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Sunil Grover Birthday: 'नाई' बनकर सुनील ने सिनेमा में रखा था पहला कदम, फिर यूं सुलझाई किस्मत की 'गुत्थी'
Sunil Grover: पहले उन्होंने अपनी आवाज से फैंस को अपना दीवाना बनाया. उसके बाद अपनी अदाकारी से घर-घर में छा गए. बात हो रही है सुनील ग्रोवर की, जिनका आज बर्थडे है.
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Sunil Grover Unknown Facts: 3 अगस्त 1977 के दिन हरियाणा के सिरसा में जन्मे सुनील ग्रोवर आज किसी पहचान के मोहताज नहीं हैं, लेकिन उनकी जिंदगी में एक दौर ऐसा भी रहा, जब वह पर्दे के पीछे से सिर्फ आवाज की मदद से अपने हुनर का प्रदर्शन करते थे और लोगों को अपना दीवाना बना लेते थे. दरअसल, किसी जमाने में रेडियो पर हंसी के फव्वारे सुनाने वाले आरजे सुड कोई और नहीं, बल्कि सुनील ग्रोवर ही थे. आज बर्थडे स्पेशल में हम आपको सुनील की जिंदगी के संघर्ष से आपको रूबरू करा रहे हैं.
कॉलेज से ही करने लगे थे कॉमिक रोल
बता दें कि सुनील ग्रोवर ने पंजाब यूनिवर्सिटी से मास्टर्स किया. कॉलेज के दिनों में ही वह कॉमिक रोल करते थे, जिसके चलते वह 1995 के दौरान ही दूरदर्शन के कॉमेडी शो फुल टेंशन में नजर आने लगे थे. वहीं, 1998 के दौरान तो उन्होंने फिल्म प्यार तो होना ही था से बड़े पर्दे पर भी कदम रख दिया था. इस फिल्म में नाई का छोटा-सा किरदार निभाया था, जो अजय देवगन की मूंछे काट देता है. इसके बाद वह अजय देवगन के साथ 'द लेजेंड ऑफ भगत सिंह' और 'इंसान' में भी नजर आए. आमिर खान की फिल्म 'गजनी' में सुनील ग्रोवर ने काम किया था. वहीं, 'फैमिली टाइज़ ऑफ ब्लड', 'कॉफी विद डी', 'छोरियां' और 'हीरोपंती' आदि फिल्मों में भी अपनी अदाकारी दिखाई थी.
संघर्ष के बाद हासिल की सफलता
सुनील ग्रोवर आज भले ही शोहरत की बुलंदियों पर हैं, लेकिन एक वक्त ऐसा भी रहा, जब उन्हें एड़ियां घिसनी पड़ीं. घंटों की कड़ी मेहनत के बाद भी उन्हें महीने भर में सिर्फ 500 रुपये ही मिलते थे. एक इंटरव्यू में सुनील ने खुद बताया था कि उन्होंने काफी स्ट्रगल किया और कई बार असफल भी रहे. 'ह्यूमंस ऑफ बॉम्बे' को दिए इंटरव्यू में सुनील ग्रोवर ने बताया था कि मास्टर्स के बाद मैं एक्टिंग करने के लिए मुंबई आ गया, लेकिन पहले साल मेरा पूरा ध्यान सिर्फ पार्टियों पर रहा. काम पर तो मेरा फोकस था ही नहीं. मैं अपनी सेविंग्स के अलावा घर से मंगवाए पैसे खर्च करता रहा. हालांकि, मेरे सामने ऐसा भी दौर आया, जब मेरे पास पैसे नहीं बचे. इसके बाद ही मेरी आंखें खुलीं.
पापा की ख्वाहिश ने करियर को दी नई राह
बता दें कि सुनील ग्रोवर के पापा चाहते थे कि उनका बेटा बेटा रेडियो अनाउंसर बने. पापा की इसी ख्वाहिश ने सुनील को संघर्ष के दिनों में नया रास्ता दिखाया. वह रेडियो जॉकी बन गए. साथ ही, टीवी शो और अन्य प्रोजेक्ट्स के लिए ऑडिशन देते रहे, लेकिन उन्हें हर बार रिजेक्ट कर दिया गया. कई टीवी शो में तो सुनील ग्रोवर को रिप्लेस भी किया गया. इसके बाद कपिल शर्मा के कॉमेडी शो में गुत्थी के किरदार से सुनील ग्रोवर को वह पहचान मिली, जिसके वह सिर्फ सपने देखते थे.
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