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वैश्विक शक्ति, विजन 2047 और विकास... भारत के लिए बोझ नहीं, ताकत है आबादी, कौशल विकास साबित हो सकता है 'तुरुप का पत्ता'

आने वाले समय में, वैश्विक कामकाजी आबादी का 25% हिस्सा भारत से आएगा. ऐसे में जब तक हम अपनी युवा जनसांख्यिकी को स्किल, री-स्किल और अप-स्किल किया जाना आवश्यक है.

किसी भी देश के लिए बढ़ती जनसंख्या या तो बोझ हो सकती है या फिर संपति. ये दोनों ही बातें अपने आप में कई मायनों में महत्वपूर्ण हैं. चूंकि बढ़ती जनसंख्या का दबाव वहां के संसाधनों के दोहन की गति को तेज कर देती है. चूंकि आबादी के अनुरूप संसाधन हमेशा से सिमित रहे हैं. इसके लिए फिर हमें आबादी के बड़े हिस्से को समंसाधनों का सही इस्तेमाल करने के लिए उसे न सिर्फ उसे शिक्षित करना होता है, बल्कि उसे खुद में एक संसाधन के रूप में भी तैयार करना होता है. इससे न सिर्फ हम सिमित संसाधन का सही इस्तेमाल कर पाएंगे बल्कि हम उसका विकल्प भी ढूंढ पाने में सफल हो सकते हैं. ये बात इसलिए कही जा रही है चूंकि भारत यानी हम अब दुनिया की सबसे बड़ी आबादी वाला देश बन गए हैं. भारत की बढ़ती आबादी पर भी ये बातें लागू होती है. चूंकि हम अपने आप को वर्ष 2047 तक एक विकसित राष्ट्र बनने का सपना लेकर आगे बढ़ रहे हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विजन@2047 का विजन दिया है. इसमें भारत को हर क्षेत्र में आगे बढ़ने और एक वैश्विक आर्थिक शक्ति बनने के लिए दृष्टिकोण को स्पष्ट किया गया है. हाल ही में यूनाइटेड नेशन द्वार प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक हमने जनसंख्या के मामले में चीन को पीछे छोड़ दिया है. इसमें बड़े पैमाने पर युवा शक्ति का एक बड़ा वर्ग है. जिसे स्कील किया जाना आवश्यक है.


दरअसल, सोमवार को भुवनेश्वर में आयोजित वर्कशॉप में स्कील डेवलपमेंट मिनिस्टर धर्मेंद्र प्रधान ने भारत और सिंगापुर के डेलिगेट्स को संबोधित किया. वर्कशॉ का थीम था 'कार्य का भविष्य: कौशल वास्तुकला और भारत और सिंगापुर के शासन मॉडल' जिसमें उन्होंने कहा कि भारत और सिंगापुर कौशल और ज्ञान को बढ़ाने के क्षेत्र में रणनीतिक साझेदार हैं. आने वाले समय में, वैश्विक कामकाजी आबादी का 25% हिस्सा भारत से आएगा. ऐसे में जब तक हम अपनी युवा जनसांख्यिकी को स्किल, री-स्किल और अप-स्किल नहीं करेंगे और उन्हें भविष्य के काम के लिए तैयार नहीं करेंगे, तब तक हम अपनी वैश्विक जिम्मेदारियों का निर्वहन नहीं कर पाएंगे. MSDE ने कौशल विकास और व्यावसायिक शिक्षा प्रशिक्षण के क्षेत्र में ऑस्ट्रेलिया, बेलारूस, चीन, डेनमार्क, फ्रांस, जर्मनी, जापान, कतर, स्विट्जरलैंड, संयुक्त अरब अमीरात (UAE) और यूनाइटेड किंगडम (UK) जैसे देशों के साथ कुल 11 देशों के साथ गवर्नमेंट टू गवर्नमेंट समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए हैं. इसके अलावा जर्मनी, जापान, सिंगापुर, यूएई, गल्फ कॉपरेशन काउंसिल के देशों के साथ भी भारत के युवाओं को कौशल प्रदान करने के लिए कई एमओयू पर हस्ताक्षर किये हैं.


सिंगापुर के भारत में हाई कमिश्नर साइमन वोंग ने कहा कि भारत के साथ हमारे घनिष्ठ हैं. कहा कि सिंगापुर पहला देश है जिसने अपनी तीव्र भुगतान प्रणाली PayNow के माध्यम से UPI के साथ संबंध स्थापित किया है. साथ ही, कुछ दिन पहले भारतीय रॉकेट पीएसएलवी ने सिंगापुर के दो उपग्रहों को कक्षा में स्थापित किया था. उन्होंने कहा कि इस सहयोग को स्किलिंग के क्षेत्र में विस्तारित करने का एक बड़ा अवसर है. सिंगापुर किसी को पीछे नहीं छोड़ने, अच्छी नौकरियों के लिए प्रशिक्षण और एक आत्मविश्वास से भरे राष्ट्र के निर्माण के कौशल दर्शन का अनुसरण करता है क्योंकि अच्छी नौकरी से व्यक्तियों और उनके परिवारों का आत्मविश्वास बढ़ता है.


