Edible Oil Price: आम लोगों के महंगे खाने के तेल (Edible Oil) से राहत देने के लिए सरकार ने खाने के तेल के आयात पर कस्टम ड्यूटी ( Custom Duty) में छूट को 6 महीने के लिए  मार्च 2023 तक के लिए एक्सटेंड कर दिया. इससे जहां खाने के तेल के सप्लाई को बनाये रखने में मदद मिलेगी वहीं घरेलू बाजार में दामों पर भी नियत्रंण रखने में मदद मिलेगी. राहत की बात ये भी है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में खाने के तेल के दामों में कमी आई है तो साथ में ड्यूटी में भी कमी की गई है. अंतरराष्ट्रीय बाजार में पाम ऑयल के दामों में 40 फीसदी की गिरावट आई है. पाम ऑयल की कीमत अपने ऊंच लेवल 1800 से 1900 डॉलर मिट्रिक टन से घटकर 1,000 से 1100 डॉलर मिट्रिक टन पर आ चुका है. पर सवाल उठता है कि क्या आम लोगों के दामों में गिरावट और सरकार के कदमों का फायदा मिला है क्या? 


सरकार के दवाब के बाद घटे दाम
आपको बता दें बीते दो महीनों में सरकार के दवाब के चलते एडिबल ऑयल कंपनियों ने खाने के तेल के दामों में कटौती की है. बावजूद इसके आम आदमी को खाने के तेल के दाम परेशान कर रहे हैं क्योंकि दामों में उतनी गिरावट नहीं आई है जिससे आम लोगों को राहत मिल सके. उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के डाटा के मुताबिक एक सितंबर 2022 को बादाम के तेल औसतन 188 रुपये प्रति किलो में मिल रहा है. तो सरसों के तेल 172.66 रुपये प्रति किलो के भाव पर मिल रहा है. सोयाबीन ऑयल 156 रुपये प्रति किलो सनफ्लावर ऑयल 176.45 रुपये, पाम ऑयल 132.94 रुपये प्रति किलो और वनस्पति 152.52 रुपये प्रति किलो के भाव पर मिल रहा है. 


दाम घटे पर ज्यादा नहीं!
ये जरुर है कि बीते दो महीनो में 20 से 30 रुपये प्रति लीटर तक खाने के तेल दाम घटे हैं लेकिन अभी भी ऊपर स्तरों पर ट्रेड कर रहा है. केंद्र सरकार ने एडिबल ऑयल कंपनियों के प्रतिनिधियों को अंतरराष्ट्रीय बाजार में खाने के तेल के दामों में कमी का फायदा उपभोक्ताओं तक पहुंचाने को कहा है. पाम ऑयल के दामों में कमी के बाद जून, जुलाई और अगस्त में भी केंद्रीय खाद्य सचिव सुंधाशु पांडे ने एडिबल ऑयल एसोसिएशन ( Edible Oil Associations) और दूसरे स्टेकहोल्डर्स के साथ बैठक बुलाकर दामों में कटौती कर आम लोगों को राहत देने के लिए कहा था. खाद्य एंव आपूर्ति विभाग ने एडिबल ऑयल एसोसिएशन से कीमतें घटाने पर रेग्युलेर बेसिस पर  विभाग को इसकी जानकारी उपलब्ध कराने को कहा था. सरकार का दावा है कि खाने के तेल के दामों और उसकी उपलब्धता पर लगातार नजर बनाये हुए है. 


दामों में कमी के बाद बढ़ा आयात
वैसे आपको बता दें अंतरराष्ट्रीय बाजार में खाने के तेल के दामों में गिरावट के बाद भारत द्वारा पाम ऑयल इंपोर्ट 11 महीने के उच्चतम स्तर पर जा पहुंचा है. अगस्त में जुलाई के मुकाबले 94 फीसदी आयात बढ़ा है. सितंबर महीने में भी कंपनियां आने वाले फेस्टिव सीजन को देखते हुए ज्यादा आयात करने वाली हैं. पर सवाल उठता है कि क्या सस्ते खाने के तेल का फायदा आम लोगों को मिलेगा. आपको बता दें भारत अपने कुल खपत का 60 फीसदी खाने का तेल आयात करता है. 


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