![metaverse](https://cdn.abplive.com/imagebank/metaverse-top.png)
इस पीले पत्थर को कहा जाता था दानव की आंख, अपनी पगड़ी में लगा कर घूमता था ये भारतीय राजा
कपूरथला के आखिरी महाराज जगजीत सिंह दुनिया के सबसे बड़े पुखराज को अपनी पगड़ी में सजा कर पहनते थे. इस बात की चर्चा भारत के बाहर विदेशों में भी थी.
![इस पीले पत्थर को कहा जाता था दानव की आंख, अपनी पगड़ी में लगा कर घूमता था ये भारतीय राजा worlds largest topaz which Maharaj Jagjit Singh of Kapurthala used to wear in his turban इस पीले पत्थर को कहा जाता था दानव की आंख, अपनी पगड़ी में लगा कर घूमता था ये भारतीय राजा](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2024/04/11/4862d6b37ca57384426b6f73fc188d0a1712844245620617_original.png?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&height=675)
जब किसी खास पत्थर की बात आती है जिसक नाता भारत से हो तो सबके मन में पहले कोहिनूर हीरे का नाम आता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि दुनिया में एक ऐसा भी पत्थर है जो कोहिनूर की ही तरह बेशकीमती और अद्भुत है. दरअसल, हम बात कर रहे हैं दुनिया के सबसे बड़े पीले पत्थर यानी पुखराज की. चलिए आपको बताते हैं कि कैसे ये पत्थर एक भारतीय राजा की पगड़ी पर किसी दानव की आंख की तरह चमकता था.
कपूरथला के राजा से जुड़ी है कहानी
भारत में कई ऐसे राजा रहे हैं जो अपनी लैविश और लग्जरी लाइफस्टाइल के लिए जाने जाते रहे हैं. कपूरथला के आखिरी महाराज जगजीत सिंह भी ऐसी ही लाइफस्टाइल के लिए जाने जाते थे. कहा जाता था कि उनके पास इतनी दौलत थी कि वो अगर हर रोज दोनों हाथों से भर-भर कर सोना चांदी लुटाते तब भी उनका खजाना खाली नहीं होता. इन्हीं के पास था दुनिया का सबसे बड़ा पुखराज.
दानव की आंख क्यों कहा जाता था?
कपूरथला के आखिरी महाराज जगजीत सिंह दुनिया के सबसे बड़े पुखराज को अपनी पगड़ी में सजा कर पहनते थे. इस बात की चर्चा भारत के बाहर विदेशों में भी थी. यही वजह है कि इस बात का जिक्र विदेशी इतिहासकारों ने भी किया. इसी तरह के इतिहासकार डोमिनिक लापियर और लैरी कॉलिन्स अपनी किताब 'फ्रीडम एट मिडनाइट' में लिखते हैं कि महाराजा जगजीत सिंह की पगड़ी पर सजे उस पुखराज की चमक इतनी तेज थी कि कई मीटर दूर से उसे बहुत आराम से पहचाना जा सकता था.
सबसे बड़ी बात की इसी चमक के चलते उस पुखराज की तुलना किसी दानव की आंख से की जाती थी. आपको बता दें, उस नायाब पुखराज के अलावा उनकी पगड़ी में 3000 और हीरे-मोती जड़े हुए थे. यही वजह थी कि जब वो कभी आम जनता के सामने आते थे तो सिर्फ उनकी पगड़ी पर जड़े पुखराज को देखने लोग दूर-दूर से कपूरथला आते थे.
ये भी पढ़ें: इस देश की राष्ट्रीय पुस्तक है रामायण, जहां बहुत कम है हिंदू, फिर हर तरफ दिखता है सनातन माहौल
ट्रेंडिंग न्यूज
टॉप हेडलाइंस
![metaverse](https://cdn.abplive.com/imagebank/metaverse-mid.png)
![डॉ. सब्य साचिन, वाइस प्रिंसिपल, जीएसबीवी स्कूल](https://feeds.abplive.com/onecms/images/author/045c7972b440a03d7c79d2ddf1e63ba1.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=70)