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(Source: ECI / CVoter)

BLOG: जाते जाते बहुत कुछ कह गया केबीसी, दिल तो जीता ही, टीआरपी भी मिली

कोई टीवी रियलिटी शो हमारे देश में टीवी का सबसे बड़ा ब्रांड शो बन सकता है इस बात की पहले कल्पना तक नहीं की जा सकती थी. लेकिन ‘केबीसी’ ने देश में टीवी का सबसे बड़ा ब्रांड शो बनकर सभी पुराने समीकरण को बदल दिया है. कल रात केबीसी के दसवें सीजन की बिदाई हो गई लेकिन जाते जाते यह शो बहुत कुछ कह गया. इस सीजन में अपने 12 हफ़्तों के प्रसारण के दौरान केबीसी ने दर्शकों का दिल तो जीता ही, टीआरपी के मामले में भी कई बड़े और अच्छे कार्यक्रमों को भी ‘केबीसी’ ने पीछे खदेड़ दिया.

अपने देश में हम मनोरंजन चैनल के इतिहास को देखें तो ऐसे सभी मनोरंजन टीवी चैनल्स को कोई न कोई एक लोकप्रिय सीरियल चलाता रहा है. हमारे यहाँ सन 1984 में टीवी पर सीरियल क्रांति भी तब हुई जब दूरदर्शन पर ‘हम लोग’ सीरियल का प्रसारण हुआ. मनोहर श्याम जोशी के लिखे और पी कुमार वासुदेव के निर्देशन में बने इस एक सीरियल ने दर्शकों का टीवी देखने का नजरिया ही बदल दिया था. इससे पहले दूरदर्शन की पहचान चित्रहार, कृषि दर्शन और रविवार की फीचर फिल्म के लिए ही होती थी या फिर शाम को समाचारों के एक बुलेटिन के लिए. लेकिन ‘हम लोग’ की सफलता टीवी को मनोरंजन के एक नए युग में ले गयी. इसी सफलता के बाद दूरदर्शन पर नियमित सीरियल का दौर शुरू हुआ.

‘हम लोग’ के बाद कभी ‘रामायण’ और ‘महाभारत’ जैसे सीरियल दूरदर्शन को लोकप्रिय बनाते रहे तो कभी ‘बुनियाद’ और ‘चंद्रकांता’ जैसे सीरियल. उसके बाद देश में कई मनोरंजन चैनल्स आ गए. हर चैनल को किसी न किसी एक बड़े लोकप्रिय सीरियल ने चलाया. बड़ी बात यह है कि कुछ सीरियल हर चैनल के ब्रांड बन गए और वही ब्रांड सीरियल चैनल ड्राइवर बने. जैसे ‘क्योंकि सास भी कभी बहू थी’ स्टार प्लस का पहला ब्रांड सीरियल बना तो ‘हिना’ सोनी चैनल का, ‘अमानत’ जी टीवी का तो ‘बालिका वधु’ कलर्स का,‘देवों के देव महादेव’ लाइफ ओके का और ‘तारक मेहता का उल्टा चश्मा’ सब टीवी का. यानी कोई न कोई एक फिक्शन सीरियल ही चैनल की पहचान बना और उसी सीरियल के बल बूते वह चैनल भी चलता रहा.

