देशभर में भीषण गर्मी पड़ रही है. गर्मी के कारण जहां एक तरफ लोग परेशान हैं, वहीं दूसरी तरफ जगंलों में आग भी लग रही है. उत्तराखंड में भी लगी आग अभी तक बुझी नहीं है. इस आग को बुझाने के लिए सेना के साथ 3 हजार से ज्यादा कर्मचारी लगे हुए हैं. आग को बुझाने के लिए काउंटर फायर समेत अलग-अलग तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है. क्या आप जानते हैं कि काउंट फायर तकनीक क्या होता है. आज हम आपको इसके बारे में बताएंगे. 


जंगलों में आग 


गौरतलब है कि उत्तराखंड में अप्रैल के पहले हफ्ते से लगी आग से अब तक 11 जिले चपेट में आ चुके हैं. आग को बुझाने के लिए अलग-अलग विभागों के कर्मचारियों के साथ हेलीकॉप्टर भी लगे हुए हैं. हेलीकॉप्टर लगातार जंगलों में पानी का छिड़काव कर रहे हैं. लेकिन अभी तक सेना को पूरे तरीके से सफलता नहीं मिली है. 


काउंटर फायर तकनीक 


उत्तराखंड के जंगलों में आग बुझाने के लिए काउंटर फायर तकनीक का भी इस्तेमाल किया जा रहा है. क्या आप जानते हैं कि ये काउंटर फायर तकनीक क्या होता है. बता दें कि काउंटर फायर जंगलों में आग बुझाने का एक पारंपरिक तरीका है. भारत के अलावा दुनियाभर में इस तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है. बता दें कि काउंटर फायर एक ऐसी तकनीक है, जिसमें बढ़ती आग को नियंत्रित करने के लिए जवाबी आग का सहारा लिया जाता है. 


आसान भाषा में समझिए कि आग की लपटें उत्तर से दक्षिण की ओर बढ़ रही हैं. अब इसे रोकने के लिए वन विभाग के अधिकारी दक्षिण की ओर से आग लगाना शुरू कर देते हैं. इससे उफनती आग को आगे बढ़ने के लिए फ्यूल (घास, सूखे पत्ते) नहीं मिलेगा. वहीं जवाबी आग सभी ईंधन सामग्री को जला देती है, जिससे बढ़ती आग, ईंधन की कमी के कारण, बुझ जाते हैं.


पत्थर की दीवार 


आग बुझाने के लिए कई बार स्थायी रूप से पत्थरों की एक दीवार यानी रॉक वॉल खड़ा किया जाता है. ये बैरियर सतही आग के साथ-साथ जमीनी आग को फैलने से रोकते हैं. बता दें कि सतही आग वो होती है, जो जमीन पर पड़े पत्ती के कूड़े, गिरी हुई डाली जैसे ईंधनों को जलाकर आगे बढ़ने से रोकती है. 


फायर टेरेसिंग तकनीक 


बता दें कि इसके अलावा जंगल में आग लगने का खतरा कम करने के लिए फायर टेरेसिंग तकनीक अपनाया जाता है. जैसे भारत में जंगल की आग का खतरा नवंबर से जून के बीच रहता है. इस दौरान वन विभाग इस मौसम से पहले फायर टेरेसिंग के तहत सड़कों के किनारे और रास्तों पर नियंत्रित रूप से आगजनी करते हैं. ऐसा करने पर सड़क किनारे उगी घास और झाड़ियों को खत्म कर दिया जाता है. जिससे आग फैलने का खतरा कम हो जाता है. 


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