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Post-covid syndrome: वायरस का प्रभाव इन छह अंगों पर बीमारी से ठीक होने के बाद भी पड़ता है, जानिए कैसे

कोविड-19 के मरीजों को बीमारी से ठीक होने के बाद भी खास ध्यान और देखभाल की जरूरत है. बीमारी कुछ अस्थायी और स्थाई प्रभावों की वजह बन सकती है. आपको जानना चाहिए कोरोना वायरस कैसे शरीर के छह अंगों और अंग प्रणाली को प्रभावित करता है.

कोविड-19 के खतरनाक होने के बारे में सभी जानते हैं. लेकिन आम तौर से मालूम न हो कि ये मरीज के ठीक होने के बाद भी घातक हो सकता है. कोरोना वायरस आपकी सोच से ज्यादा शरीर को बुरी तरह प्रभावित करता है. वायरस के शरीर से निकलने के बावजूद उसका लक्षण मरीजों पर बोझ डाल रहा है.

इसलिए कोविड-19 के मरीजों को बीमारी से ठीक होने के बाद भी खास ध्यान और देखभाल की जरूरत है. बीमारी कुछ अस्थायी और स्थाई प्रभावों की वजह बन सकती है. आपको जानना चाहिए कोरोना वायरस कैसे शरीर के छह अंगों और अंग प्रणाली को प्रभावित करता है.

कोरोना वायरस का श्वसन तंत्र पर प्रभाव- कोविड-19 से ठीक हो चुके कुछ मरीजों ने लगातार थकान, सांस लेने में कठिनाई और गहरी सांस लेने में तकलीफ की शिकायत की है. उन्होंने बताया कि इसकी वजह से मामूली काम अंजाम देने की क्षमताओं में बाधा पहुंची. ऐसा फेफड़ों और हवा की थैली में निशान पड़ने की वजह से हो सकता है. इससे शरीर में ऑक्सीजन की कमी और सांस लेने की समस्या पैदा होती है. अगर लंबे समय तक बरकरार रहा, तो इन समस्याओं का प्रभाव लंबे समय तक देखा जा सकता है.

कोरोना वायरस का लीवर पर प्रभाव-कोरोना वायरस नकल बनाने और हेपटिक टिश्यू को नुकसान पहुंचाने के तौर पर जाना जाता है. इसके नतीजे में लीवर का कामकाज असमान्य हो जाता है. डॉक्टरों ने खुलासा किया है कि कोविड-19 के ज्यादातर मरीजों में नुकसान बीमारी से ठीक होने के बाद भी रहा और इसकी वजह साइटोकिन स्‍टार्म, दवाइयों के साइड इफेक्ट्स या निमोनिया के कारण शरीर में ऑक्सीजन का कम लोवल हो सकती है.

किडनी पर कोरोना वायरस का प्रभाव- किडनी का निम्न कामकाज पोस्ट रिकवरी कोविड-19 के ज्यादातर मरीजों में पाया गया. किडनी के नुकसान को वायरस के सीधे हमले, संक्रमण के चलते कम ऑक्सीजन लेवल, साइटोकिन स्टार्म और ब्लड क्लॉट्स से बड़े पैमाने पर जोड़ा गया. हालांकि, कोविड-19 के मरीजों को पहले से किडनी की बीमारी भी नहीं थी. इसके अलावा कोविड-19 से ठीक हो चुके मरीज युवा थे. किडनी के नुकसान से डायलिसिस की जरूरत पड़ सकती है.

दिमाग पर कोरोना वायरस का प्रभाव- वायरस की वजह से होनेवाली कोविड-19 दिमाग में मामूली से गंभीर सूजन की वजह बनती है. इसके चलते धूमिल विचार, ध्यान लगाने में कमी, सिर चकराना, भ्रम की स्थिति और दौरा हो सकता है. कुछ शोधकर्ताओं के मुताबिक, कोविड-19 अस्थायी रूप से फालिज की भी वजह बन सकती है. जिससे कुछ ठीक हो चुके मरीजों में अल्जाइमर और पार्किंसन भी देखा जा सकता है.

दिल और रक्त वाहिकाओं पर प्रभाव- कोविड-19 से ठीक हो चुके मरीजों को स्ट्रोक या हार्ट फेल्योर होने का खतरा बढ़ जाता है. अगर पहले से किसी को दिल की बीमारी है, तो उन लोगों के लिए ये खास तौर से गंभीर हो जाता है. देखा गया है कि कोविड-19 से ठीक हो चुके ज्यादातर मरीजों ने छाती दर्द, थकान, दिल धड़कने की असमान्य गति होने की शिकायत की. हालांकि, कोरोना की जांच में उनकी रिपोर्ट निगेटिव आ चुकी थी. कोविड-19 के बाद होनेवाले प्रभावों में ब्लड क्लॉट्स बनना भी शामिल है. उसकी वजह से हार्ट अटैक या स्ट्रोक और लीवर, किडनी के नुकसान का खतरा हो सकता है.

पाचन तंत्र पर कोरोना का प्रभाव-कोविड-19 संभावित तौर पर पोषण अवशोषण को बाधित कर सकता है. जिससे शरीर का जरूरी पोषक तत्वों और इलेक्ट्रोलाइट्स का निगलना ज्यादा मुश्किल हो जाता है. कोविड-19 से ठीक होने के बावजूद ज्यादातर मरीजों ने अक्सर मतली, भूख की कमी, डायरिया और पेट की परेशानी की शिकायत की है. जिससे उनका नियमित डाइट खाना मुश्किल हो गया. हालांकि, ये लक्षण ज्यादातर अस्थायी होता है.

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