आर्यभट्ट कॉलेज की अर्थशास्त्र की सहायक प्रोफेसर आस्था अहूजा ने कहा कि यह बहुत ही अच्छी बात है कि हम विकसित भारत के लक्ष्य को लेकर आगे बढ़ रहे हैं. लेकिन इसके लिए सरकार को अपने स्तर पर और काम करने की जरूरत है. चूंकि हम भारत की ह्यूमन डेवलपमेंट की बात कर रहे हैं. उन्हें स्कीलफुल बनाने की बात कर रहे है. इसके लिए हमें सबसे पहले पब्लिक हेल्थ और शिक्षा के क्षेत्र में निवेश को और बढ़ाना होगा. अगर हम वर्ल्ड ह्यूमन डेवलपमेंट सूंचकांक पर नजर डालें तो उसमें 191 देशों की सूची में हमारी रैंक 132 है. इसमें मुख्य रूप से यह देखा जाता है कि किसी भी देश का मानव विकास के क्षेत्र में क्या प्रोग्रेस है. इसमें हेल्दी लाइफ और शिक्षा, लिविंग स्टैंनडर्ड आदि को देखा जाता है. जहां तक बढ़ती आबादी की बात है तो उसमें आधी आबादी महिलाओं की है.

विकसित भारत के लक्ष्य को हासिल करने में महिलाओं की भागीदारी को और बढ़ाना होगा. इसके अलावा स्कील देने के बाद उसे रिस्कील और अप-स्कील किया जाना भी बहुत आवश्यक है चूंकि देश-दुनिया में तकनीकि होड़ बढ़ती जा रही है और ये लाइफ लॉन्ग प्रोसेस होना चाहिए. अगर हम 2023 के बजट को देखेंगे तो शिक्षा का बजट 112899.47 करोड़ का बजट दिया गया है. यह पिछले बजट से कुछ अधिक है लेकिन शिक्षा का शेयर जीडीपी में 2.9 प्रतिशत के साथ स्टेगनेंट है. लेकिन कई योजनाओं जैसे पीएम पोषण का बजट बढ़ाया गया है. हमें अपने ह्यूमन डेवलपमेंट कैपिटल को और मजबूत बनाने की आवश्यकता है. इसमें हमें अपनी रैंकिंग में सुधार करने के लिए कार्य करना होगा. अभी हम इसमें 116वें पोजीशन पर हैं. इसमें भी हेल्थ और एजुकेशन का डेटा लिया जाता है. अगर हम बढ़ती हुई आबादी का फायदा लेना चाहते हैं तो हमें फिमेल लेबर की भागीदारी को बढ़ाना होगा. जोकि पिछले कुछ वर्षों में घटकर 25 प्रतिशत से 19 प्रतिशत पर आ गई है.


सिंगापुर के साथ किये गए साझेदारी पर एक नजर


भारत सरकार ने 31 मई 2018 को टेमासेक फाउंडेशन इंटरनेशनल और सिंगापुर पॉलिटेक्निक के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए थे. टेमासेक फाउंडेशन इंटरनेशनल (टीएफआई) से अनुदान के समर्थन से सिंगापुर पॉलिटेक्निक (एसपी) एनएसडीसी के साथ सहयोग कर रहा है ताकि प्रशिक्षकों और मूल्यांकनकर्ताओं के प्रशिक्षण को मजबूत किया जा सके. इसके अलावा प्रशिक्षक और निर्धारक अकादमियों के प्रदर्शन की निगरानी के लिए गुणवत्ता आश्वासन ढांचा विकसित की जा रही है.


बिग डेटा एनालिटिक्स, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और रोबोटिक्स जैसी उभरती प्रौद्योगिकियों में भारत के कार्यबल को पर्याप्त रूप से कुशल बनाने में सहयोग करने के लिए मई 2018 में एनएसडीसी और नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ सिंगापुर के इंस्टीट्यूट ऑफ सिस्टम साइंसेज (एनयूएस-आईएसएस) के बीच समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए थे. इसके अलावा सिंगापुर की कंपनियों को भारत के कौशल विकास पारिस्थितिकी तंत्र में निवेशकों और भागीदारों के साथ जुड़ने का अवसर प्रदान करने के लिए एनएसडीसी और एंटरप्राइज सिंगापुर के बीच समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए.


