अहमदाबाद में 12 जून को एयर इंडिया का एक विमान हादसे का शिकार हो गया था. इस प्लेन क्रैश में 241 यात्रियों की मौत हो गई थी. एयर इंडिया का विमान टेकऑफ के तुरंत बाद एक हॉस्टल की छत से जा टकराया था, जिससे कुछ छात्रों समेत स्थानीय नागरिकों की भी मौत हुई थी. इस विमान हादसे के बाद क्रैश साइट से यात्रियों का 70 तोला (करीब 800 ग्राम) सोना, 80 हजार रुपये नकद, भगवद् गीता व कुछ अन्य सामान बरामद किया गया है. फिलहाल यह सामान सरकारी सुरक्षा में हैं.
ऐसे में लोगों के मन में सवाल है कि विमान हादसे वाली जगह से बरामद हुए कई तोला सोना व अन्य सामान का दावेदार कौन होगा? क्या सरकार इस सामान को अपने पास जमा कर लेगी? क्या इस सोने व अन्य सामान पर दावा किया जा सकता है? अगर हां तो कैसे? चलिए जानते हैं...
सरकार करती है सामान की सुरक्षा
विमान या किसी भी हादसे में बरामद हुए सामान की सुरक्षा की जिम्मेदारी सरकार की होती है, जिसको लेकर नियम बहुत ही स्पष्ट हैं. विमान हादसे वाली जगह से बरामद हुए सामान को सबसे पहले स्थानीय पुलिस व प्रशासन अपने कब्जे में ले लेता है, जिससे उसे सुरक्षित किया जा सके. इसके बाद इस सामान को सरकारी खजाने में जमा कर दिया जाता है और जांच पूरी होने तक यह सामान सरकारी खजाने में ही जमा रहता है.
क्या है कानूनी नियम?
विमान दुर्घटना के बाद मलबे से मिली वस्तुओं के स्वामित्व को लेकर नियम बहुत ही स्पष्ट हैं. नागरिक उड्डयन मंत्रालय व स्थानीय प्रशासन साथ मिलकर उस सामान के असली मालिक की पहचान करते हैं. इसके लिए दस्तावेजी सत्यापन की प्रक्रिया अपनाई जाती है. अगर आभूषण व अन्य सामान की कोई रसीद व अन्य दस्तावेज उपलब्ध होते हैं, तो इससे पहचान आसान हो जाती है. जहां तक एयर इंडिया विमान हादसे की बात है तो अभी शवों की पहचान ही चल रही है. ऐसे में इनकी पहचान पूरी होने के बाद ही मलबे से प्राप्त सामान की पहचान की जाएगी.
आप कर सकते हैं दावा
अगर आपके परिवार का कोई व्यक्ति हादसे का शिकार हुआ है और उसके पास कीमती सामान था, तो मृतक का परिवार व उसका निकटतम संबंधी दावा कर सकता है. इस दौरान संबंधित दस्तावेज, मृतक के साथ रिश्ते का प्रमाण, यात्रा दस्तावेज व अन्य कानूनी सबूत भी पेश करने होंगे. अगर सबकुछ सही पाया जाता है तो सामान को निकटतम संबंधी को सौंप दिया जाता है.
कोई दावेदार न मिले तो?
अगर मलबे से प्राप्त सामान को कोई दावेदान नहीं मिलता है तो ऐसे सामान को सरकार सरकारी संपत्ति के रूप में जब्त कर लेती है. हालांकि, यह इंटरनेशनल फ्लाइट थी, तो ऐसे में मॉन्ट्रियल कन्वेंशन 1999 के नियम भी लागू हो सकते हैं, जिसमें विदेशी नागरिकों की पहचान होने के बाद ही यह तय हो पाएगा कि सामान का असली मालिक कौन है और कौन नहीं.
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