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INDIA
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INDIA
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25
BJP
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INDIA
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(Source: ECI / CVoter)

राजनाथ सिंह का मिस्र दौरा आख़िर क्यों है भारत के लिए इतना महत्वपूर्ण?

यूनान के मशहूर दार्शनिक सुकरात ने ज़हर का प्याला पीने से पहले कहा था कि, "कभी-कभी आप दीवारें दूसरों को दूर रखने के लिए खड़ी नहीं करते बल्कि इसलिए खड़ी करते हैं कि आप ये देखना चाहते हैं कि इन्हे कौन तोड़ने की कोशिश करता है." जी हां, दुनिया की राजनीति और कूटनीति पर अगर ग़ौर करेंगे तो सदियों पहले कहे गए सुकरात के वे वाक्य आज भी आपको सच होते सामने दिखाई दे रहे होंगे.

भारत की जनसंख्या और ताकत के मुकाबले में दुनिया की प्राचीनत  सभ्यता-संस्कृति वाला एक पिद्दी-सा देश है- मिस्र, जिसकी आबादी पांच साल पहले तक 10 करोड़ से भी कम थी. आधिकारिक तौर पर मिस्र अरब गणराज्य का हिस्सा है जिसका मतलब है कि वह एक मुस्लिम देश है और उसका अधिकांश हिस्सा उत्तरी अफ्रीका में स्थित है. जबकि इसका सिनाई प्रायद्वीप, दक्षिण पश्चिम एशिया के बीच एक स्थल पुल बनाता है. लिहाज़ा, मिस्र एक अंतरमहाद्वीपीय देश होने के साथ ही अफ्रीका, भूमध्य क्षेत्र, मध्य पूर्व और इस्लामी दुनिया का एक प्रमुख शक्ति केंद्र भी है. मिस्र का ये आधिकारिक नाम प्राचीन अरबी भाषा में है जिसमे पवित्र कुरआन लिखी गई है.

आपको जानकर थोड़ी हैरानी होगी कि आखिर उस छोटे-से देश में ऐसा क्या रखा है जहां हमारे रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह आज यानी रविवार को वहां तीन दिन के दौरे पर पहुंच रहे हैं. बता दें कि मिस्र के साथ भारत का सालाना कारोबार अरबों डॉलर का तो है ही लेकिन बड़ी बात ये भी है कि दोनों देशों ने संयुक्त रूप से मिलकर  'हेलन 300' फाइटर जेट प्लेन का निर्माण भी किया था. मतलब ये कि एक छोटा-सा मुल्क भारत की बुनियादी रक्षा जरुरतों को इतनी शिद्दत से पूरा कर रहा है लेकिन उसका नाम कभी मीडिया की सुर्खियां नहीं आ पाता. क्या इसलिए कि वो एक मुस्लिम देश है और हमारे हुक्मरान नहीं चाहते कि उसे भी तवज्जो दी जाये? हालांकि इसका जवाब तो सरकार में बैठे कारिंदे ही दे सकते हैं और शायद इस बार उन्हें इसका खुलासा भी करना ही पड़े.

हालांकि दुनिया के 70  प्राचीनतम पिरामिडों वाले इस देश की यात्रा करने वाले  रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शनिवार को खुद ही ट्वीट करके ये बताया कि वह रविवार यानी 18 सितंबर से मिस्र (Egypt) के तीन दिवसीय दौरे पर होंगे. उन्होंने ये भी कहा कि वह दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग को और मजबूत करने के लिए अपने समकक्ष जनरल मोहम्मद अहमद जकी (General Mohamed Ahmed Zaki ) के साथ चर्चा करने के लिए उत्सुक हैं. इस दौरान दोनों मंत्री द्विपक्षीय रक्षा संबंधों की समीक्षा करेंगे. अपनी इस यात्रा के दौरान राजनाथ सिंह मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतह अल-सीसी (Egyptian President Abdel Fattah El-Sisi) से भी मुलाकात करेंगे.

बता दें कि मिस्र भले ही भारत के मुकाबले बेहद छोटा देश है लेकिन रक्षा संबंधी कुछ मामलों में वह हमसे आगे है लिहाज़ा हमें उसकी तकनीक और सहयोग की ठीक वैसे ही जरुरत है जिसके लिए हमें दुनिया की दो बड़ी ताकतों के आगे हाथ फैलाने पर मजबूर होना पड़ता है. रक्षा मंत्रालय की ओर से बताया गया है कि राजनाथ सिंह इस दौरान सैन्य-से-सैन्य संबंधों को तेज करने के लिए नई पहल का पता लगाएंगे और सहयोग को गहरा करने पर भी ध्यान केंद्रित करेंगे. इसके अलावा दोनों देश रक्षा सहयोग को और बढ़ावा देने के लिए एक समझौते पर भी हस्ताक्षर करेंगे.
 
लेकिन आप ये जरूर सोचेंगे कि एक मुस्लिम राष्ट्र में भारत के कारोबारियों का भला क्या भविष्य हो सकता है और वह कैसे सुरक्षित रह सकता है. तो बता दें कि  मिस्र वह देश है जिसकी गिनती भारत के सबसे बड़े निवेश स्थलों में होती है. अगर अभी की बात करें तो इस वक्त भारत की 50 से ज्यादा कंपनियां मिस्र में काम कर रही हैं जिन्होंने करीब 40 हजार नौकरियां पैदा कर रखी हैं. ये कंपनियां कृषि, रसायन, कपड़े, ऊर्जा, मोटर वाहन और अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्रों में हैं. फिलहाल दोनों देशों के बीच 7.26 बिलियन डॉलर का व्यापार हो रहा है. अगर रक्षा क्षेत्र की बात करें तो हाल के दशकों में मिस्र के साथ भारत का रक्षा सहयोग काफी बढ़ा है. 

भारतीय वायु सेना मिस्र के पायलटों को ट्रेनिंग भी दे चुकी है लेकिन अहम बात ये भी है कि दो महीने पहले यानी जुलाई में राजधानी काहिरा में दोनों देशों के अधिकारियों के बीच एक अहम बैठक हुई थी जिसकी खबर आपने किसी न्यूज़ चैनल में नहीं देखी होगी कि आखिर उसमें हुआ क्या था. तो जान लीजिये कि उसमें दोनों देशों के अधिकारियों ने द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ावा देने पर सहमति जताई थी. उसी बैठक में ये भी तय हुआ था कि दोनों देशों के बीच अगले पांच सालों में सालाना द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ाकर 12 बिलियन डॉलर करने का लक्ष्य रखा जाये जिस पर दोनों देशों की सहमति बनी थी.

अब आप इसे मोदी सरकार की विदेश नीति की एक बड़ी उपलब्धि मानें या न मानें लेकिन सिक्के का दूसरा पहलू ये भी है कि देश में भले ही हिंदू-मुस्लिम के नाम पर चाहे जितनी नफ़रत फैलाई जा रही हो लेकिन अंतराष्ट्रीय मंच पर वे इसे दरकिनार करते हुए देश की प्राथमिकता को ही महत्व देने पर यकीन करते हैं. राजनाथ सिंह का ये मिस्र दौरा उसकी ताजी मिसाल भी है! लेकिन ये भी याद रखिये कि उसी सुकरात ने ये भी कहा था कि "अगर आप अच्छे घुड़सवार बनना चाहते हैं तो सबसे बेकाबू घोड़े को चुनें क्योंकि अगर आप इसे काबू में कर लेते हैं तो आप हर घोड़े पर काबू पा सकते हैं." शायद मोदी सरकार की विदेश नीति उसी रास्ते पर आगे बढ़ रही है?

नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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