बहराइच में हुई हत्या को किसी भी बहाने नहीं ठहरा सकते जायज, गंभीरता से सोचने की जरूरत

ईमान फिर किसी का नंगा हुआ है,शहर में सुना है फिर दंगा हुआ है।वो एक पत्थर, पहला जिसने चलाया है,ईमान बस उसी का ही नंगा हुआ है।  -सुनील गुप्ता श्वेत की यह पंक्तियां यूं तो किसी भी दंगे पर मौजूं हैं,

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