यूं केबीसी जब पहली बार स्टार प्लस पर 3 जुलाई 2000 में शुरू हुआ था उसी दिन ‘क्योंकि सास भी कभी बहू थी’ भी शुरू हुआ था. इनमें फिक्शन सीरियल के रूप में ‘क्योंकि सास भी कभी बहू थी’ ने तो अद्दभुत लोकप्रियता पाई ही साथ ही रियलिटी शो-गेम शो के रूप में ‘केबीसी’ ने भी धमाल कर दिया. इससे पहले विदेशों में ही रियल्टी शो सफलता के रिकॉर्ड बनाते थे और ब्रांड बनते थे. लेकिन हमारे कथा–कहानियों के देश भारत में दर्शकों को कहानियों वाले सीरियल ही लुभाते रहे. हालांकि अपने पहले सीजन में केबीसी ने लोकप्रियता के नए मापदंड स्थापित किये. वह एक अजूबा बनकर सामने आया, खूब चला भी. लेकिन 288 एपिसोड के बाद केबीसी को बंद करना पड़ा. और चैनल का ब्रांड ‘क्योंकि....ही बना जो 1833 एपिसोड तक चलता रहा. उस समय किसी सीरियल का इतना लम्बा चलने का यह रिकॉर्ड था. बाद में केबीसी के और सीजन भी आए. जिनमें सन 2007 यानी अपने पहले तीन सीजन तक यह स्टार प्लस पर चला और उसके बाद स्टार प्लस का केबीसी से मोह भंग हो गया. लेकिन सन 2010 में सोनी चैनल पर केबीसी की वापसी हुई तो इसे देखने के लिए दर्शक फिर से लालायित होने लगे. इसी के बाद धीरे धीरे लगने लगा कि कोई रियलिटी शो किसी चैनल का ब्रांड बन सकता है.

यह बात पिछले वर्ष तब और पुख्ता हो गयी जब तीन साल के अंतराल के बाद केबीसी शुरू हुआ तो इसके आते ही जहाँ यह शो नंबर वन हो गया वहां बरसों से नंबर वन पर चल रहा स्टार प्लस नंबर दो पर आ गया और सोनी नंबर वन चैनल बन गया. यह निश्चय ही आश्चर्य था कि अपने सीजन 9 में अपने प्रसारण के दूसरे सप्ताह में जब सितम्बर 2017 में सोनी पर इसका प्रसारण हो रहा था तब बार्क की टीआरपी रिपोर्ट के अनुसार केबीसी ने एकता कपूर के नंबर वन चल रहे सीरियल कुमकुम भाग्य सहित शिखर के अन्य सीरियल कुंडली भाग्य, तारक मेहता का उल्टा चश्मा, ये हैं मोहब्बतें, ये रिश्ता क्या कहलाता है, महाकाली, शक्ति और चंद्रकांता सहित सभी सीरियल को पछाड़ दिया था. साथ ही उस समय सोनी के केबीसी के साथ कलर्स पर चल रहा बड़ा रियलिटी शो ‘खतरों के खिलाड़ी’ और स्टार प्लस का रियलिटी शो ‘डांस प्लस’ भी पीछे रह गए. जबकि इस बार के केबीसी के दसवें सीजन ने तो यह प्रमाणित कर दिया कि केबीसी का कोई सानी नहीं है. केबीसी के आते ही सोनी चैनल नंबर वन बन जाता है. इसके सामने बड़े बड़े अन्य रियलिटी शो कहीं नहीं ठहरते हैं. यहाँ तक कई बड़े ताम झाम के साथ शुरू हुआ दुनिया का मशहूर शो ‘बिग बॉस’ भी केबीसी के सामने औंधे मुंह गिर जाता है. इस बार भी ‘बिग बॉस’ जहाँ टॉप 20 में अपनी जगह बनाने के लिए काफी हाथ पैर मारता रहा वहां केबीसी अपने इस पूरे सीजन में रियलिटी शो में तो ज्यादातर नंबर वन रहा ही साथ ही सभी फिक्शन और रियलिटी में मिलकर भी कभी टॉप 3, कभी टॉप 5 और कभी टॉप 10 में आराम से अपनी जगह बनाता रहा. ऐसे ही सोनी चैनल भी इस दौरान नंबर वन से नंबर तीन के बीच बना रहा.

