फ्लाइट में आपने अक्सर देखा होगा कि कुछ लंबी उड़ानों के दौरान पायलट लंबे समय तक ड्यूटी पर रहते हैं. बता दें कि हर पायलट के लिए दो शिफ्टों के बीच में कम से कम 10 घंटे का आराम जरूरी होता है. इस दौरान पायलट को आठ घंटे की नींद लेनी चाहिए. जिससे वो अपनी ड्यूटी आसानी से पूरा कर सके. लेकिन क्या आप जानते हैं कि दुनियाभर के कई एयरलाइंस और सैन्य संगठन में नींद से बचने के लिए पायलट दवा का इस्तेमाल करते हैं. 


पायलट कौन सी दवा खाते ?


अमेरिकी सैन्य वायुसैनिकों में मेथाफेटामाइन की गोली आज भी लोकप्रिय है. बता दें कि पायलट इसका उपयोग नींद और थकान को दूर करने के लिए करते हैं. हालांकि इस दवा का अधिक इस्तेमाल करने पर नशे की लत पड़ सकती है. जानकारी के मुताबिक 1940 के दशक में भी इस दवा का व्यापक रूप से दुरुपयोग किया गया था. इसलिए हाल के वर्षों में सैन्य संगठन दूसरे विकल्प की तलाश में है.


दूसरा विश्व युद्ध 


बीबीसी अंग्रेजी की एक रिपोर्ट के मुताबिक सेकंड वर्ल्ड वॉर में पायलटों पर काम का भारी बोझ था. इस लिए उस समय उन्हें मेथाफेटामाइन नामक दवा दी जाती थी, ताकि वह नींद पर काबू पा सकें. इसके बाद ये दवा इस कदर लोकप्रिय हो गई थी कि पूरे यूरोप में देर रात के मिशनों को बढ़ावा दिया गया था. इसी तरह डेक्स्ट्रोम्फेटामाइन 1990-91 में खाड़ी युद्ध के दौरान चलन में आई थी. कुवैत में इराकी बलों पर बमबारी के दौरान ज्यादातर लड़ाकू पायलटों ने इसका इस्तेमाल किया था. 


अमेरिकी वायुसेना भी करती है इस्तेमाल


जानकारी के मुताबिक लड़ाकू पायलटों की दुनिया में दो प्रकार की दवाएं मौजूद हैं. इसमें पहला गो-पिल्स और दूसरा नो-गो पिल्स है. पहली दवा उत्तेजक है और केंद्रीय तंत्रिका तंत्र की गतिविधि को बढ़ाती है. वहीं दूसरी में अवसाद में डालने वाले पदार्थ है, जो मस्तिष्क और शरीर के बीच संदेशों के संचरण को धीमा कर देते हैं. ऐसी स्थितियों में जहां सतर्कता और नींद का समय महत्वपूर्ण है, अमेरिकी वायु सेना कभी-कभी शरीर को सहयोग देने के लिए इन दवाओं का उपयोग करती है. इसके अलावा मोडाफिनिल का इस्तेमाल भी किया जाता है. 


मोडाफिनिल मेडिसिन


मोडाफिनिल पहले से ही व्यापक रूप से उपलब्ध है. सिंगापुर, भारत, फ्रांस, नीदरलैंड्स और संयुक्त राज्य अमेरिका में वायु सेना द्वारा उपयोग के लिए अनुमोदित है. दरअसल आकाश में उड़ते लड़ाकू पायलटों के पास अक्सर अपने परिवेश का निरीक्षण करने और खतरों पर प्रतिक्रिया करने के लिए केवल कुछ सेकंड होते हैं, इसलिए थकान इन पायलटों के लिए घातक हो सकती है. नीदरलैंड्स के एक सैन्य एक्सपर्ट ने बताया कि जब आप एक लड़ाकू मिशन पर होते हैं, तब कुल सात-आठ घंटे लग सकते हैं. ऐसी स्थितियों के लिए नीदरलैंड्स एड्रेनालाइन का उत्पादन करता है. जो सतर्कता बढ़ाता है और थकान को कम करता है.


 पायलट सो गए ?


बता दें कि जनवरी 2023 में दो पायलट 153 यात्रियों और चालक दल के साथ एयरबस A320 पर सवार हुए थे. एक ने अपने को-पायलट से कहा कि जब वह झपकी लेगा इसलिए विमान का नियंत्रण वह अपने हाथ में ले ले, और दूसरा सहमत हो गया था. लेकिन यह योजना के अनुरूप नहीं हुआ. वहीं मार्च 2024 में इंडोनेशिया की राष्ट्रीय परिवहन सुरक्षा समिति  की एक रिपोर्ट से पता चला था कि दोनों पायलटों के एक साथ सो जाने के बाद दक्षिण पूर्व सुलावेसी से जकार्ता तक की उड़ान प्रभावी रूप से 28 मिनट तक पायलट-रहित रही थी. इसके बाद इस घटना की एक राष्ट्रीय जांच हुई थी. 


 


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