भारत ने हमेशा से ही दुनिया को विज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में चौंकाया है. इसरो से लेकर एस्ट्रोनॉट्स तक अंतरिक्ष विज्ञान में भारत की उपलब्धियां विशेष रूप से गौरवपूर्ण रही हैं. 1984 में जब विंग कमांडर राकेश शर्मा ने सोयूज टी-11 मिशन के तहत अंतरिक्ष की यात्रा की, तब से अब तक भारत ने कई उपलब्धियां हासिल की हैं. हालांकि, इतने वर्षों में भारत के बहुत कम लोगों को अंतरिक्ष जाने का मौका मिला है. अब इस सूची में एक नया नाम जुड़ गया है शुभांशु शुक्ला का. ऐसे में आपको टॉप-10 भारतीय एस्ट्रोनॉट्स के बारे में बताते हैं.
कौन हैं शुभांशु शुक्ला?
शुभांशु शुक्ला भारतीय वायुसेना के पायलट और अंतरिक्ष यात्री हैं. उन्हें 2025 के Axiom-4 मिशन में शामिल किया गया है, जो कामर्शियल मिशन है. इसका संचालन अमेरिकी कंपनी Axiom Space और NASA कर रहे हैं. इस मिशन के तहत शुभांशु इंटरनेशनल स्पेस सेंटर (ISS) की यात्रा करेंगे. वे भारत के दूसरे नागरिक बनेंगे, जो अंतरिक्ष में जाएंगे और ISS पर जाने वाले पहले भारतीय होंगे. हालांकि, भारतीय मूल के कई नागरिक इंटरनेशनल स्पेस सेंटर जा चुके हैं.
ये हैं टॉप 10 भारतीय एस्ट्रोनॉट्स
भारत और भारतीय मूल के कई लोगों ने अंतरिक्ष विज्ञान में अहम योगदान दिया है. अगर टॉप-10 भारतीय एस्ट्रोनॉट्स के नामों की बात करें तो इसमें पहले नंबर पर राकेश शर्मा का नाम आता है. राकेश भारत के पहले अंतरिक्ष यात्री (1984) थे. वहीं, शुभांशु शुक्ला भारत के दूसरे अंतरिक्ष यात्री हैं, जिन्होंने आज यानी 25 जून को अंतरिक्ष के लिए उड़ान भरी. इनको Axiom-4 मिशन के सदस्य के तौर पर चुना गया है.
अगर भारतीय मूल की बात करें तो इसमें कल्पना चावला भारतीय मूल की पहली महिला अंतरिक्ष यात्री थीं, जिनको NASA ने अपने मिशन के लिए भेजा था. इसमें सुनीता विलियम्स का नाम शामिल है. सुनीता भारतीय वंश की अमेरिकी एस्ट्रोनॉट हैं, जो कई मिशन में शामिल रह चुकी हैं.
इस लिस्ट में राजा चारी का नाम भी शामिल है. भारतीय मूल के यह अमेरिकी एस्ट्रोनॉट SpaceX Crew-3 मिशन में कमांडर थे. इसमें अनिल मेनन का नाम भी है, जो NASA के हालिया चयनित भारतीय मूल के एस्ट्रोनॉट हैं. सिरीशा बंदला अंतरिक्ष पर्यटक के रूप में गई हैं. इनके अलावा प्रशांत नायर, अजीत कृष्णन और अंगद प्रताप का नाम भी शामिल है.
शुभांशु के लिए खास क्यों है यह मिशन?
शुभांशु शुक्ला की अंतरिक्ष यात्रा इसलिए भी खास है, क्योंकि वे गगनयान मिशन के चार मूल सदस्यों में भी शामिल हैं. यह मिशन कई बार कैंसिल हो चुका है. इसके चलते शुभांशु को काफी इंतजार करना पड़ा.
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