ढाई करोड में से सिर्फ 75 पहुंचे हॉट सीट तक

केबीसी में भाग लेने के लिए लोगों का उत्साह कितना जबरदस्त रहता है इसकी मिसाल इस बात से भी मिलती है कि इस बार इस दसवें सीजन में हिस्सा लेने के लिए ढाई करोड़ से अधिक लोगों ने अपना पंजीकरण कराया था. जिसमें से विभिन्न प्रक्रियाओं से गुजरने के बाद अंत में करीब 2 हज़ार प्रतियोगियों को लिखित परीक्षा और फिर इंटरव्यू के लिए चुना गया. लेकिन अब उन चयनित प्रतियोगियों में से अंत में ‘फास्टेस्ट फिंगर्स फर्स्ट’ के लिए कुल 120 प्रतियोगी चुने गए. लेकिन उनमें से भी इस बार के 60 एपिसोड में हॉट सीट पर कुल 75 प्रतियोगी ही पहुँच पाए. यह सब बताता है कि ‘केबीसी’ की हॉट सीट पर पहुंचना भी सात समंदर पार करने से कम नहीं. फिर भी इसकी हॉट सीट पर पहुंचना लाखों-करोड़ों का सपना बना रहता है. इस बार हॉट सीट पर पहुंचे कुछ प्रतियोगी पिछले 18 बरसों से यहाँ पहुँचने का प्रयास कर रहे थे.

केबीसी में हॉट सीट पर पहुँचने की सार्वजनिक प्रक्रिया के चलते तो 75 प्रतियोगी हॉट सीट पर पहुंचे. लेकिन उनके अलावा 13 वे विशिष्ट लोग भी हॉट सीट के लिए ‘कर्मवीर’ के रूप में आमंत्रित किये गए जिन्होंने किसी क्षेत्र में असाधारण कार्य किया है. केबीसी का यह दसवां सीजन लोकप्रियता और टीआरपी की सफलता के साथ इसलिए भी शानदार रहा कि इस बार कर्मवीर के लिए चुने गए 13 महारथी भी काबिले तारीफ़ थे जिनमें से कुछ तो अपने जीवन में बहुत कुछ त्यागकर जन सेवा में जुटकर अनेक लोगों की प्रेरणा बने हुए हैं. केबीसी के मंच के माध्यम से आमजन को ऐसे असाधारण लोगों को जानने का भी मौका मिला.

60 एपिसोड में 88 प्रतियोगियों ने जीते 12 करोड़

यहाँ आपको यह भी बता दें कि हॉट सीट पर पहुंचे 75 साधारण प्रतियोगियों और 13 कर्मवीर वाले विशिष्ट प्रतियोगियों के साथ कुल 88 प्रतियोगियों ने कुल मिलाकर लगभग 12 करोड़ रूपये जीते. जिनमें करोडपति तो बस एक ही बनीं, गुवाहटी की बिनीता जैन. जबकि पणजी के गजानन रसम, रायपुर की नीला बुद्धदेव, दिल्ली के अविनाश कुमार और जमशेदपुर के अभिषेक प्रसाद सहित कुल 4 प्रतियोगी 50 लाख रूपये जीत कर अर्ध करोड़पति बनने में सफल रहे. जबकि 18 लोगों ने 25 लाख रूपये जीते. इनके अतिरिक्त 15 लोगों ने साढ़े 12 लाख रूपये, 19 लोगों ने 6 लाख 40 हज़ार रूपये और 12 लोगों ने 3 लाख 20 हज़ार रूपये जीतकर इस पूरे सीजन को दिलचस्प बनाये रखा. इनाम से ज्यादा अमिताभ से मिलने की चाह

यह ठीक है कि बहुत से लोग केबीसी में इसलिए आने का सपना देखते हैं जिससे वे मोटी राशि जीतकर अपने कर्ज उतार सकें, अपनी दुःख तकलीफ दूर कर सकें या उस राशि से कोई लम्बी उड़ान भर सकें. लेकिन केबीसी के सेट पर रोज पहुंचने वाले आम दर्शकों के साथ अधिकांश प्रतियोगी हॉट सीट पर भी इसलिए पहुंचना चाहते हैं जिससे वे महानायक अमिताभ बच्चन से मिल सकें उनसे बाते कर सकें. क्योंकि अमिताभ से मिलने और उनसे बातें करने का जो खूबसूरत मौका यहाँ मिलता है वह कहीं और संभव नहीं. वह भी नेशनल टीवी पर जिसे दुनिया देखती है और वह मुलाकात हमेशा के लिए कैमरे में कैद भी हो जाती है.