एडवांस स्किलिंग के लिए COE की स्थापना के लिए फरवरी 2019 में NSDC, टेरा ओरिएंट स्किल्स एकेडमी प्राइवेट लिमिटेड और सिंगापुर पॉलिटेक्निक के बीच समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए. प्रशिक्षकों का प्रशिक्षण पहले ही शुरू हो चुका है जिन्हें सीओई में तैनात किया जाएगा.


सिंगापुर के शिक्षा मंत्री ओंग ये कुंग के नेतृत्व में सिंगापुर के एक प्रतिनिधिमंडल ने 6 से 7 जून 2019 तक नई दिल्ली का दौरा किया था. कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय (MSDE) द्वारा 6 जून 2019 को बातचीत करने के लिए एक मंत्री स्तर की बैठक आयोजित की गई थी. सिंगापुर के प्रतिनिधिमंडल के साथ यात्रा का उद्देश्य भारत में कौशल पारिस्थितिकी तंत्र को समझना था और यह देखना था कि सिंगापुर भारतीय कौशल हितधारकों को भागीदार बनाने के अवसर कैसे प्राप्त कर सकता है.

सरकार द्वारा लाई गई पॉलिसी

कौशल विकास की चुनौती को पूरा करने के लिए सरकार ने 2015 में कौशल विकास और उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय नीति लेकर आई. इसका उद्देश्य देश के भीतर की जा रही सभी कौशल गतिविधियों को एक व्यापक ढांचा प्रदान करना है ताकि उन्हें सामान्य मानकों के अनुरूप बनाया जा सके और कौशल को मांग केंद्रों से जोड़ा जा सके. उद्देश्यों और अपेक्षित परिणामों को निर्धारित करने के अलावा, विभिन्न संस्थागत ढांचों की पहचान करने का भी प्रयास किया जाएगा जो अपेक्षित परिणामों तक पहुंचने में मदद कर सकते हैं. राष्ट्रीय नीति इस बात पर भी स्पष्टता और सुसंगति प्रदान करेगी कि देश भर में कौशल विकास के प्रयासों को मौजूदा संस्थागत व्यवस्थाओं के साथ कैसे जोड़ा जा सकता है. यह नीति कौशल विकास को बेहतर रोजगार और उत्पादकता से जोड़ेगी.
 
 
नई शिक्षा नीति-2020 : प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में एनईपी 2020 में शिक्षा और कौशल को समान महत्व दिया गया है. इसने नेशनल क्रेडिट फ्रेमवर्क के माध्यम से स्कूली शिक्षा और स्किलिंग, हॉरिजॉन्टल और वर्टिकल मोबिलिटी के एकीकरण का मार्ग प्रशस्त किया है और भारत के कौशल पारिस्थितिकी तंत्र को फिर से परिभाषित किया है.
 

PMKVY 4.0 : प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के तहत अबतक लाखों युवाओं को प्रशिक्षण दिया जा चुका है. अब तक इसके तीन चरण के लक्ष्य का पूरा किया जा चुका है. वित्तीय वर्ष 2023-24 के आम बजट में इसके चौथे चरण की शुरुआत करने की घोषणा की है. प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना 4.0 के तहत देश के लाखों युवाओं को स्किल्ड बनाने और कौशल प्रदान करने का कार्य किया जाएगा. इसके साथ ही ऑन-जॉब प्रशिक्षण, उद्योग साझेदारी और उद्योग की जरूरतों के साथ पाठ्यक्रमों पर भी बल दिया जाएगा. इसके लिए देश भर में 30 स्किल्ड सेंटर भी खोले जाएंगे जहां इन्हे बेहतर तरीके से ट्रेनिंग दी जाएगी. चौथे चरण के तहत लाखों युवा कौशल प्रशिक्षण प्राप्त कर बेहतर रोजगार प्राप्त कर सकेंगे. पीएम कौशल विकास योजना 4.0 के लिए कोडिंग, एआई, रोबोटिक्स, मेक्ट्रोनिक्स, आईओटी, 3-डी जैसे आधुनिक पाठ्यक्रमों को भी इसमें शामिल किया गया है, इसके साथ ही उन्हें प्रिंटिंग सॉफ्ट स्किल्स और ड्रोन के बारे में प्रशिक्षण दिया जाना है.
 
इन योजनाओं के अलावा कई और तरह की योजनाएं भारत सरकार चला रही है, जिसमें जन शिक्षण अभियान, वोकेशनल ट्रेनिंग प्रोग्राम फॉर वेमन, स्ट्राइव आदि. इन सबके के जरिए भारत की युवा शक्ति को बढ़ते वैश्विक प्रतियोगिता के लिए तैयार किया जाना है. ताकि हम अपने विकसित भारत के लक्ष्य को हासिल कर सकें. 
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