भारत समेत दुनियाभर में आज के वक्त अधिकांश लोग शॉपिंग करने के लिए मॉल जाना पसंद करते हैं. भारत के मेट्रो सिटी में तो तेजी से मॉल की संख्या भी बढ़ी है. लेकिन इधर कुछ समय से सोशल मीडिया पर एक शब्द सामने आ रहा “घोस्ट मॉल’. आज हम आपको बताएंगे कि आखिर ये घोस्ट मॉल क्या होता है. 


घोस्ट मॉल


बता दें कि जिस तरीके से महानगरों में मॉल बन रहे हैं, उसी तरीके मॉल की संख्या बंद भी हो रहे हैं. बता दें कि नाइट फ्रैंक इंडिया के मुताबिक जिस शॉपिंग मॉल का 40 फीसदी हिस्सा खाली होता है, उसे घोस्ट शॉपिंग मॉल कहा जाता है. हालिया रिपोर्ट थिंक इंडिया थिंक रिटेल 2024 के मुताबिक ऐसे घोस्ट शॉपिंग मॉल की संख्या तेजी से बढ़ रही है.


कहां पर सबसे ज्यादा घोस्ट मॉल


बता दें कि देश में घोस्ट मॉल की संख्या तेजी से बढ़ी है. वहीं घोस्ट मॉल के मामले में दिल्ली-एनसीआर सबसे आगे है. वहीं दूसरे पायदान पर मुंबई है. जहां साल 2022 में घोस्ट मॉल की संख्या 57 थी, वो साल 2023 में बढ़कर 64 हो गई है. ये रिपोर्ट दुनिया के प्रॉपर्टी मार्केट पर नजर रखने वाली संस्था नाइट फ्रेंक की है. रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया में लोगों को आकर्षित नहीं करने वाली रिटेल एसेट की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है.


मॉल में जगह खाली


रिपोर्ट के मुताबिक 64 शॉपिंग मॉल में तकरीबन सवा करोड़ स्कवॉयर फीट जगह खाली पड़ी हुई है. इस जगह को पिछले साल के मुकाबले देखेंगे तो इसमें 58 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. देश की राजधानी दिल्ली और एनसीआर इलाके में इस तरह के घोस्ट शॉपिंग मॉल की संख्या सबसे ज्यादा है. इसके बाद दूसरे नंबर पर मुंबई और तीसरे नंबर पर बेंगलुरु है.


मॉल हो रहे हैं बंद 


बता दें कि 29 शहरों में हुए सर्वे से पता चलता है कि छोटे-छोटे शॉपिंग मॉल बंद होने की कगार पर हैं. वहीं एक लाख वर्ग फुट क्षेत्रफल वाले 132 शॉपिंग मॉल बंद होने के कगार पर हैं. साल 2022 में इनमें खाली पड़ी दुकानों की संख्या 33.5 फीसदी थी, जो 2023 में बढ़कर 36.2 फीसदी हो गई है. 


ऑनलाइन शापिंग


एक्सपर्ट के मुताबिक एक वक्त अधिकांश लोग शॉपिंग करने के लिए मॉल में जाना पसंद करते थे. लेकिन आज हर जगह इंटरनेट की पहुंच के बाद स्थिति बदल चुकी है. आज अधिकांश लोग ऑनलाइन शापिंग करना पसंद करते हैं. ये एक बड़ा कारण है, जिससे शॉपिंग मॉल घोस्ट म़ॉल में तब्दील हो रहे हैं.


ये भी पढ़ें: Vande Bharat Express: क्या सही में वंदे भारत ट्रेन में कोई बैठ नहीं रहा है? ये डेटा बताएगा सही कहानी