अमिताभ चुप चाप करते हैं प्रतियोगियों की मदद

इधर मुझे अपने सूत्रों से यह भी पता लगा है कि अमिताभ बच्चन केबीसी में आए कुछ प्रतियोगियों की अपनी ओर से आर्थिक मदद भी करते रहते हैं. यूँ अमिताभ ने खुद इस बात को कभी जगजाहिर नहीं होने दिया लेकिन केबीसी टीम से जुड़े कुछ लोग बताते हैं कि यदि अमिताभ बच्चन को किसी प्रतियोगी का दुःख दर्द उन्हें विचलित सा कर देता है या किसी की व्यथा कथा उनके दिल को छू जाती है तो वह अपने व्यक्तिगत खाते से उस व्यक्ति को कुछ न कुछ ऐसी राशि देने का प्रयास करते हैं जिससे उस व्यक्ति की समस्या हल हो सके.

यदि देखा जाए तो केबीसी की सफलता का सबसे बड़ा कारण अमिताभ बच्चन ही हैं. अमिताभ इसे बखूबी होस्ट तो करते ही हैं. साथ ही प्रतियोगियों के साथ उनका मधुर व्यवहार उनके दुःख सुख, उनके कामकाज और उनके परिवार के बारे में जानने की उनकी उत्सुकता इस शो को और भी दिलचस्प बना देती है. पिछले 18 बरसों में केबीसी के सेट पर मुझे जब भी जाने के मौके मिले मैंने देखा अमिताभ बच्चन की सेट पर एंट्री के साथ ही भूकंप सा आ जाता है. हर कोई ख़ुशी से झूमने लगता है. तब वहां मौजूद लोगों की आँखों की चमक और चेहरे की रौनक देखते ही बनती है. हॉट सीट के लिए जिस प्रतियोगी का नंबर आता है वह कुछ क्षणों के लिए पागल सा हो जाता है, अपना आपा खो देता है. उसे यकीन नहीं होता कि उसका नंबर हॉट सीट के लिए आ गया है. बहुत से प्रतियोगी हॉट सीट पर पहुँचने पर रो पड़ते हैं और जो फास्टेस्ट फिंगर्स फर्स्ट पर पहुंचकर भी हॉट सीट पर नहीं पहुँच पाते उनका तो रो रो कर बुरा हाल हो जाता है. किसी टीवी शो के लिए इस हद तक की दीवानगी और कहीं देखने को नहीं मिल सकती. इसलिए इसमें कोई शक नहीं कि अमिताभ बच्चन के आभा मंडल के कारण ही केबीसी इतनी बुलंदियों पर पहुँच सका है. यूँ मैं जब भी अमिताभ बच्चन को कहता हूँ कि केबीसी की सफलता का कारण आप ही हैं तो वह कहते हैं –“ऐसा नहीं है केबीसी का कंटेंट और यहाँ आकर लोगों के सपनों का पूरा होना ही इसका सफलता का राज है.” लेकिन पिछले दिनों मैंने उनकी इस बात पर सवाल किया कि यदि इसका कंटेंट ही इसकी सफलता का कारण है तो इसका वह तीसरा सीजन सफल क्यों नहीं हुआ जिसे शाहरुख़ खान ने होस्ट किया था ? लेकिन मेरे इस सवाल के जवाब पर अमिताभ चुप्पी साध गए.

सोनी चैनल के क्रिएटिव हेड आशीष गोवलकर भी कहते हैं-- “इसमें कोई शक नहीं कि ‘केबीसी’ की इस जबरदस्त लोकप्रियता और सफलता के पीछे अमिताभ बच्चन की बड़ी भूमिका है. अमिताभ जी ‘केबीसी’ से बहुत प्रेम करते हैं और इसके लिए मेहनत भी बहुत करते हैं. जब तक अमिताभ जी इसे कर सकेंगे चैनल भी तब तक उन्हीं से इसे कराता रहेगा. अमिताभ बच्चन के बिना ‘केबीसी’ की कल्पना नहीं हो सकती.”

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(नोट- उपरोक्त दिए गए विचार व आंकड़े लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.)

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