चुनाव लड़ना और जीतकर संसद पहुंचना... आम लोगों के लिए क्यों नहीं है आसान; 3 पॉइंट्स में समझिए

आम आदमी के लिए संसद का द्वार बंद (Photo- PTI)
1960-70 के दशक में समाजवादी नेता राम मनोहर लोहिया ने लोकसभा चुनाव में आम नागरिकों के लिए जमकर पैरवी की थी. लोहिया का कहना था कि जब तक आम लोग संसद नहीं जाएंगे, तब तक लोगों का भरोसा इस पर बहाल नहीं होगा.
लोकतंत्र में हर तबके की चुनावी भागीदारी सबसे अहम मानी जाती है. ये भागीदारी वोटर के स्तर पर लगातार बेहतर हो रही है. हर वर्ग और समाज के लोग जमकर मतदान में शरीक हो रहे हैं, लेकिन जहां सवाल चुनाव
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