महत्व
आषाढ़ मास की अमावस्या किसान के लिए बहुत ही महत्व रखती है. चूंकि भारत एक कृषि प्रधान देश है. हमारे देश की आबादी का एक बहुत बड़ा हिस्सा कृषि से संबंधित कार्यों से जुड़ा हुआ है. कृषि उत्पादन में जल की बहुत बड़ी भूमिका होती है. आषाढ़ वर्षा का मौसम होता है. इस मास में अच्छी वर्षात होती है. जिससे किसानों की उपज बढ़ती है. इस लिए आषाढ़ मास की अमावस्या के पावन दिन पर कृषि उपकरणों की विशेष पूजा की जाती है. इस दिन किसान हल की भी पूजा करते हैं. इसीलिए इस अमावस्या को हलहारिणी अमावस्या भी कहते हैं. किसान इस दिन पूजा कर भगवान से अच्छी फसल की प्रार्थना करते हैं.
शनिश्चरी अमावस्या
अमावस्या तिथि जब शनिवार के दिन होती है, तब इसे शनिश्चरी अमावस्या कहते हैं. धार्मिक मान्यता है कि इस दिन पवित्र नदी में स्नान करने और दान देने से जीवन के सभी पाप दूर होते हैं. इस पर्व पर पितृ पूजा अर्थात पितृ को तर्पण करने से परिवार वालों की उम्र और सुख-समृद्धि भी बढ़ती है.